Hindi Hot story : पराए पुरूष से लगाव Hindi Hot story : मेरा गोरा रंग, बोलती आंखें, कंधों तक बलखाते बाल, चौड़ी छाती, पतली कमर और चिकनी सुडौल जांघे सभी को लुभाती थी। पुरुष मेरे सौंदर्य को देखकर कहते-‘यह लड़की तो किसी रसगुल्ले से कम मुलायम और रसदार नहीं है। इसे देखने मात्र से ही […]
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प्यार की खुशबू – राजेन्द्र पाण्डेय भाग- 2
Hot Story in Hindi- प्यार की खुशबू – राजेन्द्र पाण्डेय Hot Story in Hindi : दूसरे दिन पापा घर आ गए। उनके आते ही मम्मी ने मायके जाने का मन बना लिया। वह मुझे भी अपने साथ ले जाएगी, यह सोचकर मैं मन ही मन खुश हो रही थी। लेकिन वह मुझे अपने साथ नहीं […]
पराए पुरूष से लगाव – राजेन्द्र पाण्डेय भाग-1
Hot Hindi Stories – पराए पुरूष से लगाव Hot Hindi Stories : मेरा गोरा रंग, बोलती आंखें, कंधों तक बलखाते बाल, चौड़ी छाती, पतली कमर और चिकनी सुडौल जांघे सभी को लुभाती थी। पुरुष मेरे सौंदर्य को देखकर कहते-‘यह लड़की तो किसी रसगुल्ले से कम मुलायम और रसदार नहीं है। इसे देखने मात्र से ही […]
खालीपन – गृहलक्ष्मी कविता
एक अजीब सी बात हो गई, कुछ अलग सी बात हो गई। यूं तन्हा से जब कर गए, तो जिंदगी वीरान सी हो गई। मेरे ख्यालों को कर गए खाली, और खालीपन सी बात हो गई। अब सिर्फ ख्याल बाकी हैं, और सांस खयालों में खो गई। यह खालीपन रहा होगा कहीं न कहीं तुममें […]
समीकरण – गृहलक्ष्मी कहानियां
आसमां से विधाता भी अपनी इस कृति (इंसान) को देख निहाल हो रहा था। ‘विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक और आशावादी बने रहकर तू विजयी हो ही जाता है। धन्य है तू!
अवसरवाद की महिमा – गृहलक्ष्मी कहानियां
समाजवादी कहते हैं कि वे समाजवाद के समर्थक हैं। पूंजीवादी कहते हैं कि वे पूंजीवाद के समर्थक हैं। यदि अवसरवाद के कोई संस्थापक होंगे तो उन्हें जान कर अफसोस होगा कि अवसरवाद के कट्टर समर्थक भी यह मानने के लिए तैयार नहीं होते कि वे अवसरवादी हैं।
गवाही – गृहलक्ष्मी कहानियां
प्लीज यहां से जाओ, तुम कभी नहीं समझ सकती कि मैं तुमसे कितना प्यार करता था। तुम्हारे लिए मैं कुछ भी करता पर तुमने, तुमने तो कभी मेरी कोई बात ही नहीं सुनी, तुम कभी मुझे सुनना ही नहीं चाहती थीं
पिंजरे के उस पार – गृहलक्ष्मी की कहानियां
‘सुरीला मिट्ठू’ नाम था उसका। आज मेले में उसके मालिक ने उसको एक नए मालिक को बेच दिया था। उसे आज एक नया घर मिलने वाला था, लेकिन पिंजरा वही पुराना था, यहां उसे लौट कर रोज़ वहीं कैद हो जाना था।
अरमानों की आहुति
शाम हो चुकीथी। ठंडी हवा चल रही थी। घर की खिड़कियों में पर लगे वो हल्के पीले रंग के पर्दे उड़ने लगे थे। बाहर बालकनी में लगे मनीप्लांट की बेल भी मानो हवा का आनंद ले रही हो। तुलसी का कोमल पौधा तेज़ हवा को सहन नहीं कर पा रहा था। तभी सुधाजी तेज क़दमों से आई और तुलसी के पौधे को भीतर ले गई।
