Mom Entrepreneur: 11 मई को मदर्स डे है और इसका भी अपना इतिहास है। अमेरिका के एना जाॢवस ने अपनी मां की स्मृति में 1907 में इसे मनाया था। बाद में इसे एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता प्राप्त हुई।
शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास, रौनकें जितनी यहां हैं औरतों के दम से हैं।
- मां का प्यार, त्याग और समर्पण इतना व्यापक और निरंतर होता है कि उसे केवल एक दिन में समेटना मुश्किल है। उन्होंने न केवल हमें जन्म दिया और पाला-पोसा, बल्कि अक्सर अपने सपनों और इच्छाओं की भी आहुति दी ताकि हम बेहतर जीवन जी सकें। इस त्याग पर हमें गर्व की बजाय कृतज्ञता महसूस करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्हें भी अपनी जिंदगी जीने का पूरा मौका मिले। उनकी इच्छाओं और सपनों को पूरा करने में हमारी मदद करना हमारा कर्तव्य है।
- यह बहुत ही सराहनीय है कि आज हम उन महिलाओं की बात कर रहे हैं जो न केवल मां हैं बल्कि एक सफल उद्यमी भी बनी हैं, जिन्हें ‘मॉमप्रेन्योर के नाम से जाना जाता है।
ये महिलाएं एक प्रेरणास्रोत हैं, जो यह साबित करती हैं कि मातृत्व और करियर दोनों को सफलतापूर्वक निभाया जा सकता है। वे अपने बच्चों की देखभाल के साथ-साथ अपने उद्यम को भी आगे बढ़ा रही हैं, अपनी प्रतिभा और मेहनत से सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। आइए, इस मदर्स डे पर हम उन सभी माताओं के बारे में बात करें जिन्होंने न केवल मां की भूमिका ही निभाई है बल्कि एक सफल मॉमप्रेन्योर अर्थात उद्यमी भी बनी हैं।
मां भी, उद्यमी भी: वो महिलाएं जिन्होंने सशक्तिकरण की नई
परिभाषा गढ़ी
अक्सर हमारे समाज में यह सोच बन चुकी है कि एक औरत का असली काम सिर्फ घर संभालना, बच्चों को पालना और रसोई तक सीमित रहना है। लेकिन वक्त के साथसाथ यह सोच भी बदल रही है। आज की महिलाएं न सिर्फ घर की जिम्मेदारी निभा रही हैं, बल्कि अपने सपनों को भी पंख दे रही हैं। खास बात ये है कि ये महिलाएं मां बनने के बाद भी अपने करियर और बिजनेस को लेकर उतनी ही गंभीर हैं, जितनी पहले थीं।
मां बनना जितना खूबसूरत अनुभव होता है, उतना ही जिम्मेदारी भरा भी। लेकिन कुछ महिलाएं हैं जिन्होंने इस जिम्मेदारी को बोझ नहीं, बल्कि ताकत बनाया। उन्होंने बच्चे की परवरिश के साथ-साथ अपने सपनों को भी जिंदा रखा और एक सफल उद्यमी बनकर दिखाया। ये महिलाएं समाज को ये दिखा रही हैं कि महिला की जगह सिर्फ किचन में नहीं, बल्कि बिजनेस मीटिंग्स, स्टार्टअप्स, ब्रांड्स और बोर्डरूम में भी है।
1.गज़ल अलघ
प्रेरणा की मिसाल बनीं गज़ल अलघ होनासा कंज्यूमर प्राइवेट लिमिटेड (Mamaearth) की सह-संस्थापक और मुख्य नवप्रवर्तन अधिकारी हैं। एक मां बनने के बाद सुरक्षित और प्राकृतिक बेबी केयर उत्पादों की कमी महसूस होने पर, उन्होंने अपने पति वरुण अलघ के साथ मिलकर Mamaearth की शुरुआत की। उनकी दूरदर्शिता और कुछ अलग सोचने वाली सोच ने Mamaearth को एक सफल और लोकप्रिय ब्रांड बना दिया है, जो आज प्राकृतिक और टॉक्सिन-मुक्त उत्पादों के लिए जाना जाता है। ऐसे सफर में परिवार, खासकर पति और ससुराल वालों का सपोर्ट बहुत जरूरी होता है। जिन महिलाओं को घर से साथ मिला, वो और भी मजबूती से
