early menopause symptoms
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अर्ली मेनोपॉज और प्रीमेच्योर मेनोपॉज जैसी स्थितियों ने महिलाओं की परेशानियां और बढ़ा दी हैं। चिंता की बात ये है कि अधिकांश महिलाएं अर्ली मेनोपॉज के बारे में ज्यादा जानती नहीं हैं।

Early Menopause Symptoms: हर महिला की जिंदगी में मेनोपॉज का दौर अपने साथ कई स्वास्थ्य समस्याएं लेकर आता है। वहीं अब अर्ली मेनोपॉज और प्रीमेच्योर मेनोपॉज जैसी स्थितियों ने महिलाओं की परेशानियां और बढ़ा दी हैं। चिंता की बात ये है कि अधिकांश महिलाएं अर्ली मेनोपॉज के बारे में ज्यादा जानती नहीं हैं। जबकि यह उनकी सेहत से जुड़ा एक अहम मुद्दा है। जयपुर के सिटी फैमिली हॉस्पिटल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु गुप्ता से जानते हैं इसके कारण और उपचार।

जानिए क्या है अर्ली मेनोपॉज

Cumin seeds and jaggery helps in periods problem
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मेनोपॉज को रजोनिवृत्ति भी कहा जाता है। आमतौर पर 45 से 55 साल की उम्र के बीच महिलाओं में इसकी शुरुआत होती है। लेकिन अगर 40 से 45 साल की उम्र से पहले मासिक धर्म आना बंद हो जाता है तो यह ‘अर्ली मेनोपॉज’ या ‘प्रीमेच्योर मेनोपॉज’ कहलाता है। इस स्थिति में अंडाशय समय से पहले ही अंडों का उत्पादन बंद कर देता है। जिससे प्रजनन चक्र को नियंत्रित करने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर कम हो जाता है। जिसका सीधा असर महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है।

मासिक धर्म की अवधि पर दें ध्यान

अगर किसी महिला को लगातार 12 महीने से ज्यादा समय से मासिक धर्म नहीं आया है तो यह मेनोपॉज और अर्ली मेनोपॉज है। हालांकि अर्ली मेनोपॉज शुरू होने से पहले हॉट फ्लैश जैसे लक्षण नजर आते हैं। कई बार कैंसर ट्रीटमेंट के लिए की गई कीमोथेरेपी और ओओफोरेक्टॉमी के कारण भी अर्ली और प्रीमेच्योर मेनोपॉज हो सकता है।

अर्ली मेनोपॉज के लक्षण पहचानें

अनियमित मासिक धर्म या सामान्य चक्र की तुलना में लंबे या छोटे मासिक धर्म होना अर्ली मेनोपॉज का सबसे अहम लक्षण है। अगर आपको मासिक धर्म के दौरान बहुत ज्यादा रक्तस्राव हो रहा है या सिर्फ स्पॉटिंग हो रही है तो ये भी अर्ली मेनोपॉज का इशारा है। मासिक धर्म अगर एक सप्ताह से ज्यादा समय तक चलता है तो यह प्रीमेच्योर मेनोपॉज का लक्षण हो सकता है। अर्ली मेनोपॉज के कारण महिलाओं को मूड स्विंग, यौन इच्छाओं में कमी, योनि का सूखापन, अनिद्रा, यूरिन लीकेज जैसी समस्याएं भी होती हैं।

ये हैं अर्ली मेनोपॉज के कारण

stress effect on hormones
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अर्ली मेनोपॉज के कई कारण हैं। जिनके विषय में हर महिला को जानकारी होनी चाहिए।

1. समय से पहले मासिक धर्म शुरू होना

डॉ. रितु का कहना है कि अर्ली मेनोपॉज के बढ़ते मामलों का सबसे बड़ा कारण है बच्चियों में समय से पहले मासिक धर्म शुरू होना। अब बच्चियों की ओवरी समय से पहले ही फंक्शन में आ जाती है और उतनी ही जल्दी अपना फंक्शन खत्म भी कर देती है, जिसे हम अर्ली मेनोपॉज बोलते हैं।

