Perfect Parenting Pressure
Perfect Parenting Pressure

perfect parenting pressure: आजकल के माता-पिता के पास अपने बच्चों के सही विकास और मार्गदर्शन के लिए जितनी ज्यादा जानकारी उपलब्ध है, उन पर उतना ही ज्यादा दबाव भी है एक परफेक्ट पेरेंट्स दिखाने का, ये दबाव सोशल मीडिया की वजह से भी है। आज के सोशल मीडिया के समय में हर पेरेंट्स अपने बच्चों को नई-नई एक्टिविटी सीखाने के नाम पर पूरे दिन व्यस्त रखना चाहते हैं। माता-पिता हर नई चीज़ सीखने के लिए अपने बच्चों पर दबाव डालते हैं और यह दबाव केवल इसलिए ताकि पेरेंट्स सोशल मीडिया पर अपने बच्चों की एक्टिविटी को पोस्ट कर खुद को परफेक्ट पेरेंट्स दिखा सके।

माता-पिता का अपने बच्चों को हर क्षेत्र में बेहतर बनाने की जो होड़ है, उसमें पेरेंट्स अपने बच्चों के मानसिक तथा भावनात्मक स्थिति को भी अनदेखा कर रहे हैं। माता-पिता का परफेक्ट पैरंट्स बनने का यह तरीका उनके बच्चों को तनाव ग्रस्त बना रहा है।

perfect parenting pressure
perfect parenting pressure-Fear of making a mistake Credit: Side Effects Of Tiger Parenting

सोशल मीडिया के दौर में आज के माता-पिता के पास जानकारी का कोई अभाव नहीं, अभाव उन जानकारी को सही से समझने का है। वर्तमान समय में पेरेंट्स अपने बच्चों की परवरिश में कोई गलती नहीं करना चाहते, बेशक इसके लिए अपना दिनचर्या तय करने के लिए वह सोशल मीडिया, AI, तक का सहारा लेते हैं। पेरेंट्स अपनी रिसर्च करते समय भूल जाते हैं की बचपन सारा दिन रोबोट की तरह स्कूल या फिर अलग-अलग क्लासेस में बिताने के लिए नहीं है। माता-पिता अपने बच्चों को हर क्षेत्र में अव्वल बनाना चाहते हैं, लेकिन वह भूल जाते हैं बच्चे की भावनाओं को।

पेरेंट्स आप इंसान है और परवरिश एक कला है जो हर माता-पिता के लिए अलग है जो उनके बच्चे के हिसाब से सीखा जाता है। आप अपने बच्चों को अच्छा भविष्य देने के लिए लेख, सोशल मीडिया या फिर AI की मदद लें। लेकिन याद रखें आप इंसान हैं, इंसान गलती कर सकते हैं। आप अपने और अपने बच्चों को ध्यान में रखते हुए अपना चुनाव करें ना कि परफेक्शन के दबाव में।

जब आप अपने बच्चों को हमेशा दूसरों से बेहतर बनाना चाहते हैं तो वह खुद पर हमेशा एक तुलनात्मक दबाव महसूस करता है। बच्चों के अंदर यह तुलनात्मक दबाव उसके अंदर खुद पर संदेह करने की भावना को पैदा करता है तथा वह खुद के ऊपर मानसिक दबाव महसूस करता है।

पेरेंट्स के परफेक्शन के कारण बच्चा कुछ भी नया सीखने में आनंद के अनुभव की जगह प्रतिस्पर्धा की भावना को ऊपर रखता है जो उसे आपके तुलनात्मक सोच के कारण मिलता है।

जब माता-पिता अपने बच्चों में सदा गलतियां निकाल कर उसे सुधार करने की बात करते हैं तो बच्चे के अंदर कभी खुद को सही न कर पाने की भावना का विकास होता है। वह खुद पर हमेशा संदेह करता है।

माता-पिता के हर समय दबाव देने के कारण बच्चा खुद को खीज और गुस्से से भरा हुआ महसूस करता है। वह इस भावना से पीड़ित हो जाता है कि उसके माता-पिता को सिर्फ काम से मतलब है, उसकी खुशी के बारे कोई नहीं सोचता। इस सोच के साथ बच्चा खुद को आपसे दूर कर लेता है।

अपने बच्चों को स्वीकारें। वह जैसे हैं वैसे ही उन्हें समझें अगर आप अपने बच्चों को समझते हैं तथा प्यार से समझाते हैं तो वह अपनी गलतियों को सुधारने के लिए काम करते हैं।

अपनी तुलना दूसरे पेरेंट्स से ना करें, बल्कि अपने बच्चों की परवरिश अपने तथा अपने बच्चों की स्थिति के अनुसार करें।

अपने बच्चों पर सब कुछ सीखने का दबाव न डालें, बल्कि अपने बच्चों की प्रतिभा को जानकर उसे सीखने में उसकी मदद करें।

निशा निक ने एमए हिंदी किया है और वह हिंदी क्रिएटिव राइटिंग व कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। वह कहानियों, कविताओं और लेखों के माध्यम से विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं। साथ ही,पेरेंटिंग, प्रेगनेंसी और महिलाओं से जुड़े मुद्दों...