युद्ध-गृहलक्ष्मी की कविता
Yudh

Poem in Hindi: इतिहास गवाह है कि
स्त्रियों ने कभी भी युद्ध नहीं चुने
जब भी युद्ध हुए
युद्ध पुरूषों ने चुने
स्त्रियों ने रखे घायल
घाव पर रूई के फाहे
स्त्रियों ने युद्ध नहीं
प्रेम चुना
और बचाए
अपने स्वाभिमान का रास्ता
अपने स्त्रीत्व को
बचाने के लिए जौहर चुने
फिर भी वो सबसे ज्यादा सजा भुगतती है
शहीद सैनिकों की ….कभी
मां बनकर कभी पत्नी बनकर
और कभी बेटी बहन बनकर
बेटा तो बड़ा होकर फिर वही
रूद्र रूप लेकर युद्ध चुनता है
वो बदला लेना चाहता है
अपने पिता के शहीद होने का उसके विरुद्ध
एक बार फिर से वही
…..युद्ध।।

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