Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 20

रीमा देवी ‘बैड टी’ लेकर विवेक के कमरे में पहुंचीं तो उनके दिल पर धक्का-सा लगा‒विवेक बिस्तर पर नहीं था…वह कुर्सी पर बैठा सामने पड़े मेज पर सिर टिकाए गहरे-गहरे श्वास ले रहा था…पास ही खाली बोतल और खाली गिलास रखा था। रीमा देवी ने उसके कंधे पर हाथ रखकर धीरे से पुकारा‒ कच्चे धागे […]

Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 19

कार चल पड़ी तो विवेक ने माथे से पसीना पोंछकर कहा‒ “क्या साला नाटकबाजी में ‘टैम’ खराब करने का है। ये लोग जितना रुपया इस फंक्शन पर उड़ाएला है‒उससे कई गरीब लोगों की खोलियां बन जाने को सकती थी।” “तुम्हें टी. वी. पर कवरेज मिल गया।” कच्चे धागे नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए […]

Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 18

विवेक जीप से उतर कर एस. आई. के साथ अंदर दाखिल हुआ, थोड़ी देर तक उसे डी.एस.पी. के ऑफिस के बाहर खड़ा रहना पड़ा, फिर उसे अंदर बुला लिया गया। डी. एस. पी. साहब किसी से फोन पर कोई बात कर रहे थे…उन्होंने रिसीवर रखकर विवेक को सिर से पांव तक देखा और पूछा‒”तुम्हारा नाम […]

Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 17

फिर वह सीटी बजाता हुआ आगे बढ़ता चला गया। फाइनल एग्जाम शुरू हो गए थे और विवेक ने नियम से पढ़ना और कॉलेज जाना शुरू कर दिया था‒उसे इस बात का विश्वास हो गया था कि अब वह तीसरी शादी कर सकता है, इसीलिए यह भी विश्वास बन गया था कि महेश का ऑपरेशन सफल […]

Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 16

विवेक की आंखें खुलीं तो उसके शरीर में टूटन थी…उसने अंगड़ाई के लिए हाथ उठाने चाहे तो उसका हाथ अंजला के शरीर से टकराया और…दूसरे ही क्षण वह झटके से उठकर बैठ गया‒”अरे बाप!” विवेक हड़बड़ाकर धड़कते दिल के साथ बाहर आ गया‒ड्राइंग रूम में आया तो काउंटर पर देवयानी बैठी धीरे-धीरे घूंट ले रही […]

Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 15

देवयानी ने कार रोक दी और नीचे उतर आई और सीधी बस्ती के अन्दर चली आई तो रीमा देवी नल पर कपड़े धो रही थी। “नमस्ते…मांजी।” देवयानी ने कहा। “जीती रहो बेटी! तू इस समय?” “आप बैठिए…लाइए मैं कपड़े धो दूं।” रीमा देवी हंस पड़ीं‒”तू कपड़े धोएगी? कभी मां के घर रूमाल भी धोया है।” […]

Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 14

विवेक को होश आया तो वह ड्राइंग रूम के सोफे पर लेटा हुआ था…जगमोहन के चिल्ला कर बातें करने की आवाजें आ रही थीं‒ “किसलिए आया है वह मवाली, गुण्डा यहां?” “डैडी…वह मेरा दोस्त है।” महेश की आवाज आई। “वह तुम्हारा दोस्त है या दुश्मन? तुम्हारे पुरसे को आया था।” कच्चे धागे नॉवेल भाग एक […]

Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 13

ठीक तीन बजे के घंटे जब सुनाई दिए तब अंजला और देवयानी कोठी के पिछवाड़े पहुंचीं…फिर जिस ढंग से छिपकर वह कोठी से निकली थीं…उसी ढंग से बिना आवाज किए वापस बैडरूम में पहुंच गई। अंजला ने बैड पर बैठकर संतोष की सांस ली और बोली‒”थैंक्स गॉड! किसी को खबर नहीं हुई…मुझे तीन दिनों से […]

Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 12

रात के लगभग आठ बजे देवयानी खुद नीचे उतर आई‒बंगले में गहरा सन्नाटा था, केवल किचन में बर्तन खड़कने की आवाज आ रही थी…वह किचन में आई तो वही नौकर खाना बना रहा था…वह शिष्टता से बोला‒”खाना लाऊं, मेमसाहब।” कच्चे धागे नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1 “तुमने सबने […]

Posted inउपन्यास

कच्चे धागे – समीर भाग- 11

शाम तक सोच-सोचकर भी अंजला इस फैसले पर नहीं पहुंच पाई कि देवयानी द्वारा दिया गया परामर्श वह मान ही ले…हां, उसने विवेक से भेंट के लिए खुद को जरूर तैयार कर लिया था। उसे इन्तजार था तो केवल देवयानी के फोन का। कच्चे धागे नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर […]

Gift this article