Pike ho Kya
Pike ho Kya

Hindi Kahani: अंतरिक्ष जिसे खगोल, नभमंडल,गगननमंडल और आकाश मंडल भी कहते हैं। आजकल उसकी वैल्यू अचानक से बढ़ गई है जिसे देखो वही रेस लगाए पड़ा है।अंतरिक्ष के क्षेत्र में छोटे हो या बड़े हर देश में एक होड़ सी लगी है क्योंकि सभी यह जानते हैं कि भविष्य में सारी दुनिया में उसी का दबदबा होगा जिसका अंतरिक्ष में वर्चस्व होगा। अब जब दबदबे की बात हो तो भारत पीछे कैसे रह जाए!भारत के वैज्ञानिक भी इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं शायद इसीलिए इसरो के अनुसार सन 2030 तक भारत द्वारा अंतरिक्ष में अपना एक अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापित कर लेने की घोषणा कर दी गई है।अब अंतरिक्ष  स्टेशन से हमें फायदा होगा या नुकसान यह तो भविष्य ही जाने पर सोचने का विषय यह है कि यह बात दिमाग में आई तो आई कैसे?

सच बताऊॅं तो इसक मुख्य कारण हमारे एलियन बंधु है जब देखो तब बिना बात मुॅंह उठाए हमारे गोले पर तफरी मारने चले आते हैं तो फिर हमारा भी उनके घर  यानी अंतरिक्ष में भी आना-जाना तो बनता ही है ना।अरे कौन रोका है उन्हें आने-जाने से…अरे भाई आना ही है तो कम से कम पहले से बता दिया करो।यूॅं बिन बुलाए मेहमान की तरह कहाॅं से आए और कहाॅं चले गए पता ही नहीं चलता।ऊपर से डर अलग जाते हैं पर आपके आगमन से चैनल वालों को फायदा जरूर हो जाता है उनकी रोजी-रोटी जरूर चल निकलती है। आते-जाते आप चैनल वालों को एक मसालेदार तड़कती-भड़कती चटपटी खबर जरूर दे जाते हैं। रात के ग्यारह बजे दाढ़ी वाला एंकर गला फाड़-फाड़ चिल्लाता है,”ध्यान से देखिए आसमान में  चमकती ये रौशनी हमारे गोले पर आखिर ये क्या करने आई है।कहीं यह खतरे की घंटी तो नहीं?” 

 पर भइया बुरा न मानें तो आपसे एक बात पूछनी थी।अंतरिक्ष से आने वाले आपके बंधु हमारे यहाॅं हमेशा उड़न तश्तरी से ही क्यों आते है?यहाॅं ई गोला वाले लोग हर पाॅंच साल पर अपना दो पहिया और चार पहिया बदल देते है और आप सुधिजन एके वाहन पर चलते-चलते मेरा मतलब उड़ते-उड़ते उबियातें नहीं हैं!कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं।उड़न खटोले का ब्रांड ही चेंज कर देते।कितने वर्षों से उड़न तश्तरी पर ही उड़ रहे हैं।अरे भाई हम गोला वालों से कुछ तो सीखो।हम हमेशा कभी एयर इंडिया कभी जेट, कभी इंडिगो जैसी कंपनियों को सेवा करने का मौका देते हैं वैसे ही आप भी किसी और को भी मौका दीजिए।अब की बार…अरे-अरे तनिक रुकिए आप तो हर बात चुनाव पर ले जाते हैं।हमारे कहने का मतलब है इस बार उड़न तश्तरी से नहीं थोड़ा टेस्ट बदलिए और खुद को अप ग्रेड कीजिए। अब की बार उड़न कुकर या उड़न फ्राई पैन से आइए। 

वैसे एक बात बताइए आपके गोले में सिर्फ मर्द लोग ही रहते है।आप जब आते हो अपने यार-दोस्तों के साथ आते हो।मानना पड़ेगा बड़े लकी हो दोस्तों के साथ इंज्वॉय करने का मौका मिल जाता है।वो पिछली बार पीके भइया भी अपने गोला से दोस्तों के साथ नगें-पुंगें ही आए थे।उनको देख हमें अपने वंशज याद आ गए थे।ठीक भी है हमारे गोले में तो कपड़े का बड़ा लोचा है।एक तो तीन तरह के मौसम के हिसाब के कपड़े पहनो ऊपर से कपड़ों में भी वैरायटी मॉर्निंग वॉक के अलग,स्विमिंग के अलग, फॉर्मल अलग,पार्टी वियर अलग, नाइट  वियर अलग…आपके कितने पैसे बच जाते हैं।

