Marriage Penalty: शादी से पहले नौकरी करने वाली लड़की को इंडेपेंडेंट और होशियार माना जाता है। लेकिन जब वही लड़की शादी के बाद नौकरी करे तो उसे मतलबी और कैरियर ओरिऐंटेड कहा जाता है। नई नवेली बहू का नौकरी करना लोगों की नजरों में खटकता है। जहां शादी के बाद महिलाओं को नौकरी में ‘मैरिज पैनाल्टी’ भुगतनी पड़ती है, वहीं शादी के बाद पुरुषों को नौकरी में प्रीमियम मिलता है। मानव सभ्यता को आगे बढ़ाने में पुरुष और महिला के बीच शादी एक महत्वपूर्ण संबंध है। लेकिन अब यही शादी महिलाओं के लिए अभिशाप बन रही है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक शादी के बाद महिलाओं की कामकाज जिंदगी पूरी तरह बर्बाद हो जाती है।
क्या कहती है रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, शादी के बाद जहां पुरुषों को नौकरी में प्रीमियम मिलता है, वहीं दूसरी ओर शादीशुदा महिलाओं को ‘मैरिज पैनाल्टी’ का भुगतान करना होता है। इसके परिणामस्वरूप शादी के बाद महिलाओं के नौकरी छोड़ने की दर बढ़ जाती है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट बताती है कि भारत में शादी के बाद महिलाओं की रोजगार दर में 12 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है, जबकि इसके उलट शादी के बाद पुरुषों को रोजगार में 13 प्रतिशत प्रीमियम मिलता है। हालांकि यह प्रीमियम पांच साल बाद धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शादी के बाद एक तिहाई महिलाएं नौकरी छोड़ देती हैं। क्योंकि घर और परिवार की जिम्मेदारियों के साथ नौकरी करना उनके लिए आसान नहीं होता। इसके साथ ही परिवार से उन्हें उतना सपोर्ट भी नहीं मिलता कि वो नौकरी के साथ घर की जिम्मेदारियां भी आसानी से उठा सकें।
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चाइल्ड पैनाल्टी का सामना
भारत और मालद्वीप में, बिना बच्चों वाली महिलाओं के बीच ‘मैरिज पैनाल्टी’ शादी के पांच साल बाद तक जारी रहता है। इस ट्रेंड के लिए गहराई से जमे सामाजिक मानदंडों को जिम्मेदार ठहराया गया है। मैरिज पैनाल्टी के अलावा, महिलाओं को ‘चाइल्ड पैनाल्टी’ का भी सामना करना पड़ता है, क्योंकि बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी के चलते अक्सर महिलाओं को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
महिलाओं की भागीदारी कम

वर्ल्ड बैंक की यह रिपोर्ट साउथ एशिया में श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी को उजागर करती है। 2023 में कुल वर्क फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 32 प्रतिशत थी, जो पुरुषों की 77 प्रतिशत हिस्सेदारी के मुकाबले काफी कम है। साउथ एशिया के अधिकांश देश वर्ल्ड बैंक के महिला वर्कफोर्स भागीदारी इंडेक्स में सबसे निचले पायदान पर हैं।
शिक्षा से घटेगा जेंडर गैप
पुरुष और महिला दोनों के लिए उच्च शिक्षा मैरिज पैनाल्टी को कम कर सकती है। सेकेंडरी स्कूलिंग से ज्यादा शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाएं या समान एजुकेशनल बैकग्राउंड वाले पुरषों से शादी करने वाली महिलाओं के मैरिज पैनाल्टी का सामना करने की संभावना कम होती है।
महिलाओं की हिस्सेदारी से बढ़ेगी जीडीपी
रिपोर्ट के मुताबिक कामकाजी उम्र की दो-तिहाई महिलाएं अभी भी श्रम बल से बाहर हैं। श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के स्तर तक बढ़ाने से साउथ एशिया की जीडीपी में 13 से 51 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी। इतना ही नहीं यहां प्रति व्यक्ति आय में भी सुधार होगा। यदि महिलाएं पुरुषों की तरह नौकरियां करती हैं, तो साउथ एशिया की जीडीपी 51 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।
