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Hindi Story: बेटे के बार-बार मोटरसाइकिल खरीदने के हठपन से परेशान होकर मुसद्दी लाल जी की पत्नी ने उन्हें कहा कि आपका लाड़ला आज कॉलेज जाने से मना कर रहा है। मुसद्दी लाल जी ने कहा कि कल उससे बात हो तो गई थी कि यदि वो इस साल परीक्षा में अच्छे अंकों से पास होगा तो मैं उसे मोटरसाइकिल ले दूंगा। मुसद्दी लाल जी की पत्नी ने कहा कि अपने सभी दोस्तों के पास मोटरसाइकिल देख कर उसे भी यह लगन लगी है अब कॉलेज तभी जाऊंगा, जब आप मोटरसाइकिल लेकर दोगे। मुसद्दी लाल जी ने पत्नी को समझाया कि तुम पढ़ी-लिखी होकर भी ऐसी अजीब बातें कर रही हो। क्या तुम इतना भी नहीं जानती कि यह उसका पागलपन और जिद है ना कि उसकी लगन। क्या तुम जिद और लगन के फर्क को भी नहीं समझती। आप चाहे इसे कुछ भी कहो, लेकिन बेटे को मोटरसाइकिल तो आपको लेकर देनी ही पड़ेगी। मुसद्दी लाल जी ने भी कह दिया कि ठीक है मैं उसे मोटरसाइकिल तो ले देता हूं। लेकिन उसको एक बात अच्छे से समझा दो कि यदि पास हो गया तो उस पर बैठ कर कॉलेज जाया करेगा और यदि फेल हो गया तो फिर उसी मोटरसाइकिल पर बैठ कर सारी कॉलोनी में दूध बेचेगा। मुसद्दी लाल जी की पत्नी ने फिर से बेटे का पक्ष लेते हुए कहा कि अभी तो वो बच्चा है, अभी से वो इस तरह की बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां कैसे संभाल सकता है? जब थोड़ा समझदार होगा तो धीरे-धीरे सब कुछ करना सीख लेगा।

मुसद्दी लाल जी ने पत्नी को चुप करवाते हुए कहा कि वो तुम्हारी नजरों में तो हमेशा बच्चा ही रहेगा। क्या तुम जानती हो कि एक अंधे आदमी की सिर्फ एक ही चाह होती है कि वो किसी तरह इस दुनिया को देख सके। एक बहरे व्यक्ति की इच्छा होती है कि वो सामने वाले की बात को सुन सके। एक गूंगे की कामना होती है कि चंद अल्फाज़ बोल सके। एक अपाहिज सारी उम्र अपने पैरों पर चलने के लिये तरसता रहता है। दूसरी ओर हमारा बेटा है जिसे भगवान ने अच्छे हाथ, पैर, आंख, कान सब कुछ दिया है, लेकिन यह फिर भी न जाने क्यूं कुछ भी सीखना नहीं चाहता? मुझे समझ नहीं आता कि इसके मन में काम करने की लगन कब और कैसे जागेगी? मुसद्दी लाल जी की पत्नी ने बिना हार माने कहा कि बेचारा सारा दिन तो कुछ न कुछ करता रहता है, लेकिन आपको ही तसल्ली नहीं होती। पत्नी को बीच में ही टोकते हुए मुसद्दी लाल जी ने उससे कहा कि सिर्फ बातें करने से कुछ नहीं होता, हम जो भी है, जो कुछ भी करते हैं वो असल आकार में तभी आता है जब हम उसे वास्तव में करना चाहते हैं। तुम्हारे बेटे को कुछ भी समझाते रहो, वो हर बात को कोई न कोई बहाना बना कर टाल जाता है। हर बार किसी न किसी की झूठी कसम खाकर कहता है कि आज के बाद हर काम पूरी लगन से करेगा। उस नासमझ को यह समझाओ कि प्रतिज्ञा लेकर तोड़ने से अच्छा है कि हम प्रतिज्ञा ही न लें। उसने आत्मविश्वास और लगन जैसे अल्फाज़ सुने तो जरूर हैं, लेकिन अभी तक वो यह नहीं जान पाया कि आत्मविश्वास और लगन जब सच्ची हो तो ही यह बहुत बड़ा करिश्मा दिखा सकते हैं। परंतु जब तक हमारे अंदर सच्ची इच्छाशक्ति न हो तो हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। तुम्हारी बात को यदि सही भी मान लिया जाये तो भी इस बात को नहीं झुठलाया जा सकता कि हर रास्ता कांटों से भरा होता है, लेकिन एक बार हिम्मत से पहला कदम बढ़ा कर देखो तो सही कि मंजिल कैसे तुम्हारी ओर दौड़ी चली आती है। जीवन में कोई भी काम कभी भी किया जा सकता है, लेकिन सफलता पाने के लिये पहले हमें खुद अपने लिये लक्ष्य तय करने जरूरी होते हैं। जिन लोगों के इरादों में हकीकत होती है, आसमां भी उनके सामने झुकने को तैयार हो जाता है।

