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गुनहगार बहू!!-गृहलक्ष्मी की कविता

Gunhgar Bahu: बहू हर बात की गुनहगार होती है।चाहे गुनाह किसी ने भी किया हो।गलती सिर्फ बहू की होती है। बेटा धन बर्बाद करें तो बहू गुनहगारबचत करना ही नहीं जानती है।बेटा शराब पिए तो बहू गुनहगारपति को टेंशन देती है।बेटा नाजायज रिश्ते रखे तो बहू गुनहगारउसकी जरूरत को पूरा नहीं करती है। सास ससुर […]

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यह दर्द कहां मैं छुपाऊं-गृहलक्ष्मी की कविता

गृहलक्ष्मी की कविता-चाहूं जो रोना खुलकर मैं,तो कभी रो न पाऊंतुम ही बताओ, मैं हृदय में उठता दर्द कहां छुपाऊं बेहिसाब दर्द दिया माना तूने,यूं बहुत दूर मुझसे जाकरमैं सोचूं भी जो तुझसे दूर होना,तो कभी हो न पाऊं तुम हो गए हो शामिल,मेरे वजूद में कुछ इस तरह सेकि चाहूं भी तुम्हें गर भुलाना,तो […]

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मेरे हिंदुस्तान सा न देश कोई और है -गृहलक्ष्मी की कविताएं

गृहलक्ष्मी की कविताएं-विश्व गुरु है भारत मेरा,दुनिया में सिरमौर हैमेरे हिन्दुस्तान सा न देश कोई और है ऋषि-मुनियों की तपोभूमि है,वीरांगनाओं की जननी हैराम -कृष्ण खेले यहीं पर,रहीम-रसखान की धरती हैविवेकानंद के ज्ञान की चर्चा चहुँ ओर हैमेरे हिन्दुस्तान सा न देश कोई और है वीर सिपाही जनने वाली माताओं का देश हैभाषा-वेश अलग हों चाहे ,फिर […]

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कुछ पल अपने लिए: गृहलक्ष्मी की कविता

गृहलक्ष्मी की कविता कुछ पल के लिएखुलकर मुस्कुरा लोबन जाओ बच्चे औरछोड़कर सारे गमस्वयं को देख आईने में थोड़ाइतरा लोजी लो बचपन तुम भी कभीकब तक कहोगे हमबड़े हो गयेदेख दूसरों का बालपन तुम उसको इतराना ही समझोगे वो जी रहा अगर खुलकर तोतुम क्या कम हो?बच्चे नहीं है हम अभीबोल अपनी मासूमियत कोकब तक […]

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