कई दिनों बाद विवेक कॉलेज जाने के लिए तैयार होकर निकला…उस रात के बाद देवयानी बिल्कुल उस वर्ग की बस्ती के शरीफ घराने की बहू बन गई थी…उसने विवेक को भी मन से अपना लिया था…फिर एग्जाम तक के लिए वह मांजी और विवेक की अनुमति से बंगले पर चली गई थी…विवेक खुश हो गया […]
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कच्चे धागे – समीर भाग- 9
विवेक की मदहोशी तब कुछ कम हुई जब उसने कार का दरवाजा खुलने और फिर बंद होने की आवाज सुनी…उसने आंखें खोलने की कोशिश की तो ऐसा लगा जैसे कुछ लहरें-सी चल रही हों। अचानक उसके कानों में आवाज आई‒”मम्मी! आज पहली बार तो उसे मुश्किल से घर लाई हूं।” “बेटी! तुम उसके साथ खोली […]
कच्चे धागे – समीर भाग- 8
विवेक के बदन पर दूल्हे का जोड़ा था…सिर पर सेहरा बंधा था…जब वह सुहाग कक्ष में दाखिल हुआ तो फूलों से सजी सेज पर अंजला बनी संवरी दुल्हन बनी बैठी थी‒विवेक की आंखों में आंसू छलक रहे थे‒चेहरे से लगता था जैसे रो पड़ेगा। कुछ देर तक वह दरवाजे के पास ही खड़ा रहा‒अंजला ने […]
कच्चे धागे – समीर भाग- 7
रात के लगभग बारह बजे होंगे….विवेक एक स्टॉप पर बस से उतर आया…वह विस्की के नशे में धुत्त था, मगर बिल्कुल मदहोश नहीं था, बहुत खुश भी था। एक बंगले के पिछवाड़े जाकर उसने दीवार फलांगी…अन्दर कूद गया तो चौकीदार के कानों में आवाज पहुंच गई चौकीदार दौड़ कर उधर आया‒वहां था तो अंधेरा, लेकिन […]
कच्चे धागे – समीर भाग- 6
विवेक अपनी बस्ती से निकला। बस्ती से बाहर खड़ी कार देखकर वह कार के पास आया जिसमें महेश बैठा हुआ था। “अरे…महेश…तू!” “तूने तो मुझे भुला ही दिया…मैंने सोचा स्वयं ही मिल आऊं।” कच्चे धागे नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1 “क्या बात करेेला है…अपन तो समझा था तेरे […]
कच्चे धागे – समीर भाग- 5
विवेक कॉलेज के सामने वाले बस स्टॉप पर उतरा तो सबसे पहले उसे जूली ही नजर आई जो चौंककर विवेक को देखने लगी‒विवेक सड़क पार करके जूली के पास आकर बोला‒ “क्या अपन के इन्तजार में खड़ी है?” कच्चे धागे नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1 “हां…विवेक, अंजला ने […]
कच्चे धागे – समीर भाग- 4
“अरे मां सुन तो सही।” “कमीने…कॉलेज से निकलकर अपना भविष्य बर्बाद कर लिया।” “मां…वह तो।” “मुझे सब कुछ मालूम हो गया है…तूने एक शरीफ लड़की के साथ बेहूदगी की थी…इस कारण तुझे कॉलेज से निकाल दिया गया है।” कच्चे धागे नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1 “मां…मैं उस लड़की […]
कच्चे धागे – समीर भाग- 3
बड़ी मुश्किल से विवेक ने इन्टरवल तक के पीरियड गुजारे। रिसेस की घंटी बजते ही वह तेज-तेज बाहर निकला और एक स्टूडेंट से पूछा‒ “अरे…वो…प्रिन्सेस डायना कहां है?” “कौन प्रिन्सेस?” “अरे….अपन की प्रेमिका अंजला।” कच्चे धागे नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1 “उधर लायब्रेेरी में स्टडी कर रही है।” […]
कच्चे धागे – समीर भाग- 2
विवेक को थोड़ा होश आया तो सबसे पहले उसे छत नहर आई…उसने आंखें मलकर पलकें झपकाईं तो उसे याद आया कि वह तो रेल की पटरी पर महेश के साथ लेटा था…अचानक लोकल ट्रेन आई थी और उसका दिल बहुत जोर से धड़का था‒तो क्या मैं मर गया हूं?’ उसने सोचा, फिर मद्धिम से स्वर […]
कच्चे धागे – समीर भाग- 1
“सुनो अंजला! मैं तुमसे प्यार करता हूँ। तुम्हारे बगैर जिन्दा नहीं रह सकता। तुम्हें मेरा प्यार स्वीकार करना ही पड़ेगा। जवाब दो।” “चटाख!” एक जोरदार थप्पड़ की आवाज गूंजी। “मिल गया जवाब?” अंजला ने गुस्से से कहा….”या पैर की इज्जत हाथ में लेकर दूं?” “नहीं, नहीं…।” विवेक जल्दी से न के संकेत में हाथ हिलाता […]
