क्या किसी ने कहा कि बच्चे का पालन-पोषण आसान था? नहीं न, क्योंकि बच्चों को पालना आसान नहीं है। क्योंकि केवल खाना खिलाना, हर समय उनकी अपनी नजर बनाए रखना पालन-पोषण का हिस्सा नहीं है। बल्कि इसमें कई चीजें शामिल हैं।
माता-पिता बनना एक चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं में से एक है। आपको अपना हंड्रेड परसेंट देना पड़ता है अगर आप अपने बच्चों को पालना चाहते हैं तो। आज हम इसी बारे में बताने जा रहे हैं कि आपको पेरेंटिंग को कैसे पॉजिटिव बना सकते हैं।
एक पॉजिटिव एनवायरमेंट प्रोवाइड करें
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बच्चों के लिए सबसे जरूरी है कि वो एक पॉजिटिव एनवायरमेंट में रहें। घरवालों के बीच अगर कोई मतभेद होता है तो उन्हें शांतिपूर्वक ढंग से सॉल्व करें न कि चिल्लाकर। इससे बच्चों की मानसिकता पर असर पड़ता है। कोशिश करें कि घर में कोई जोर से बात न करें न ही लड़ाई करें। पति-पत्नी को भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि वो बच्चों के सामने लड़ाई न करें। इससे बच्चे सहम जाते हैं और मां-बाप से दूर होने लगते हैं।
बच्चों को डांटने की जगह समझाना शुरू करें
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कई बार पेरेंट्स अपने काम की नाराजगी बच्चों पर उतार देते हैं। या फिर उनसे कोई बात मनवाने के लिए डांट देते हैं। डांटने की वजह से अमूमन बच्चे चिरचिरे हो जाते हैं और आपके बात करना बंद कर सकते हैं। इसलिए अपने ऑफिस के काम को वहीं छोड़कर आए। साथ ही बच्चों को डांटने की जगह उन्हें समझाएं कि किस तरह का व्यवहार करना चाहिए। प्यार से समझाने पर वो आपकी बात सुनते भी हैं और समझते भी हैं।
किसी एक काम की जिम्मेदारी दें
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जब बच्चा छोटा होता है तो उसे केवल दूसरों से प्यार मिलता है, लेकिन जब वो धीरे-धीरे बड़ा होता है तो उसे प्यार देना सीखना चाहिए वो भी जिम्मेदारी के साथ। जैसे बच्चा 5 से 6 साल का हो जाए तो उसके लिए घर में एक पालतू जानवर लाकर दें और उससे कहें कि उसकी पूरी जिम्मेदारी उसकी है। इसके अलावा आप बच्चे को एक प्लांट दे सकते हैं जिसकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी उसकी होगी। ऐसे वो जिम्मेदार बनने के लिए पहला कदम उठाएंगे।
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आउटडोर एक्टिविटी
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इन दिनों बच्चों का मोबाइल फोन इस्तेमाल करना आम हो गया है। मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के कई नुकसान है। बच्चे कम उम्र में बहुत सारी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं लेकिन किसी भी चीज का एक्सपीरियंस नहीं मिलता है। ऐसे में वो चीजों से जल्दी बोर हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें आउटडोर एक्टिविटी में हिस्सा लें। आप बच्चे का इंट्रेस्ट डिसकवर करें और कोशिश करें कि वो उनमें अपना समय बिताएं। किसी बच्चे को डांस पसंद आता है, तो कोई फुटबॉल में इंटरेस्ट लेता है। ऐसे में उन्हें खेलने या डांस करने के लिए प्रेरित करें।
अपने कल्चर से जुड़ाव बनाएं
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इन दिनों वेस्टर्न कल्चर का लोगों को इतना प्रभाव पड़ चुका है कि लोग भारतीय कल्चर को भूलते जा रहे हैं। बच्चों में ये सीख घर से ही मिलती है। कोशिश करें कि बच्चों के साथ हर फेस्टिवल सेलिब्रेट करें, उन्हें हमारे देश के इतिहास को कहानी के तरह सुनाएं ताकि उन्हें भारत के इतिहास की जानकारी प्राप्त हो सके। साथ ही हर त्योहार को सेलिब्रेट करें।
मातृभाषा सिखाएं
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स्कूलों में अब इंग्लीश भाषा बोलने पर जोड़ दिया जा रहा है। ऐसे में बच्चे मातृभाषा से दूर होते जा रहे हैं। अंग्रेजी सीखना जरूरी है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि वो हिंदी, मराठी, गुजराती और अन्य भारतीय भाषा से दूर हो जाए। इसके लिए जरूरी है कि आप घर में बच्चों के साथ मातृभाषा में बात करें और उनसे इसका महत्व भी समझाएं।
कम्युनिकेशन
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बच्चों को अक्सर अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां करने में मुश्किल होती है। इसलिए जरूरी है कि उनसे बात करें। उन्हें इस बात से ही खुशी मिलेगी कि उनके माता-पिता उन्हें सुन रहे हैं। उनसे उनके दिन के बारे में पूछें। साथ ही अपने बारे में भी बताएं। न केवल अपनी समस्याओं के बारे में बल्कि अपने दैनिक जीवन के बारे में भी। ऐसे में वो अपनी समस्याओं को लेकर आपसे खुलकर बात कर पाएंगे।
उन्हें अपने हिस्से की गलती करने दें
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अक्सर माता-पिता अपने बच्चों के कई ऐसे काम करने से रोकते हैं जिनके बारे में उन्हें लगता है कि ये गलत है या इससे उनके बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि हर बार ऐसा करना सही नहीं होगा क्योंकि बच्चों को सबसे बड़ी सीख तब मिलेगी जब वो गलती करेंगे। इसलिए बच्चों को उनके हिस्से की गलती करने से न रोके। बाद में वो खुद सीखेंगे और अपनी गलती सुधारेंगे।
अपने बच्चे को अन्य बच्चों के साथ कंपेयर न करें
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बच्चों के साथ साथ एडल्ट को भी एक चीज कतई पसंद नहीं है वो ये है कि किसी अन्य व्यक्ति के साथ खुद का कंपेरिजन। अपनी या अपने बच्चों की दूसरों से तुलना करके आप केवल खुद को और अपने परिवार को असंतुष्ट और दुखी करेंगे।
ध्यान रखें कि दूसरे क्या कर रहे हैं यह आपके लिए महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अलग होता है और सभी के पेरेंटिंग का तरीका भी अलग होता है। इसलिए अपने बच्चे पर भरोसा रखें और उन्हें कभी ये एहसास न होने दें कि वो किसी से कम या ज्यादा हैं।
माफ करना सीखाएं
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बच्चे कभी-कभी गड़बड़ करते हैं। ऐसे में पेरेंट्स उन्हें डांटते हैं लेकिन फिर माफ कर देते हैं। हालांकि जब पेरेंट्स गलती करते हैं तो वो कभी माफी नहीं मांगते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। जब भी आपसे कोई गलती हो जाए तो अपने बच्चों से माफी मांगने में शर्माना नहीं चाहिए। उनसे माफी मांगने के साथ साथ उन्हें ये भी सिखाएं कि किसी को माफ करना कितना जरूरी है। अगर किसी से गलती हो जाती है या कोई आपका दिल दुखाता है तो और फिर माफी मांगता है तो उसे माफ कर देना चाहिए। कोई भी बात मन में रखने से माफ करना बेहतर है। इससे आपका ही फायदा होगा।
ये वो टिप्स है जो एक हेल्दी पेरेंटिंग में आपकी मदद करेगा। इन बातों को ध्यान में रखें और बच्चों के साथ साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है।