अजय पर जिंदगी ने थोड़ा रहम करना शुरू कर दिया था। अब अंशु का दिल अजय के नाम पर धड़कने लगा था, लेकिन अजय अभी तक कशमकश में उलझा था कि क्या करे, क्या नहीं। क्या होगा अंशु के लिए अजय के दिल का हाल, अभी ये राज़ खुलना बाकी है।
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बोझिल पलकें, भाग-20
अगर उम्मीद ने अजय का साथ छोड़ दिया था तो अजय ने भी उम्मीद का साथ छोड़ दिया था और अपनी उसी पुरानी अपराध की दुनिया को अपना लिया था, जिससे वह हमेशा भागना चाहता था। वह मजबूर था, अपने फर्ज के हाथों, क्योंकि वह अपने पिता दीवानचन्द को चन्दानी के खूंखार चीतों का निवाला नहीं बनते देखना चाहता था।
बोझिल पलकें, भाग-11
रंधीर को जो थप्पड़ अंशु ने पार्टी में सबके सामने मारा था, उसकी कीमत उसे अभी चुकानी बाकी थी। क्या थी वह कीमत, पढ़िए अब आगे की कड़ी में।
बोझिल पलकें, भाग-10
रंधीर ने शराब के नशे में जो गलती की, उसका एहसास तो उसे नशा उतरते ही हो गया था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अंशु अब उसकी असलियत समझ चुकी थी। ये कहानी अब मोड़ ले रही है अजय की गलतफहमी के चलते, जिसके कारण वह अंशु को रंधीर की नई अय्याशी का सामान समझ रहा है। कैसे सुलझेगी ये गुत्थी, पढ़िए आगे।
बोझिल पलकें, भाग-8
चन्दानी के बेटे रंधीर के लंदन से आने की खुशी में दी गई पार्टी में अजय और अंशु आमने-सामने तो थे, मगर उनकी अजनबियत अभी तक बरकरार थी। रंधीर के चरित्र के खोट चन्दानी के लाख छिपाने के बावजूद एक के बाद एक सामने आ रहे थे। अब जानिए इस उपन्यास के अगले भाग में कि क्या हुआ पार्टी में।
