Gurudwara Related to Guru Nanak Dev: सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी न मानव जाति को ज्ञान और शिक्षा का वह भंडार प्रदान किया जो सभी के लिए प्रेरणादायी है। गुरु नानक देव जी ने सिर्फ सिखों ही नहीं बल्कि विश्व के सभी प्राणियों के लिए ऐसी बातें कहीं और लिखी जो आज भी प्रासंगिक है। आज हम आपको गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े उन चार गुरूद्वारों के बारे में बताने वाले हैं, जहां आज भी उनकी ऊर्जा और शिक्षा का अनुभव होता है। गुरु नानक देव जी अपने जीवन काल में अपने प्रिय शिष्यों के साथ एक बड़े क्षेत्र में प्रवास करते रहें। वे जहां-जहां गए वहां के रहने वाले लोगों और निवासियों को सत्कार्य के लिए प्रेरित करते गए। जो जो उनकी शरण में आए, उनके कष्टों को दूर किया इन्ही स्थानों पर गुरुदेव नानक जी से जुड़े गुरुद्वारे आज भी स्थित हैं।आइए जानते हैं गुरु नानक देव जी से जुड़े चार मुख्य गुरूद्वारों के बारे में।
गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़े हैं, ये गुरुद्वारे : Guru Nanak Jayanti
गुरुद्वारा श्री बेर साहिब (श्री सुल्तानपुर लोधी)

गुरुद्वारा श्री बेर साहिब यानिकि श्री सुल्तानपुर लोधी गुरुद्वारा एक बेहद प्रसिद्ध गुरुद्वारा है। पंजाब के कपूरथला में स्थित यह गुरुद्वारा अटूट आस्था का केंद्र है। इस गुरुद्वारे का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि जब नानक जी ने सुल्तानपुर लोधी में डेरा लगाया तो वो नित्य ही वेई नदी पर स्नान करते और वेई नदी के किनारे ही भजन बंदगी करते थे। नानक जी ने इसी स्थान पर एक बेर का पौधा रोपित किया था जो आज भी वृक्ष के रूप में यहां पर उपस्थित है। आज पेड़ लगाए जाने के लगभग 550 साल बाद भी बेर सूखी नहीं और हरी भरी है। सुल्तानपुर लोधी की इस पवित्र नगरी में ही गुरु नानक देव जी ने पहली बार अपना वह उपदेश दिया जो आज भी सभी लोगों के लिए पूजनीय है। नानक जी ने इसी स्थान पर परमात्मा का तथा भाईचारे का प्रथम उपदेश दिया, जहां आज भी दूर दूर से श्रद्धालु मत्था टेकने आते हैं।
श्री ननकाना साहिब

सन 1947 में जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो ये पवित्र स्थल, ननकाना साहिब पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। श्री ननकाना साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान पंजाब प्रांत में स्थित है। लगभग 550 साल पहले इसी स्थान पर सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक जी का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। गुरु नानक देव जी की जन्मस्थली होने के कारण ननकाना साहिब सिखों के लिए ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के श्रृद्धालुओ के लिए भी विशेष महत्व रखता है। ननकाना साहिब गुरुद्वारा वह पवित्र स्थान है जहां गुरु नानक के जीवन के दौरान कई चमत्कारी घटनाएं हुई। आज भी इसी स्थान पर गुरु नानक के चमत्कारों की दिव्य अनुभूति होती है। ननकाना साहिब जी में नानक जी के जन्मस्थान के अलावा कुल 8 अन्य गुरुद्वारे भी हैं।
श्री करतारपुर साहिब

सिखों के लिए असीम श्रद्धा और आस्था का यह पवित्र गुरुद्वारा, श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान के नारोवाल जिले में बसा करतारपुर में स्थित है। यह गुरुद्वारा उसी स्थान पर स्थित है जहां पर 22 सितंबर 1539 को गुरुनानक देवजी ने जीवों को मार्ग दिखाकर आखिरी सांस ली। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा एक अत्यंत प्राचीन और पवित्र स्थल है को रावी नदी के करीब ही स्थित है। भारत की सीमा से कुल तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गुरुद्वारा भारत की सीमा से भी दिखाई देता है। सेवादार बताते हैं कि यह वही पावन पुनीत स्थल है जहां गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 16 साल यहीं पर बिताए।
लुधियाना स्थित गुरुद्वारा गऊ घाट

एक बार जब गुरु गुरुनानक देव जी लुधियाना में पहुंचे तो उन्होंने सतलुज नदी के किनारे आराम और विश्राम किया। आगे चलकर यही गुरुद्वारा गऊघाट नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह वही स्थान है, जहां गुरुनानक देव जी ने विश्राम किया और फिर ठक्करवाल के लिए आगे निकल गए।
