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मेनोपॉज की शुरुआत के साथ ही हड्डियों का घनत्व यानी मोटाई कम होने लगती है। मेनोपॉज के बाद भी यह लगातार कम होती रहती है। इसका सबसे बड़ा कारण है शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी। इसकी ज्यादा कमी होने पर ऑस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
Menopause Bone Health: एक महिला अपने जीवनकाल में हार्मोनल चेंज के कई पड़ावों से गुजरती है। इसमें से आखिरी पड़ाव कहा जा सकता है मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति। आमतौर पर 45 से 50 साल की उम्र में महिलाओं में मेनोपॉज की शुरुआत होने लगती है। मेनोपॉज किस उम्र में आते हैं, यह काफी हद तक आपके जीन्स, हेल्थ और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है। मेनोपॉज के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन जैसे प्रजनन हार्मोन कम होने लगते हैं। ऐसे में मेनोपॉज अपने साथ कई समस्याओं का पिटारा भी लाता है। वजन बढ़ना, मूड स्विंग्स के साथ ही यह महिलाओं की हड्डियों और मांसपेशियों को भी काफी हद तक प्रभावित करता है। थोड़ी सी कोशिशों से आप इन दुष्प्रभावों से खुद का बचाव कर सकती हैं।
इसलिए प्रभावित होती हैं हड्डियां

मेनोपॉज की शुरुआत के साथ ही हड्डियों का घनत्व यानी मोटाई कम होने लगती है। मेनोपॉज के बाद भी यह लगातार कम होती रहती है। इसका सबसे बड़ा कारण है शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी। इसकी ज्यादा कमी होने पर ऑस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियों की मोटाई इतनी कम होने लगती है कि वह आसानी से टूटने लगती हैं। शोध बताते हैं कि मेनोपॉज के पहले पांच सालों में महिलाओं की हड्डियों का घनत्व औसत 10% तक कम हो जाता है। समय पर ध्यान नहीं देने पर यह आंकड़ा 25% तक भी पहुंचने का डर रहता है। यही कारण है कि 60 की उम्र पार करने वाली लगभग हर 2 महिलाओं में से एक को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होने का जोखिम रहता है।
समय रहते उठाएं जरूरी कदम
कुछ सावधानियां रखकर आप मेनोपॉज के बाद भी एक हेल्दी लाइफ जी सकती हैं। बस आपको अपनी हड्डियों और मांसपेशियों की सेहत का ध्यान रखना होगा। मेनोपॉज के बाद हर महिला को डेक्सा स्कैन जरूर करवाना चाहिए। इस टेस्ट से आपकी हड्डियों का घनत्व जांचा जाता है। इस टेस्ट के बाद आपको टी-स्कोर दिया जाता है, जिसके आधार पर हड्डियों के घनत्व का पता चलता है। हालांकि हेल्दी लाइफस्टाइल से आप ऑस्टियोपेनिया और ऑस्टियोपोरोसिस दोनों का जोखिम कर सकती हैं।
कैल्शियम और विटामिन डी पर करें फोकस
कैल्शियम और विटामिन डी दो ऐसे तत्व हैं, जिनकी मदद से आप अपनी हड्डियों की सेहत को सुधार सकती हैं। मेनोपॉज के बाद हर महिला को प्रतिदिन करीब 1300 मिलीग्राम कैल्शियम खाने का लक्ष्य रखना चाहिए। डेयरी प्रोडक्ट्स, बादाम, टोफू, नट्स, हरे पत्तेदार सब्जियां, फिश आदि कैल्शियम के अच्छे स्रोत हैं। इन सभी को आपको अपनी डेली डाइट में शामिल करना चाहिए। इसी के साथ विटामिन डी भी आपकी हड्डियों और मांसपेशियों के लिए जरूरी है। इसकी मदद से शरीर कैल्शियम को आसानी से अवशोषित कर पाता है। इसलिए प्रतिदिन आप सूरज की रोशनी का सेवन करें। सुबह 15 मिनट धूप में बिताएं। आप विटामिन डी के सप्लीमेंट भी ले सकती हैं।
लाइफस्टाइल में करें सुधार
लाइफस्टाइल में बदलाव करके भी आप मेनोपॉज के आफ्टर इफेक्ट्स को कम कर सकती हैं। अपनी फिटनेस पर ध्यान दें। नियमित रूप से एक्सरसाइज और योग करें। दिन में कम से कम 30 मिनट खुद के लिए जरूर निकालें। वॉकिंग, रनिंग, सीढ़ियां चढ़ना, रस्सी कूदना, डांस, एरोबिक्स, पुशअप, स्क्वाट जैसी एक्सरसाइज बेस्ट हैं। साथ ही शराब, धूम्रपान, चाय, कॉफी आदि से दूरी बनाएं। आप मेनोपॉजल हार्मोनल थेरेपी भी ले सकती हैं। इससे हड्डियों के नुकसान को रोका जा सकता है।