अपने पिता की इतनी तीखी बातें सुनकर मुसद्दी लाल के बेटे ने उनसे कहा- ‘अब चाहे मुझे सिर-धड़ की बाजी लगानी पड़े, लेकिन मैं अब कभी भी आपका सिर नीचा नहीं होने दूंगा। मैं कल से ही बेहतर परिणाम पाने के लिये अपने हर काम को पूरी लगन से करूंगा। मुसद्दी लाल जी को एक तरफ बहुत हैरानगी हो रही थी कि आज मेरे बेटे को ऐसी कौन-सी बात दिल को भा गई है जिससे उसके खून में जोश उठ रहा है। फिर भी उन्होंने बेटे को रोकते हुए उससे कहा कि सिर्फ कमली ओढ़ने से कभी कोई फ़कीर नहीं बन जाता। तुम कल की बात कर रहे हो, कल किसने देखा है, जो कुछ भी करना हो उसे कल से नहीं आज से ही शुरू करना सीखो। मुसद्दी लाल जी मन ही मन यह सोच रहे थे कि हर समय इधर-उधर झक मारने वाला मेरा यह नालायक बेटा क्या सच में मेरे मन की बात को समझ कर हाथ-पांव मारने में कामयाब होगा।

अपने पिता के चेहरे के भावों को देखते हुए मुसद्दी लाल जी के बेटे ने कहा कि आपको शायद यह लग रहा है कि मैं आपके साथ कोई मज़ाक कर रहा हूं, लेकिन ऐसी बात बिल्कुल नहीं है। मैं अच्छे से जानता हूं कि रुकावटों के बावजूद आगे बढ़ना और दुःखों को हंसी से झेलना ही जिंदगी है। जो कुछ कल तक भविष्य था वह अब हो रहा है, जो अब हो रहा है वह अतीत बनता जा रहा है, इसलिए चिंता करने से क्या फायदा? किसी भी संघर्षशील व्यक्ति की असली परीक्षा मुसीबत पड़ने पर ही होती है और मेरा वो समय अब शुरू हो चुका है। अब तो आप मुझे जल्दी से आशीर्वाद दो ताकि मैं अपने मकसद में सफल हो सकूं। मुसद्दी लाल जी ने बेटे को सीने से लगाते हुए कहा- ‘बेटा मेरा आशीर्वाद तो हमेशा तुम्हारे साथ है, परंतु एक बात सदा याद रखना कि किसी को भी सफलता बातों से नहीं बल्कि परिश्रम और लगन से मिलती है। मेहनत और लगन के बल पर ही कठिन से कठिन लक्ष्य पाने के साथ उसकी एक नई परिभाषा लिखी जा सकती है।’ मुसद्दी लाल जी के प्रेरणादायक विचारों को अच्छे से ग्रहण करने के बाद जौली अंकल इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि कोई भी कार्य एक दिन में सफल नहीं होता। किसी भी छोटे से पौधे से फल की इच्छा रखना मूर्खता से अधिक कुछ भी नहीं होता। सफल लोग अपनी सोच को इस तरह से बना लेते हैं कि उन्हें हर चीज सकारात्मक व खूबसूरत दिखाई देने लगती है। जिसके पास सफलता पाने की चाह और लगन नहीं है उसकी मदद तो भगवान भी नहीं कर सकते। जिस व्यक्ति के पास लगन है फिर उसे सफल होने के लिये किसी और चीज की आवश्यकता नहीं होती।यदि मन में सच्ची लगन हो तो बड़े से बड़ा काम भी आसानी से पूरा हो जाता है।