अंशु को दोबारा देखने के बाद अजय के दिल में अंशु की धुंधलाती तस्वीर इस बार पहले से भी अधिक उजागर हो गई थी। उसने अपना गंदा व्यवसाय देखते हुए प्यार की जिस चिंगारी को बहुत खामोशी के साथ दबा लिया था, वह अंशु की असीमित सुंदरता देखते ही एक बार फिर भड़क उठी थी। यही कारण था कि जब उसने रंधीर से अंशु को बहुत खुलकर हंसते तथा बातें करते देखा था तो उसका दिल डाह की आग में जल उठा था।

एक बार अजय ने इच्छा भी की थी कि वह अंशु को रंधीर की ओर से सचेत कर दे। वह अच्छा लड़का नहीं है, एक अपराधी बाप का अय्याश बेटा है, परंतु फिर साहस नहीं कर सका था। यहां पर ऐसा भेद प्रकट करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता था। चन्दानी के व्यक्तियों की दृष्टि सभी जगह लगी होना आवश्यक बात थी। अपने दिल पर काबू पाने के लिए वह जश्न छोड़कर चला गया था। अब अपराधियों जैसा काम करने के लिए वह जरा भी तैयार नहीं था।

अंशु भी उसे देखकर ठिठक गई थी। उसकी आंखों में चमक भी उत्पन्न हो गई थी। उससे वह कुछ कहते-कहते भी रह गई थी। यदि अंशु से उसकी भेंट यात्रा के मध्य न हो गई होती तो शायद वह पार्टी में भी उससे दो बातें किए बिना नहीं रहती और इसीलिए अजय अब नहीं चाहता था कि वह एक अपराधी के रूप में पकड़ा या पहचाना जाए और उसकी वास्तविकता अंशु तक पहुंचे। अंशु उसकी चिंता जरा भी नहीं करती हो, परंतु उसके दिल में अजय के प्रति नाममात्र भी स्थान नहीं है, फिर भी वह उसे एक अच्छा व्यक्ति तो समझती ही होगी। यात्रा में उसने उसके अकेलेपन से कोई भी तो लाभ नहीं उठाया था।

अजय ने अपने दिल की बात तथा निर्णय पिता को बताया तो वे चिंतित हो उठे। चन्दानी के गिरोह को छोड़ना आसान बात नहीं थी- बल्कि ऐसा करना लगभग असंभव था। उन्होंने अजय को समझाना उचित नहीं समझा। वह जवान है। रक्त में गर्मी है। ऐसा न हो कि समझाने से प्यार के कारण वह भड़क उठे और जोश में आकर चन्दानी से शत्रुता मोल ले बैठे, जिसके परिणाम में उसकी जान चली जाए। उन्होंने सोचा, यह प्यार का बुखार है, शीघ्र ही उतर जाएगा, इसलिए वह खामोश ही रहे। कुछ दिनों तक अजय को स्वतंत्र छोड़ देने में ही अच्छाई थी। तब तक के लिए उसका काम वे स्वयं संभाल लेंगे। यदि चन्दानी ने पूछा तो कह देंगे कि उसकी तबियत ठीक नहीं है, परंतु वे भूल रहे थे कि जिस प्रकार अजय का स्वभाव गम्भीर है, उसी प्रकार उसका इरादा भी अटल है।

प्रायः अजय अपना खाली समय बिताने के लिए समीप के एक अच्छे होटल में कॉफी पीने तथा सिगरेट फूंकने के बहाने चला जाता था। वहां रेस्तरां के एक कोने में मानो उसकी एक मेज सुरक्षित होकर रह गई थी। वेटर्स उसे पहचानते थे। उसकी सेवा तुरंत करने को उत्सुक रहते थे, क्योंकि वह उन्हें अच्छी टिप दिया करता था। अब जब उसके पास कोई काम नहीं रहा तो उसका और भी समय वहां बीतने लगा। इसी होटल में अजय एक दिन लगभग तीन बजे दिन में कॉफी पीने पहुंचा।

अभी अजय होटल के मुख्य द्वार में प्रविष्ट हुआ ही था कि वहां एक किनारे अंशु की कार खड़ी देखकर चौंक गया, वही लंबी सफेद विदेशी कार। उसने कार का नंबर पढ़ा तथा ड्राइवर को पहचाना तो रहा-सहा संदेह भी दूर हो गया। इस समय यहां राय साहब का क्या काम है? ऊंह! होगा कुछ। उसने मन झटककर आगे बढ़ जाना चाहा तो एक काली एम्बेसडर कार देखकर चौंक गया। कार का एक मडगार्ड एक हल्की दुर्घटना के कारण अन्दर को दबा हुआ था।

उसने कार का नंबर पढ़ा तो तुरंत पहचान लिया। यह कार तो चन्दानी के आदमियों के उपयोग के लिए है। चन्दानी के अपने उपयोग के लिए एक सफेद एम्बेसडर कार सुरक्षित थी। अजय कुछ समझ नहीं सका। न चाहते हुए भी उसके मन में एक बेचैनी घर करने लगी। कहीं…कहीं अंशु रंधीर की चाल में फंसकर इस होटल में प्यार की पींगें बढ़ाने तो नहीं चली आई है? ऐसा सोचते हुए उसका दिल धड़क गया। वह सीधा होटल के रेस्तरां में प्रविष्ट हुआ। अपनी सुरक्षित कुर्सी पर जाकर बैठ गया। उसने हॉल के चारों ओर दृष्टि बिछाई। एक किनारे चन्दानी के गिरोह के कुछ जवान बैठे दिन के इस पहर भी शराब की चुस्कियां ले रहे थे। सबने अजय को देखा। पहचाना, परंतु फिर अपनी शराबखोरी का आनंद उठाने लगे। वे सब जानते थे कि अजय गिरोह का ऐसा जवान है, जो किसी से नहीं मिलता। अपने काम से काम रखता है और अपने काम का पूरा हिसाब चन्दानी से ले लेता है।

चन्दानी उसके इस सिद्धांत से बहुत प्रसन्न था। अजय के ऊपर उसे पूरा भरोसा था। अजय को गिरोह के जवानों में रंधीर नहीं दिखाई दिया, तब भी उसका दिल नहीं माना। बेचैनी बढ़ गई। कहीं ऐसा तो नहीं कि अंशु के साथ प्यार की पींगे सीमा से बाहर बढ़ाने के लिए रंधीर ने इस होटल में कोई कमरा बुक कर रखा हो? भोली-भाली अंशु को रंधीर की बातों में फंसते क्या देर लगेगी।

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