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Hindi Story: मुसद्दी लाल जी का बेटा बहुत देर से एक ही फोन नंबर मिला रहा था और कुछ देर बात करने के बाद बहुत जोर से हंसने लगता। मुसद्दी लाल जी ने अपने चलते पुर्जे टाइप के बेटे से पूछा कि यह बार-बार किस को फोन मिला कर इतनी जोर से हंस रहे हो। बेटे ने कहा कि अपने कॉलेज के प्रिंसिपल के घर फोन मिला रहा हूं। मुसद्दी लाल जी ने कहा, ‘‘लेकिन उनकी तो कुछ दिन पहले मौत हो गई थी, फिर उन्हें फोन क्यूं मिला रहे हो?’ बेटे ने कहा कि यह तो मैं भी जानता हूं कि वो मर चुके हैं, लेकिन जब उनकी पत्नी फोन पर यह बताती है कि वो अब इस दुनिया में नहीं रहे तो यह सुन कर बहुत अच्छा लगता है।

मुसद्दी लाल जी ने बेटे को समझाते हुए कहा कि जो कोई इस दुनिया से चला जाता है उसका कभी भी मज़ाक नहीं उड़ाते।’’ बेटे ने कहा ‘आप नहीं जानते वो बहुत ही घटिया किस्म के इंसान थे। कॉलेज में जब कभी परीक्षा होती थी तो उनका हमेशा एक ही सवाल होता था कि तुम्हारा और तुम्हारे से आगे वाले विद्यार्थी का जवाब एक जैसा क्यूं है? अब ऐसे बेवकूफ आदमी को कौन समझाये कि जब सवाल एक जैसे है तो जवाब भी तो एक जैसा ही होगा न।’ इससे पहले कि मुसद्दी लाल जी अपने बेटे को कुछ और भाषण सुनाते, बेटे ने मुसद्दी लाल जी से पूछा कि अगर आपको किसी दिन यह पता लगे कि मैं सारे कॉलेज में प्रथम आया हूं तो आपको कैसा लगेगा? मुसद्दी लाल जी ने ‘कहा-‘बेटा वो दिन तो मेरे जीवन का सबसे खुशनसीब दिन होगा। तुम जिस दिन मुझे आकर यह बताओगे मैं तो खुशी से पागल ही हो जाऊंगा, बेटे ने कहा, ‘बस इसी डर से मैं इस बार फिर फेल हो गया हूं कि कहीं मेरे पास होने पर आप पागल न हो जायें।’

यह सुनते ही मुसद्दी लाल जी ने अपने आये दिन चूना लगाने वाले बेटे से कहा कि बेटा जरा अपने सिर पर अच्छे से हाथ फेरो। मुसद्दी लाल जी ने बेटे को दुबारा फिर से सिर में हाथ फेरने के लिये कहा। बेटे ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अच्छे से अपने सिर पर हाथ फेरा। मुसद्दी लाल जी ने कहा कि अब आखिरी बार फिर से सिर में हाथ फेरो। अब तो तुम्हें यकीन हो गया होगा कि गधों के सिर पर सींग नहीं होते। मुसद्दी लाल जी ने बेटे की ओर गुस्से से देखते हुए उससे कहा कि तुम तो कई सालों से कॉलेज जा रहे हो। कॉलेज में और कुछ चाहे न भी सीखा हो, इतना तो जरूर समझ गये होंगे कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में कामयाबी की सीढ़ी जेब में हाथ डाल कर नहीं चढ़ सकता। बेटे पानी भी एक जगह पड़ा-पड़ा सड़ जाता है और घोड़ा भी खड़ा-खड़ा अड़ जाता है। उसी तरह आदमी का दिमाग भी बिना सोच-समझ के काम किये सड़ने लगता है, इसलिये हर समय किसी न किसी अच्छी बात के बारे में सोचना जरूरी होता है। तुम्हारे जैसे कुछ लोग केवल सपने इसलिये देखते हैं कि यह असंभव है यह हम से नहीं हो पायेगा। जबकि मेहनती और हिम्मती वाले लोग सपनों को साकार करके दिखाते हैं। मेरी एक बात याद रखना कि आज अगर तुम समय को बर्बाद कर रहे हो तो कल समय तुम्हें बर्बाद कर देगा।

