Benefits of Vitamin-E: पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। जिनमें विटामिन्स प्रमुख हैं चाहे वे ए, डी, ई और के जैसे वसा में घुलनशील विटामिन्स हों या फिर बी और सी जैसे पानी में घुलनशील विटामिन। इनमें सभी का अपना-अपना महत्व है, लेकिन इनमें से कुछ हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी हैं। इसलिए इनका रोजाना संतुलित मात्रा में सेवन करना अनिवार्य माना गया है, वरना इनकी कमी का शरीर पर पड़ने वाला प्रभाव देखा जा सकता है।
हमारे लिए विटामिन-ई की महत्ता

हमारे शरीर के लिए उपयोगी वसा में घुलनशील विटामिनों में एक विटामिन-ई है, जो जरूरत से ज्यादा सेवन करने से यह हमारे शरीर में वसा के साथ स्टोर हो जाता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे टोकोफेराॅल नाम से जाना जाता है। विटामिन-ई एक एंटीऑक्सीडेंट है जिसे नियमित पौष्टिक आहार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। यह हमारे शरीर को सुचारू रूप से चलाने में सहायक है। हमारी इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत और कोलेस्ट्राॅल को नियंत्रित कर हृदय, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से ही हमारा बचाव नहीं करता, बढ़ती उम्र के साथ शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने, मेमोरी में कमी होने से बचाने, बालों तथा स्किन संबंधी समस्याओं के समाधान में भी सहायक है।
विटामिन-ई के स्त्रोत
यूं तो रोजाना हम जो आहार लेते हैं, उससे ही विटामिन-ई की दैनिक जरूरत पूरी हो सकती है, बशर्ते कि हम पौष्टिक भोजन लें। खाना बनाने में इस्तेमाल करने वाले वेजीटेबल ऑयल में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में मिलता है जैसे- सनफ्लाॅवर, ओलिव, कैनोला, कड लीवर। ये ऑयल विटामिन-ई के प्राकृतिक स्रोत हैं और प्रतिदिन 1 चम्मच ऑयल का सेवन आपकी प्रतिदिन की विटामिन-ई की 28 प्रतिशत आपूर्ति करता है।
इसके अलावा पालक, सरसों, ब्रोकोली, पार्सले जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज , मूंगफली, अखरोट,बादाम, फ्लेक्स और सनफ्लाॅवर के बीज विटामिन-ई के अच्छे स्रोत हैं। रात को भिगाए 5-10 बादाम से अपनी दिनचर्या की शुरुआत करना स्वास्थ्यप्रद है। 25 ग्राम सनफ्लाॅवर के बीज 45 प्रतिशत आपकी दैनिक जरूरत पूरी करते हैं। हालांकि ये खाने मेें स्वादिष्ट नहीं होते, इसलिए आप इन्हे दूसरे खाद्य पदार्थों पर स्प्रिंकल करके खा सकते हैं। इसके अलावा शकरकंद शलजम, एवोकेडो, एस्परैगस, अंडे, झींगा भी विटामिन-ई के अच्छे स्रोत हैं।
कितनी खुराक आवश्यक

प्रतिदिन एक व्यस्क पुरुष को 15 मिलीग्राम व्यस्क महिला को 17 मिलीग्राम, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिला को 19 मिलीग्राम, 9-13 साल के बच्चों को 11 मिलीग्राम, छोटे बच्चों को 5-7 मिलीग्राम और शिशु केा 4 मिलीग्राम तक विटामिन-ई का सेवन करने की सिफारिश की गई है।
विटामिन-ई के फायदे
- एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर विटामिन-ई शरीर में सेल संरचना को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री-रेडिकल्स से बचाव करता है और हमारे शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। यह ब्रेस्ट, फेफड़ों, लीवर, प्रोस्टेट कैंसर के इलाज मे प्रभावी है।
- नियमित रूप से विटामिन ई का सेवन से कोलेस्ट्राॅल नियंत्रित रहता है जिससे हाई ब्लड प्रेशर, केरोनरी धमनी विकार या हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है।
- शरीर में रक्त बनाने वाली कोशिकाओं यानी रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करती है। गर्भावस्था के अंतिम अवस्था में अगर महिलाएं प्र्याप्त मात्रा में विटामिन-ई का सेवन नहीं करती, तो नवजात शिशु में एनीमिया की शिकायत देखी जाती है।
- यह विटामिन ब्लड को पतला करने मे भी सहायक है यानी कि यह ब्लड प्लेप्लेट्स को थक्के बनने या जमाव से रोकता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बनाए रखता है।
- सिर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक होने से बालों का पोषण ठीक होता है जिससे उन्हें मजबूती मिलती है और वे चमकदार हैल्दी बनते हैं।
- विटामिन-ई आॅयल स्किन के लिए काफी फायदेमंद है। सूर्य की अल्ट्रावाॅयलेट किरणों के प्रभाव से बेजान हुई त्वचा की रक्षा कर उसे नमीयुक्त, मुलायम और चमकदार बनाने में सहायक है। त्वचा में ढीलापन या झुर्रियां जैसे बढ़ती उम्र के प्रभावों केा कम करता है। विटामिन-ई ऑयल से नाखूनों की मालिश करने पर वे मजबूत होते हैं।
- शरीर में विटामिन ए के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिससे नेत्र संबंधी बीमारियों का खतरा कम रहता है।
विटामिन-ई की कमी से होने वाले रोग