खैर!तनिक एक बात बताइए आपके गोले में बीबी,बच्चे और अम्मा बाबूजी टाइप लोग नहीं होते हैं क्या…नहीं होते होंगे तभी जब देखो तबे हमारे गोले पर राउंड मारते-फिरते हो।हमारे जैसे शादीशुदा होते तो जाने से पहले भी ब्योरा देना पड़ता।

“कहाँ जा रहे हो?क्यों जा रहे हो?कैसे जा रहे हो?कब जा रहे हो?किसके साथ जा रहे हो?”

यह पूछ-पूछ कर हमारी मैडम कान पका देती और जो रही सही कसर बची होती घरवाले पूछ-पूछ कर पूरी कर देते हैं।अम्मा एक ही बात बार-बार पूछती हैं।

”तुम्हीं बार-बार क्यों जा रहे हो?कब तक वापस लौटोगे?जाना ज़रुरी है क्या?” 

अम्मा की बात अभी खत्म भी नहीं होती तब तक मैडम जी फिर कूद पड़ती है,

”अपने मन से जो लाओगे सो ले आना पर यह लिस्ट भी लेते जाओ।पिछली बार तो गच्चा दे दिए थे इस बार मत भूलना।” 

बाबूजी भी कहाॅं पीछे रहने वाले हैं। वह भी अपना पोथा खोल कर बैठ जाते हैं।

“तुम ही बार-बार इन फालतू के खोजों में क्यों उलझे रहते हो?अपना कीमती समय क्यों बर्बाद कर रहे हो? करना ही है तो कुछ कायदे का करो चार पैसे घर में आए? यह क्या जब देखो तब तश्तरी लेकर इधर से उधर डोलते रहते हो?यह फालतू के दोस्त-यारों को छोड़ो तुम्हें बहका रहे हैं। बिगाड़ कर रख देंगे। आखिर क्या फायदा होगा, फालतू की चीज हैं?”

बाबूजी के कमान से तीर खत्म होने का नाम ही नहीं लेते। 

“एक काम के लिए कह दो तो इनके पास टाइम नहीं रहता है,फालतू के काम के लिए इन्हें समय मिल जाता है।”

 तब तक अम्मा पीछे से आवाज लगाएंगी।

“तुम्हारे बाबूजी कई दिनों से आम-पुदीने की चटनी के लिए कह रहे हैं।लौटते वक्त नुक्कड़ से पुदीना और अमिया भी ले आना।”

और सबसे अंतिम बात…

 “पहुॅंच कर फोन कर देना, यह नहीं कि फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गई थी,फोन नहीं कर पाए। बहाना नहीं सुनेंगे तुम्हारा…”

वैसे एक बात कहें भइया हमारे गोले पर अभी जनसंख्या क्या कम है जो उत्पात मचाए खातिर वहाॅं अंतरिक्ष के गोलों को भी डिस्टर्ब करने को तैयार बैठे हैं!जब से सब लोग यह सुन लिए हैं कि मंगल ग्रह पर पानी है।सब अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर मंगल पर दंगल करने के लिए मेरा मतलब वहाॅं बसने की तैयारी करने में लगे हैं।माना बड़े-बुजुर्ग जंगल में मंगल करने की बात कहकर गए हैं पर ये मानव इस बात को इतना सीरियसली काहे ले लिए हैं।अपना मंगल कुंडली में ठीक से बैठ तो पा नहीं रहा है ऊपर से शनि की तिरछी नज़र जीवन में उत्पात मचाए पड़ी है और लोग वहाॅं बसने की तैयारी कर रहे हैं।

यह सब किया धरा पीके भैया का है।वह तो नाम के पीके थे पर यहाॅं तो अंतरिक्ष में बसने के नाम पर सब पी के हो गए हैं।अब आप ही बताइए हमारी ये दुखभरी कहानी,दर्द भरी दास्ताँ भला कौन सुनेगा? बड़े बुजुर्गों ने सही ही कहा है, “कूपे में ही भाॅंग पड़ी है।”