अपने पिता के घावों पर नमक छिड़कते हुए मुसद्दी लाल के बेटे ने उनसे कहा कि मैंने एक ज्योतिषी से पूछा था कि मैं हर साल मेहनत करने के बावजूद भी पास क्यूं नहीं हो पाता? जानते हो ज्योतिषी ने कहा कि तुम पास कैसे होगे? तुम्हारी कुंडली में पैतृक सम्पति का भरपूर सुख जो लिखा है। मुसद्दी लाल जी ने बेटे से कहा कि यह सच है कि तुम्हारी किस्मत का लिखा हुआ तुमसे कोई नहीं छीन सकता। परंतु जब इंसान मेहनत करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता तो उसे वो सब कुछ भी मिल जाता है जो उसके भाग्य में नहीं होता। मैंने अपने सारे जीवन में आज तक ऐसा कोई व्यक्ति नहीं देखा, जिसे सफलता तुम्हारी तरह चालाकियां करके या किसी प्रकार की होशियारी से मिली हो। हर कोई अपने जीवन के ध्येय तक त्याग और समर्पण के माध्यम से ही पहुंच पाता है। तुम्हारे जैसे लोग जिनके पास उत्साह नहीं होता उनके पास सिर्फ बहाने होते हैं और जिन लोगों के पास उत्साह होता है उन्हें अपनी मंजिल पाने में सफलता जरूर मिलती है।

एक बार तुम्हारे जैसे किसी नादान बच्चे ने पतंग उड़ाते हुए अपने पिता से पूछा कि यह पतंग आसमान में ऊपर कैसे टिकी रहती है। उसके पिता ने समझाया कि डोरी की वजह से। बेटे ने कहा कि डोर तो पतंग को ऊपर की ओर ले जाती है। पिता ने अगले पल डोर तोड़ दी और पतंग नीचे आ गिरी। पतंग के नीचे गिरते ही उस पिता ने अपने बेटे को समझाया कि कई बार हम कुछ बातों को असल में जैसा समझते हैं वो वैसी नहीं होती। हमारा जीवन भी बिल्कुल इसी प्रकार है। इतना सब सुनने के बाद मुसद्दी लाल जी के बेटे ने उनसे कहा कि न जाने आपको मेरे अंदर सिर्फ कमियां ही कमियां क्यूं दिखाई देती है जबकि कॉलेज में मेरे सारे दोस्त मेरी सबसे अधिक इज्जत करते हैं। मुसद्दी लाल जी ने एक बार फिर से गुस्से को उतार कर बेटे को समझाया कि बेटे हर समय तुम्हारे साथ गुलछर्रे उड़ाने वाले तुम्हारे दोस्त तुम्हारी तारीफ नहीं बल्कि चापलूसी करते हैं। तुम्हें तो जब देखो कभी एक दोस्त को कभी दूसरे दोस्त को मिलने के लिये घड़ी देखते रहते हो जबकि घड़ी को सिर्फ उस समय देखना चाहिये जब आपके पास कोई काम नहीं हो। जिन लोगों का ध्यान काम में होता है वो कभी भी घड़ी नहीं देखते।

बेटे किसी भी ध्येय को पाने के लिये जो शक्ति चाहिए वो हमारे अंदर ही होती है, उसी की मदद से हम लक्ष्य को पा सकते हैं। इसलिए अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा यदि जीवन में कुछ बनना चाहते हो तो चाहे धीरे-धीरे ही आगे की ओर चलो, लेकिन कभी भी घबरा कर पीछे न मुड़ना। मेरी इस बात को भी पल्ले बांध लो कि कठिन समय हमेशा नहीं रहता जबकि कड़ी मेहनत वाला सदा कामयाब होता है। गिर-गिर कर उठने की शक्ति ही सफलता का रास्ता बनाती है। असफल वह नहीं है जिसके पास सफल होने के लिये कोई साधन नहीं है। असफल तो वह है जिसके पास कोई उद्देश्य नहीं होता। मुसद्दी लाल जी की ज्ञान-ध्यान की बातें सुन कर जौली अंकल भी इस बात से सहमत है कि जिस प्रकार रात कितनी भी काली क्यूं न हो दीपक उससे कभी नहीं डरता, इसी से यह साबित होता है कि जिसके पास ज्ञान और आत्मविश्वास होता है उसे अपने लक्ष्य को पाने से कोई नहीं रोक सकता।

नदी की तरह सदैव आगे बढ़ने के लिये लगातार प्रयास करते रहना जरूरी है।

ये कहानी ‘कहानियां जो राह दिखाएं’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं

Kahaniyan Jo Raah Dikhaye : (कहानियां जो राह दिखाएं)