Hindi Kahani: धारचूला से पिथौरागढ़ का संकरा और सर्पीला मोटर मार्ग, कभी नीचे गोरी गंगा के दर्शन होते हैं तो कभी काली गंगा के। इन दोनों का संगम स्थल बहुत ही सुन्दर, किसी का भी हृदय मोह लेने वाला। मुंस्यारी की ओर से आ रही गोरी गंगा और धारचूला की ओर कैलाश से आती काली […]
Author Archives: रमेश पोखरियाल निशंक
चक्रव्यूह – गृहलक्ष्मी सिलेब्रिटी कहानी
Hindi Kahani: जैसे ही घड़ी की सुइयों ने बारह बजाये और एक-एक करके बाहर घण्टों की आवाज सुनाई दी, तो शशांक ने सिर ऊपर उठा कर घड़ी की ओर देखा। ‘ओफ्फोह! आज फिर बारह बज गये! लगता है घर पहुँचते-पहुँचते एक तो बज ही जायेगा। पल्लवी फिर मुँह फुलाकर सो गई होगी, किन्तु क्या करे […]
एक यक्ष प्रश्न—गृहलक्ष्मी की कहानियां
गृहलक्ष्मी की कहानियां-नर सेवा ही नारायण सेवा है! किसी का दुःख हरना एक बहुत बड़ा धार्मिक अनुष्ठान है, पूजा है। मात्र अपने लिए तो एक जानवर भी जीता है, लेकिन वह इंसान ही क्या जो अपने आसपास के वातावरण के प्रति इतना भी संवेदनशील न हो कि दीन-हीन तथा रुग्ण लोगों के प्रति उसका दिल […]
संकल्प – गृहलक्ष्मी की कहानियां
मनवर को पुलिस पकड़ कर ले गई तो गांव में हड़कम्प मच गया। हर सांय कच्ची शराब को हलक में उतारने वालों के लिए यह बुरी खबर थी। देखते ही देखते यह खबर पूरे इलाके में जंगल की आग की तरह फैल गई। करछूना गांव की महिला पंचायत की यह हाल के दिनों में सबसे […]
अंधेर: गृहलक्ष्मी की कहानियां
गृहलक्ष्मी की कहानियां: कभी सभ्यता-संवेदना के पर्याय रहे हमारे नगर-महानगर आज कितने रसातल में जा पहुँचे हैं। हम छोटे से सुख और छोटे-छोटे स्वार्थों के लिए कितने घिनौनेपन पर उतर आए हैं। हमारी मानवता, संवेदना कितनी जड़ हो गई है। इन तमाम सवालों को समेटे, एक ऐसे ही महत्वपूर्ण केस की अदालत में सुनवाई चल […]
मनीआर्डर: गृहलक्ष्मी की कहानियां
गृहलक्ष्मी की कहानियां: ‘सुन्दरू के पिता का मनीऑर्डर नहीं आया, इस बार न जाने क्यों इतनी देर हो गई? वैसे महीने की दस से पन्द्रह तारीख के बीच उनके रुपये आ ही जाते थे। उनकी ड्यूटी आजकल लेह में है। पिछले महीने तक वे सुदूर आईजॉल मिजोरम में तैनात थे, तब भी पैसे समय पर […]
एक और बेड खाली हो गया-गृहलक्ष्मी की कहानियां
‘अरे राजू जल्दी से आओ, एक और बेड खाली हो गया ! जल्दी से डेड बॉडी हटाकर चादर बदल दो और जिसका अगला नम्बर हो, उसे बेड दे दो।’ नर्स सिस्टर रोजी ने बार्ड व्वॉय राजू को आवाज देते हुए कहा,”रोजी की आवाज सुनते ही जमीन पर लेटे हुए कई मरीजों ने आशापूर्ण नजरों से […]
नशा- गृहलक्ष्मी की कहानियां
कहते हैं जवानी का गुमान हमें मुगालतों की दुनिया में खींच ले जाता है। हम सपनों में उतरने लगते हैं। जमीनी हकीकतों से कतई अनजान, इन्हीं सपनों पर इतराने-इठलाने लगते हैं। सच्चाइयों से परे अपना बिल्कुल अलग ही संसार गढ़ लेते हैं और फिर भ्रम में जीते हुए पूरी तरह इसी में रम जाते हैं। […]
विपदा जीवित है – गृहलक्ष्मी की कहानियां
खद्दर का मैला-कुचैला सा कुर्ता, उसके ऊपर वास्कट, नीचे काले रंग की पैंट और बाहर से काली त्यूंखी पहने हुये बड़ा मायूस सा चेहरा। उम्र यही कोई 35 वर्ष के लगभग, किन्तु वेशभूषा वृद्धों जैसी। ठीक मेरी दाहिनी ओर बैठा था वह व्यक्ति। उसके बगल में बैठा था उसी की वेशभूषा का उसका साथी। बस […]
बहारें लौट आएंगी – गृहलक्ष्मी की कहानियां
उसका हँसना पता नहीं क्यों मुझे अच्छा लगा। वह बार-बार मेरी ओर देखे जा रहा था। जब-जब उससे मेरी निगाहें मिलती, वह धीरे से मुस्करा जाता। मेरी समझ में नहीं आया कि वह मुझे देखकर क्यों मुस्करा रहा है, किन्तु उसका मुस्कराना मुझे अच्छा ही लगा। मासूम चेहरा, शक्ल सूरत से अच्छा पढ़ा-लिखा और सभ्य […]
