Childhood Parenting: अपने बच्चे को हेल्दी बनाना और बीमारियों से दूर रखना ही हर माता-पिता की पहली प्राथमिकता होती है। बच्चे को स्वस्थ बनाए रखने के लिए पेरेंट्स बचपन से ही उसकी फिजिकल एक्टिविटी, डाइट और मेडिसिन का ध्यान रखते हैं। लेकिन पेरेंटिंग के दौरान हम कुछ बातों को नजरअंदाज कर देते हैं जिसका प्रभाव उसके चाइल्डहुड को ही नहीं बल्कि उसके एडल्टहुड को भी खराब कर सकता है। हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक तनावपूर्ण माहौल में पलने वाले बच्चों को भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार एक निश्चित पालन-पोषण के तरीके को अपनाने से बच्चे को स्ट्रॉन्ग इम्यून सिस्टम, हेल्दी हैबिट्स और डिजीज फ्री लाइफ दी जा सकती है। एडल्टहुड को बीमारियों से बचाने के लिए पेरेंट्स को किस प्रकार की पेरेंटिंग का सहारा लेना चाहिए चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या कहती है स्टडी

हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक बच्चों की पेरेंटिंग और उनके हेल्थ के बीच गहरा संबंध होता है। यह स्टडी बताती है कि सुरक्षात्मक पेरेंटिंग लाइफस्टाइल बच्चे के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती है, जो एडल्टहुड तक बना रहता है। तनावपूर्ण माहौल में पलने वाले बच्चों को भविष्य में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। स्टडी के अनुसार, जो बच्चे तनावपूर्ण परिस्थितियों में पलते हैं, जैसे पारिवारिक कलह, आर्थिक तंगी या भावनात्मक उपेक्षा, उनमें वयस्क होने पर मधुमेह, हृदय रोग और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। तनाव हार्मोन जैसे कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो जाती है। यह बच्चों में सूजन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है।
मस्तिष्क पर प्रभाव
बच्चे घर में जैसा माहौल देखते हैं वह बड़े होकर वैसा ही व्यवहार करते हैं। माता-पिता का व्यवहार बच्चों के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, प्यार और देखभाल से भरा माहौल मस्तिष्क के उन हिस्सों को मजबूत करता है, जो भावनाओं और निर्णय लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं। इसके विपरीत, उपेक्षा या कठोर व्यवहार मस्तिष्क के विकास को बाधित कर सकता है। यह बच्चों में चिंता, एंग्जाइटी और कमजोर निर्णय लेने की क्षमता का कारण बन सकता है।
स्ट्रैस से हेल्थ प्रभावित
स्टडी के मुताबिक तनावपूर्ण माहौल में बच्चे की परवरिश करने से बच्चे की फिजिकल और मेंटल डेवलपमेंट रुक जाता है। बच्चा बड़े होकर असुरक्षा की भावना से ग्रसित हो सकता है, लोगों द्वारा प्रताडि़त किया जा सकता है और यहां तक कि अपनी बेसिक आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पाता। तनावपूर्ण बचपन आगे चलकर डायबिटीज, हाई बीपी और हार्ट संबंधित समस्याओं को जन्म दे सकता है।
पेरेंट्स अपनाएं प्रोटेक्टिव पेरेंटिंग

प्रोटेक्टिव पेरेंटिंग इन नकारात्मक प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रोटेक्टिव पेरेंटिंग का अर्थ है बच्चों की भावनात्मक और शारीरिक जरूरतों पर ध्यान देना, उन्हें सुरक्षित माहौल प्रदान करना और उनकी समस्याओं को सुनना। माता-पिता जो अपने बच्चों के साथ खुलकर बात करते हैं, उनकी भावनाओं को समझते हैं और उन्हें प्रोत्साहन देते हैं, वे बच्चों में आत्मविश्वास और तनाव से निपटने की क्षमता विकसित करते हैं।
पेरेंट्स ऐसे बनाएं बच्चों को हेल्दी
– पेरेंट्स को बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहिए। छोटी-छोटी आदतें, जैसे रात को एक साथ खाना खाना, कहानियां सुनाना या बच्चों की समस्याओं को बिना जज किए सुनना, उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती हैं।
– पेरेंट्स बच्चे की शारीरिक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर सकते हैं। जैसे खेलकूद या योग में हिस्सेदारी लेना। संतुलित आहार और नियमित नींद की आदतें बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती हैं।
– बच्चों को समय-समय पर करें प्रोत्साहित। एक सुरक्षित, प्रेमपूर्ण और सजग परवरिश न केवल बच्चों को स्वस्थ रखती है, बल्कि उन्हें एक बेहतर और आत्मविश्वास से भरा जीवन भी देती है।
