मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्म भूमि का इतिहास लाखो वर्ष पुराना है । अयोध्या रघुवंशी राजाओं की बहुत पुरानी राजधानी थी। स्वयं मनु ने अयोध्या का निर्माण किया था। वाल्मीकि रामायण से विदित होता है कि स्वर्गारोहण से पूर्व रामचंद्र जी ने कुश को कुशावती नामक नगरी का राजा बनाया था। श्रीराम के पश्चात् अयोध्या उजाड़ हो गई थी, क्योंकि उनके उत्तराधिकारी कुश ने अपनी राजधानी कुशावती में बना ली थी। रघु वंश से विदित होता है कि अयोध्या की दीन.हीन दशा देखकर कुश ने दोबारा अपनी राजधानी अयोध्या में बनाई थी। कुछ उसी तरह से पांच सौ साल बाद एक बार फिर से राम की नगरी अयोध्या में रौनक लौटने लगी है। यहां राम जन्म भूमि पर भगवान राम की भव्य मंदिर के निर्माण के लिए कल भूमि पूजन होगा। अयोध्या में राम मंदिर के अलावा भी कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जिसका काफी महत्व है। 

देवताओं का नगर

मान्यता है कि अयोध्या नगरी भगवान विष्णु के चक्र पर स्थित है। स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है। अयोध्या का सबसे पहला वर्णन अथर्ववेद में मिलता है। अथर्ववेद में अयोध्या को देवताओं का नगर बताया गया है। रामायण में अयोध्या का उल्लेख कोशल जनपद की राजधानी के रूप में ही किया गया है। पुराणों में इस नगर के संबंध में कोई विशेष उल्लेख नहीं मिलता है, वहीं राम के जन्म के समय यह नगर अवध और वर्तमान में अयोध्या नाम जाना जाता है।

रामकोट

अयोध्या में अगर पूजा स्थ्लों की बात की जाए, तो रामकोट यहां पूजा का मुख्य स्थान है। यहां पर खासतौर से मई और जून महीने में रामनवमी का उत्सव पूरे उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। 

सप्तपुरियों में से एक

प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान राम का जन्म सप्तपुरियों में से एक अयोध्या में हुआ था। वर्तमान में अयोध्या सरयू नदी के तट पर सप्तपुरियों में से एक है। यदि अयोध्या कहीं और होती तो इसका उल्लेख सप्तपुरी के वर्णन में नहीं होता और आज का अयोध्या तीर्थ स्थल नहीं होता। भारत के प्राचीन शहरों में से एक अयोध्या को हिंदू पौराणिक इतिहास में पवित्र सप्तपुरी में शामिल किया गया है। सप्तपुरी में अयोध्या मथुरा माया हरिद्वार काशी कांची अवंतिका उज्जैन और द्वारका शामिल हैं।

धर्मनगरी

अयोध्या घाट और मंदिरों की एक धर्मनगरी है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। आपको बता दें, रामायण की कथा में सरयू अयोध्या से होकर बहती है जिसे दशरथ की राजधानी और राम की जन्भूमि माना जाता हैण् सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं इनमें गुप्तद्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष उल्लेखनीय है। मंदिरों में कनक भवन सबसे सुंदर है।

कैसी हुई इसकी स्थापना

पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा से जब मनु ने अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात कही तो वे उन्हें विष्णुजी के पास ले गए। विष्णुजी ने उन्हें साकेतधाम में एक उपयुक्त स्थान बताया। विष्णुजी ने इस नगरी को बसाने के लिए ब्रह्मा तथा मनु के साथ देवशिल्पी विश्वकर्मा को भेज दिया। इसके अलावा अपने रामावतार के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने के लिए महर्षि वशिष्ठ को भी उनके साथ भेजा। मान्यता है कि वशिष्ठ द्वारा सरयू नदी के तट पर लीलाभूमि का चयन किया गयाए जहां विश्वकर्मा ने नगर का निर्माण किया। स्कंदपुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है।

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