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बोझिल पलकें, भाग-10

रंधीर ने शराब के नशे में जो गलती की, उसका एहसास तो उसे नशा उतरते ही हो गया था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अंशु अब उसकी असलियत समझ चुकी थी। ये कहानी अब मोड़ ले रही है अजय की गलतफहमी के चलते, जिसके कारण वह अंशु को रंधीर की नई अय्याशी का सामान समझ रहा है। कैसे सुलझेगी ये गुत्थी, पढ़िए आगे।

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बोझिल पलकें, भाग-9

अंशु जितनी सुंदर थी, उतनी ही स्वाभिमानी और गरिमामयी भी। रंधीर के आने की खुशी में हुई पार्टी में भी अंशु ने अपने मान की रक्षा के लिए कुछ ऐसा किया कि रंधीर और चन्दानी तिलमिला कर रह गए अपमान की आग से। क्या हुआ था ऐसा, जानिए आगे की कहानी पढ़कर।

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बोझिल पलकें, भाग-8

चन्दानी के बेटे रंधीर के लंदन से आने की खुशी में दी गई पार्टी में अजय और अंशु आमने-सामने तो थे, मगर उनकी अजनबियत अभी तक बरकरार थी। रंधीर के चरित्र के खोट चन्दानी के लाख छिपाने के बावजूद एक के बाद एक सामने आ रहे थे। अब जानिए इस उपन्यास के अगले भाग में कि क्या हुआ पार्टी में।

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बोझिल पलकें, भाग-7

एक सफर में हमसफर रहे अजय और अंशु चंदानी के बेटे के आने की खुशी में दी गई पार्टी में अब आमने-सामने तो थे, लेकिन मौके का फायदा रंधीर उठा रहा था। हालांकि एक खलिश का एहसास तो अजय और अंशु दोनों को ही हो रहा था। क्या होगी अब इन दोनों की नियति, जानिए आगे।

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बोझिल पलकें- भाग 6

एक सफ़र के साझेदार रहे और फिर जुदा होकर अपनी-अपनी राह चल पड़े अजय और अंशु को किस्मत ने फिर एक बार आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया था। क्या होगा इस मुलाकात का अंजाम, जानिए आगे पढ़कर।

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बोझिल पलकें

अपराधी के घर में जन्म लेना और परिस्थितिवश अपराधी बन जाने के बावजूद भी कोई मासूम हो सकता है, बेकूसुर हो सकता है। कुछ ऐसा ही छिपा हुआ सच जाहिर हो रहा है अब इस उपन्यास में।

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बोझिल पलकें- भाग 4

रेल का सफ़र तो अजय पूरा कर चुका था, लेकिन उसका मन कहीं अंशु के पीछे ही चला गया। उसे अपने जीवन में जिस आशा की किरण की आस है, क्या अंशु वह किरण बन पाएगी?

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