जी, ये रोड तो मालवीय रोड है। पर बैंक का पता नहीं, नया हूं इस इलाके के लिए। और मैंने फ़ौरन एक दुकान वाले से पूछा था, स्टेट बैंक इसी रोड पर है?
तभी एक और आवाज़ आई- अंकल जी, आप परेशान मत हों। पापा को सब पता है। 20 साल से इसी बैंक में आ रहे हैं। पास में ही घर है। बस आज छह महीने बाद घर से बाहर निकले हैं। पहली बार किसी से बात की है।
कोई बहाना तो चाहिए था बात करने को…!!
यह भी पढ़ें –धूप की तलाश – गृहलक्ष्मी कहानियां
-आपको यह लघुकथा कैसी लगी? अपनी प्रतिक्रियाएं जरुर भेजें। प्रतिक्रियाओं के साथ ही आप अपनी लघुकथा भी हमें ई-मेल कर सकते हैं-Editor@grehlakshmi.com
-डायमंड पॉकेट बुक्स की अन्य रोचक कहानियों और प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं को खरीदने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-https://bit.ly/39Vn1ji
