hajirjawabi
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एक राजा के मन में दरबार में बैठे-बैठे अचानक ये शंका उत्पन्न हुई कि क्या शिक्षा वाकई मनुष्य के लिए इतनी जरूरी है, जितना कि इसे प्रचारित किया जाता है। उत्तर जानने के लिए उसने अपने साथ बैठे सभी लोगों से पूछा कि शिक्षा इनसान के लिए क्यों जरूरी है। सब ने अपने-अपने ढंग से उत्तर दिए।

किसी का कहना था कि यह इनसान को बुद्धिमान अौर सभ्य बनाती है, किसी का कहना था कि यह उसे अपने लिए रोजगार पाने में मदद करती है तो किसी का कहना था कि इससे उसे सारी दुनिया के बारे में जानने में आसानी हो जाती है। लेकिन राजा किसी के भी उत्तर से संतुष्ट नहीं हो पा रहा था। सबसे अंत में एक विदूषक खड़ा हुआ। राजा बोला कि जब इतने बड़े विद्वान मेरी शंका का समाधान नहीं कर पाए तो तुम कैसे कर सकते हो? विदूषक बोला कि यदि आप नाराज न होने का वचन दें तो मैं आपके प्रश्न का उत्तर दे सकता हूँ।

राजा से अभयदान पाकर विदूषक ने कहा कि शिक्षा का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसे पाकर मन में ऐसे फिजूल सवाल नहीं आते और दूसरा यह है कि ऐसी शंका करने वाला दूसरों को ऐसे सवालों का जवाब माँगकर परेशान नहीं करता। सुनकर राजा और वहाँ मौजूद सभी लोग उसकी हाजिरजवाबी के कायल हो गए।

सारः शिक्षा की उपयोगिता के अनेक पहलू हैं, जिन्हें एक श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)