giddh ke upahaar, dada dadi ki kahani
giddh ke upahaar, dada dadi ki kahani

Dada dadi ki kahani : एक राजा शिकार करने निकले। उन्होंने एक गिद्ध को देखा। यह एक विशाल गिद्ध था और उसके पंख तो इतने लंबे थे कि उनकी छाया में कई लोग खड़े हो सकते थे।

राजा ने अपनी बंदूक गिद्ध की ओर करके निशाना साधा। तभी गिद्ध बोला, ‘हे राजा, मुझे मत मारो। मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाऊँगा। तुम चाहो तो मुझे अपने साथ ले जाओ। यदि तुम मुझे एक वर्ष तक अपने साथ रखोगे तो तुम दुनिया के सबसे महान राजा बन जाओगे।’

राजा को गिद्ध की बात पर विश्वास तो नहीं था, फिर भी उन्होंने सोचा कि एक बोलने वाले गिद्ध की बात मानकर देख लेनी चाहिए। इसीलिए वे गिद्ध को अपने साथ ले गए।

गिद्ध ने राजमहल में पहुँचते ही खाना माँगा। राजा ने उसे सब कुछ दिया, जो उसने माँगा। गिद्ध इतना ज्यादा खाना रोज़ खाता था कि उसका पेट भरने के लिए धीरे-धीरे राजा की सारी संपत्ति समाप्त हो गई। फिर भी उन्होंने अपना वादा पूरा किया। उन्होंने परेशानी में रहकर भी एक वर्ष तक गिद्ध को अपने पास रखा।

एक वर्ष पूरा होने पर गिद्ध ने कहा, ‘अब समय आ गया है कि मैं तुम्हें तुम्हारा इनाम दे दूँ। तुम मेरी पीठ पर सवार हो जाओ। मैं तुम्हें कहीं ले जाना चाहता हूँ।’

राजा गिद्ध की पीठ पर बैठ गया। गिद्ध ने अपने बड़े-बड़े पंख फैलाए और उड़कर चल दिया। वह राजा के महल से दूर उड़ चला। धीरे-धीरे सारे गाँव, शहर पीछे छूट गए। अब गिद्ध समुद्र के ऊपर से उड़कर जा रहा था। राजा ने नीचे देखा तो घबरा गए। नीचे दूर-दूर फैला हुआ समुद्र था और वे बहुत ऊँचाई पर उड़ रहे थे। घबराकर राजा ने ईश्वर को याद करना शुरू कर दिया।

कुछ देर बाद जब गिद्ध नीचे उतरा तो राजा ने ईश्वर को धन्यवाद दिया। गिद्ध बोला, ‘राजा, आपको मैंने तीन उपहार दिए हैं। उन्हें सम्हालकर रखिएगा।’

‘तीन उपहार?’ राजा ने आश्चर्य से पूछा।

‘जी हाँ तीन उपहार। मैंने आपको तीन बातें सिखाई हैं। वही हैं मेरे तीन उपहार। पहला उपहार-दयालु होना, दूसरा उपहार-अपना वचन निभाना और तीसरा उपहार-ईश्वर की शक्ति पर विश्वास करना। अपना सब कुछ गँवाकर भी आपने अपना वचन निभाया, मेरी प्रार्थना सुनकर मुझ पर दया की और मुझे नहीं मारा और कठिन समय में आपने ईश्वर पर विश्वास किया। अब आपके पास एक अच्छा राजा बनने के सारे गुण हैं। आप अपने महल में वापिस जाइए और प्रजा की सेवा कीजिए।’

राजा जब अपनी राजधानी में वापिस लौटे तो उन्होंने देखा कि उनकी वह सारी धन-दौलत, जो गिद्ध को पालने में खर्च हो गई थी, वापिस लौट आई है। यह ईश्वर का चमत्कार ही तो था। उन्होंने गिद्ध के रूप में अपने किसी दूत को भेजा था। राजा ने कई वर्षों तक राज्य किया। उनकी प्रजा सदा सुख से रही, क्योंकि उनके राजा एक अच्छे और नेक राजा थे।

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