2. जीवनशैली ने बढ़ाई परेशानी

अर्ली मेनोपॉज के बढ़ते मामलों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है बिगड़ी हुई जीवनशैली। खान-पान से लेकर प्रदूषण तक, एक्सरसाइज की कमी से लेकर धूप से दूर रहने तक, सभी कहीं न कहीं महिलाओं के हार्मोन को असंतुलित करता है। यह असंतुलन ओवरी के फंक्शन और ओव्यूलेशन को प्रभावित करता है। जिससे अर्ली मेनोपॉज का खतरा बढ़ता है। आजकल महिलाओं में धूम्रपान काफी सामान्य हो गया है, जिसके कारण एस्ट्रोजन प्रभावित होता है और अर्ली मेनोपॉज की स्थिति आ जाती है।

3. तनाव भी है कारण

डॉ. गुप्ता का कहना है कि महिलाओं का ओवरी फंक्शन काफी सीधे तौर पर मस्तिष्क की स्थिति पर निर्भर करता है। उनके हार्मोन भी इससे प्रभावित होते हैं। टेंशन से तनाव के हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है। यह हार्मोन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे महत्वपूर्ण हार्मोन्स के उत्पादन को प्रभावित करता है। जिससे मासिक धर्म चक्र और ओवरी फंक्शन पर असर पड़ता है। वहीं क्रोनिक तनाव के कारण ओव्यूलेशन यानी अंडाशय से अंडे के निकलने की प्रक्रिया बाधित होती है। ऐसे में अर्ली मेनोपॉज हो सकता है।

4. आनुवंशिकता पर निर्भर

अर्ली मेनोपॉज अनुवांशिक भी हो सकता है। कई बार क्रोमोसोमल समस्याओं यानी गुणसूत्र संबंधी समस्याओं के कारण भी अर्ली मेनोपॉज हो सकता है। टर्नर सिंड्रोम, गोनाडल डिसजेनेसिस बहुत कॉमन है। इसके कारण अधूरे गुणसूत्र बनते हैं। ऐसे में अंडाशय अपेक्षा के अनुसार काम नहीं कर पाता है।

5. वजन पर दें ध्यान

वजन और अर्ली मेनोपॉज के बीच गहरा संबंध है। खासतौर पर ज्यादा वजन वाली महिलाओं को यह समस्या ज्यादा होती है। मोटापे के कारण महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। जिसके कारण अंडाशय का काम प्रभावित होता है। बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई बढ़ने से शरीर में वसा ऊतक बढ़ने लगते हैं। ऐसे में एस्ट्रोजन प्रभावित होता है। इसलिए नियमित एक्सरसाइज पर फोकस करना जरूरी है।

6. ऑटोइम्यून रोग हैं खतरनाक

थायराइड, रुमेटीइड गठिया जैसे ऑटोइम्यून रोग भी अर्ली मेनोपॉज का कारण बन सकते हैं। ऑटोइम्यून रोग शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली और शरीर के कमजोर हिस्सों पर हमला करते हैं। कुछ रोगों के कारण अंडाशय में सूजन आने लगती है और वह काम करना बंद कर देता है।

7. मिर्गी बढ़ाती है मर्ज

मिर्गी, अर्ली मेनोपॉज का एक कारण है। एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी रोग से पीड़ित करीब 14 प्रतिशत महिलाओं को अर्ली मेनोपॉज होता है। वहीं सामान्य महिलाओं में यह आंकड़ा मात्र 1 प्रतिशत था। मिर्गी मस्तिष्क से उत्पन्न होने वाला एक विकार है। जिसके कारण ओवरी को अधूरेपन का संकेत मिलता है और प्रीमेच्योर मेनोपॉज स्टेज आ जाती है।

