एक बहुत ही लाज़मी बात है की एक वक़्त ऐसा आता है | जबकि इंसान अपने ही बच्चों से बार बार अपने बचपन की तुलना करने लगता है और तुलना कितनी बार इतनी ज्यादा घातक हो जाती है
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बचपन को दें बुलंद परवरिश
आप अपने बच्चे को कल जैसा बनाना चाहते हैं, उसकी तैयारी आपको आज उसके बचपन से ही करनी होगी। जानिए, इसी अहमियत के बारे में कुछ-
Affordable Decorating Ideas : 3D पोस्टर्स से सजाएं बच्चों का रूम
बचपन लाइफ का सबसे प्यारा एहसास होता है। इसकी यादें ताउम्र ज़हन में बनी रहती हैं। इन्हीं पलों व यादों को ख़ूबसूरत बनाने के लिए पेरेंट्स हर मुमकिन कोशिश भी करते हैं। उन्हीं कोशिशों में से एक कोशिश क्यों न बच्चों के कमरे को डेकोरेट करने के लिए की जाएं। तो कैसे सजाएं अपने बच्चे का कमरा, आइए जानें-
गैजेट्स की भीड़ में छिप गया आइस-पाइस
पुराने समय की बात है जब शाम होते ही बच्चे अपने-अपने घरों से निकलकर गली-मोहल्ले में भागते दिखाई देते थे। एक पूरी टोली होती थी, जिसको सिर्फ लुका-छिपी खेलना होता था। लेकिन आज गलियों में सन्नाटा पसरा रहता है।
नाचते-नाचते कहीं गुम हो गया लट्टू और आ गया बेवलेट
इस आधुनिकता के दौर में बचपन इलेक्ट्रॉनिक गेम्स की दुनिया में कैद हो गया है। पुराने खेल खेलते बच्चे आज किसी भी गली व मोहल्ले में दिखाई तक नहीं देते हैं।
गृहलक्ष्मी की कहानियां – किस्मत का खेल
सालों बाद बेटी की बचपन की सहेली को डॉक्टर के रूप में देखकर आंखों में हजारों सवाल कौंध गए। लेकिन उसके जवाबों ने मन के बोझ को सालों बाद हल्का कर दिया।
मां की ममता – गृहलक्ष्मी कहानियां
मां इतनी सुन्दर, इतनी गोरी चिट्टी, उसे खुद पर गर्व हो आया था कि उसकी मां सबसे सुन्दर और सबसे प्यारी है…। सुबह हो या शाम, उसने खुद को मां की ही गोद में पाया, फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि मां उसे बिना बताए ही चली गई।