अपने पैरों पर खड़ी हो पाईं।
2.राधिका गुप्ता
इनका जीवन संघर्षों से भरा रहा है। जन्म के समय गर्दन में समस्या के कारण उन्हें शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। स्कूल में उनका मजाक उड़ाया गया और नौकरी के लिए सात बार अस्वीकार कर दिया गया, जिससे वह अवसाद में चली गईं। इन मुश्किलों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और आज एडलवाइस म्यूचुअल फंड्स की सीईओ हैं, जो उनकी दृढ़ता और संघर्ष की कहानी बयां करती है। ऐसी कहानियां हमें ये सिखाती हैं कि जिंदगी में बदलाव कोई रुकावट नहीं, बल्कि एक नया रास्ता हो सकता है।
3.विनीता सिंह

विनीता सिंह, शुगर कॉस्मेटिक्स की सह-संस्थापक और सीईओ, ने शुरुआती दौर में कई चुनौतियों का सामना किया। उन्होंने अच्छी शिक्षा के बावजूद नौकरी पाने के लिए संघर्ष किया और अपना खुद का उद्यम शुरू करने का जोखिम उठाया।
उनके पहले कुछ व्यावसायिक प्रयास असफल रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। विनीता ने अपनी दृढ़ता, जुनून और कड़ी मेहनत के बल पर शुगर कॉस्मेटिक्स को एक सफल और लोकप्रिय ब्रांड
बनाया। उनका जीवन असफलता से सफलता की ओर बढ़ने की प्रेरणादायक कहानी है।
4.सुची मुखर्जी

सुची मुखर्जी एक भारतीय उद्यमी और limeroad की सह-संस्थापक हैं। मां बनने के बाद, उन्हें लगा कि ऑनलाइन शॉपिंग में औरतों के लिए अच्छे विकल्प और आसानी से ढूंढने की सुविधा होनी चाहिए। इसी सोच ने उन्हें limeroad शुरू करने के लिए प्रेरित किया, जो महिलाओं के लिए एक अनूठा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बना। एक उद्यमी और मां की भूमिका को निभाते हुए, सुची ने चुनौतियों का सामना किया लेकिन अपने जुनून और दृढ़ संकल्प से सफलता हासिल की। इन मॉमप्रेन्योर्स ने न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक नया उदाहरण स्थापित किया है। उन्होंने यह
साबित किया है कि महिलाएं घर और करियर दोनों को कुशलता से संभाल सकती हैं और मां बनना उनकी प्रगति में बाधा नहीं बनता। चाहे उनकी भूमिकाएं कितनी भी बहुआयामी क्यों न हों। इस
लेख में मैं उन प्रेरणादायक मांओं की बात की है जिन्होंने उद्यमिता में सफलता की नई कहानियां लिखी हैं। गज़ल अलघ, राधिका गुप्ता, विनीता सिंह और सूची मुखर्जी जैसी महिलाओं ने मातृत्व की
जिम्मेदारी निभाते हुए अपने सपनों को साकार किया। इन्होंने समाज की रूढ़िवादी सोच को चुनौती दी और साबित किया कि मां बनना करियर में बाधा नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हो सकता है। उनकी कहानियां महिला सशक्तिकरण की सच्ची मिसाल हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती
रहेंगी। इस लेख को पूरा करते हुए न जाने क्यूं यकायक एक नजीर बनारसी का एक शेर याद आ गया’इस पुरानी बेवफा दुनिया का रोना कब तलक, आइये मिलजुल के इक दुनिया नयी पैदा करें…’
“आज हम उन महिलाओं की बात कर रहे हैं जो न केवल मां हैं बल्कि एक सफल उद्यमी भी बनी हैं, जिन्हें ‘मॉमप्रेन्योर’ के नाम से जाना जाता है।