एक व्यस्क व्यक्ति को वैसे तो आहार से विटामिन-ई की आपूर्ति हो जाती है। लेकिन फीगर कॉन्शियस लोग जो पौष्टिक आहार का सेवन न करने या समुचित मात्रा में ऑयली खाना खाने से परहेज करते हैं, उनमें कमी देखी जा सकती है। इसके अलावा स्पेेक्ट्रम, एस्पिरिन या कुनैन जैसी एंटीबायोटिक, कोलेस्ट्राॅल का स्तर कम करने वाली और केंसर की दवाइयों का सेवन करते समय भी शरीर में विटामिन-ई की कमी हो जाती है।
ध्यान न दिए जाने पर शरीर में विटामिन-ई कमी हो जाती है और शरीर पर प्रभाव स्पष्ट देखे जा सकते हैं-शरीर के अंगों का सुचारू रूप से कार्य न कर पाना। मांसपेशियों में अचानक कमजोरी आ जाना। चलने में लड़खड़ाहट होना। आंखों के मूवमेंट में असामान्य स्थिति पैदा हो जाना, नजर कमजोर होना, दिखने में धुंधलापन आना। विटामिन-ई की कमी से अनियंत्रित रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है। डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
अत्यधिक सेवन है नुकसानदेह, रखें सावधानी
कई लोग एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण विटामिन-ई को विभिन्न बीमारियों के इलाज में सहायक मानते हैं और सप्लीमेंट्स के रूप में जरूरत से ज्यादा सेवन करने लगते हैं। लेकिन ऐसा करने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है और अपनी सेहत से खिलवाड़ करना पड़ता है। जरूरी है कि इसके सप्लीमेंट्स डाॅक्टर की सलाह से ही लिए जाएं। गर्भवती महिलाओं केा तो विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। अध्ययनों से पता चला है कि गर्भावस्था के पहले चरण यानी पहले 8 सप्ताह से पहले ही विटामिन-ई के सप्लीमेंट लेने वाली महिलाओं के बच्चेंा में जन्मजात हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है।
हृदय रोगियों और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों को तो विटामिन-ई की खुराक लेते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। विटामिन-ई की उच्च खुराक लेने से उन्हें हार्ट अटैक तक का खतरा बना रहता है, ब्रेन में ब्लीडिंग होने और तबीयत खराब होने से अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ सकता है। अधिक मात्रा में सेवन ब्लडप्रेशर की दवाइयों को रोकता है। केंसर के इलाज के लिए की जाने वाली कीमोथेरेपी में खाई जाने वाली दवाइयों के प्रभाव को कम करता है।
जरूरत से ज्यादा मात्रा में विटामिन-ई का सेवन करने से त्वचा में जलन, रैशेज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा उल्टी, सिरदर्द, भूख कम होना, थका-थका महसूस करना, चिडचिड़ापन, मांसपेशियों में जकड़न,स्तब्धता, गतिहीनता, बालों और स्किन में ड्राईनेस और बालों के झड़ने जैसे साइड इफेक्ट भी देखे जा सकते हैं। ऐसा कोई भी लक्षण महसूस होने पर आपको तुरंत डाॅक्टर को संपर्क करना चाहिए।
(डाॅ शालिनी सिंघल, आहार विशेषज्ञ, दिल्ली)