इसलिए है बड़ा खतरा

अर्ली मेनोपॉज के कई नुकसान हैं। इसके कारण महिलाओं में तनाव, चिंता, अवसाद, डिमेंशिया, अनिद्रा जैसी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होने का जोखिम बढ़ सकता है। इसी के साथ यह हृदय रोग और हड्डियों का घनत्व कम होने जैसे परेशानियों का कारण बन सकता है। अर्ली मेनोपॉज सेक्सुअल हेल्थ पर गहरा असर डालता है, क्योंकि शरीर में आवश्यक हार्मोन कम होने लगता है।

लक्षण दिखने पर करवाएं ये टेस्ट

अर्ली मेनोपॉज के लक्षणों से आप इसका पता लगा सकती हैं। लेकिन अगर बहुत कम उम्र में आपको इसके लक्षण दिख रहे हैं तो आप डॉक्टर से संपर्क करके कुछ टेस्ट करवा सकती हैं। एंटी-मुलेरियन हार्मोन टेस्ट, एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट, फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट, थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट सबसे सामान्य टेस्टों में शामिल हैं।

अर्ली मेनोपॉज से ऐसे मिलेगी राहत

संतुलित और अच्छी जीवनशैली को अपना कर आप अर्ली मेनोपॉज की स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित कर सकती हैं।
By adopting a balanced and good lifestyle, you can control the condition of early menopause to a great extent.

संतुलित और अच्छी जीवनशैली को अपना कर आप अर्ली मेनोपॉज की स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित कर सकती हैं।

हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी

आमतौर पर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी अपनाकर अर्ली मेनोपॉज से निपटा जाता है। हालांकि कई बार इससे ब्लड क्लॉट जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए ब्लड ग्रुप को ध्यान में रखते हुए ही यह थेरेपी दी जाती है।

संतुलित जीवनशैली

डॉ. रितु का कहना है कि मेनोपॉज को रोका नहीं जा सकता, लेकिन संतुलित जीवनशैली से अर्ली मेनोपॉज की स्थिति को रोक सकते हैं। रोज कम से कम 40 मिनट नियमित व्यायाम, योग और कीगल एक्सरसाइज करेंं। इससे आपका वजन सही रहेगा, हार्मोन्स का उत्पादन ठीक से होगा और ओवरी फंक्शन बेहतर होगा। एक्सरसाइज से शरीर में हार्मोन्स और रक्त का प्रवाह सुचारू रहता है।

स्वस्थ आहार

शरीर की सेहत और हार्मोन का स्तर काफी हद तक स्वस्थ आहार पर भी निर्भर करता है। इसलिए पौष्टिक और संतुलित आहार करें। ताजे फल-सब्जियों के साथ साबुत अनाज खाएं। विटामिन ई, मैग्नीशियम और कैल्शियम से भरपूर बादाम, अखरोट में पाया जाने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट अर्ली मेनोपॉज को रोक सकते हैं। चिया सीड्स, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज और तिल जैसे सीड्स फाइबर, प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मैग्नीशियम, जिंक और आयरन से भरे होते हैं। ये सभी अर्ली मेनोपॉज के लक्षणों को कम कर सकते हैं। अलसी के बीजों में लिग्निन नामक कंपाउंड मौजूद होता है। यह एक फाइटोएस्ट्रोजन है, जो अर्ली मेनोपॉज को रोकने में मदद कर सकता है।

कुछ बातों का रखें ध्यान

अर्ली मेनोपॉज से बचाव के लिए प्रोसेस्ड फूड से दूरी बनाएं। तला हुआ भोजन कम खाना और धूम्रपान छोड़ना बेहद जरूरी है। सुबह के समय उगते सूरज की धूप का सेवन करना लाभदायक हो सकता है। आप डॉक्टर की सलाह पर विटामिन सप्लीमेंट भी ले सकती हैं।

वजन को रखें संतुलित

आपके वजन पर अर्ली मेनोपॉज काफी हद तक निर्भर करता है। ऐसे में अपने वजन को हमेशा कंट्रोल में रखने की कोशिश करें। इससे शरीर में हार्मोनल संतुलन बना रहता है।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...