Posted inपेरेंटिंग

बच्चों के बचपन से अपने बचपन की तुलना कितनी करे [?]

एक बहुत ही लाज़मी बात है की एक वक़्त ऐसा आता है | जबकि इंसान अपने ही बच्चों से बार बार अपने बचपन की तुलना करने लगता है और तुलना कितनी बार इतनी ज्यादा घातक हो जाती है

Posted inहोम

Affordable Decorating Ideas : 3D पोस्टर्स से सजाएं बच्चों का रूम

बचपन लाइफ का सबसे प्यारा एहसास होता है। इसकी यादें ताउम्र ज़हन में बनी रहती हैं। इन्हीं पलों व यादों को ख़ूबसूरत बनाने के लिए पेरेंट्स हर मुमकिन कोशिश भी करते हैं। उन्हीं कोशिशों में से एक कोशिश क्यों न बच्चों के कमरे को डेकोरेट करने के लिए की जाएं। तो कैसे सजाएं अपने बच्चे का कमरा, आइए जानें-
 

Posted inहिंदी कहानियाँ

गैजेट्स की भीड़ में छिप गया आइस-पाइस

पुराने समय की बात है जब शाम होते ही बच्चे अपने-अपने घरों से निकलकर गली-मोहल्ले में भागते दिखाई देते थे। एक पूरी टोली होती थी, जिसको सिर्फ लुका-छिपी खेलना होता था। लेकिन आज गलियों में सन्नाटा पसरा रहता है।

Posted inपेरेंटिंग

नाचते-नाचते कहीं गुम हो गया लट्टू और आ गया बेवलेट

इस आधुनिकता के दौर में बचपन इलेक्ट्रॉनिक गेम्स की दुनिया में कैद हो गया है। पुराने खेल खेलते बच्चे आज किसी भी गली व मोहल्ले में दिखाई तक नहीं देते हैं।

Posted inहिंदी कहानियाँ

गृहलक्ष्मी की कहानियां – किस्मत का खेल

सालों बाद बेटी की बचपन की सहेली को डॉक्टर के रूप में देखकर आंखों में हजारों सवाल कौंध गए। लेकिन उसके जवाबों ने मन के बोझ को सालों बाद हल्का कर दिया।

Posted inहिंदी कहानियाँ

मां की ममता – गृहलक्ष्मी कहानियां

मां इतनी सुन्दर, इतनी गोरी चिट्टी, उसे खुद पर गर्व हो आया था कि उसकी मां सबसे सुन्दर और सबसे प्यारी है…। सुबह हो या शाम, उसने खुद को मां की ही गोद में पाया, फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि मां उसे बिना बताए ही चली गई।

Gift this article