Saraswati Vandana
Saraswati Vandana

Saraswati Poem: हे मां वीणा वादिनी ऐसा तू वरदान दे,
ज्ञान से झोली तू भर दे, ज्ञान का आकाश दे।
ज्ञान की गंगा बहे मां, ज्ञान का भंडार दे,
ज्ञान की चाशनी में मां तू, हमको भी बस पाक दे।

ज्ञान की सरगम सजे मां, ज्ञान का संगीत हो,
ज्ञान के नूपुर बजे मां,ज्ञान के ही साज हो।
ज्ञान से ही सजे लेखनी, ज्ञान की स्याही तू दे।
ज्ञान के पन्नों पर मां तू, ज्ञान अमृत बांट दे।

ज्ञान का आंगन सजे मां, ज्ञान की ही धूप दे,
ज्ञान की पवन बहे मां, ज्ञान की बरसात दे।
ज्ञाने से हृदय भरा हो, ज्ञान ही बस में सुनूं,
ज्ञान ही मै मुख से बोलूं , मां ऐसा दीपक वाल दे।

ज्ञान से ही भाव समझूं , ज्ञान से ही भाव लिखूं,
सार्थक साहित्य की करूं में सेवा, ऐसा तू आशीष दे।
हस्त जोड़े मै खड़ी मां, सुन लो मेरी प्रार्थना,
ज्ञान के सागर से मोती मां,मेरे आंचल में डाल दे।

ज्ञान का करार दे मां, ज्ञान का श्रंगार दे,
ज्ञान की थपकी तू दे मां, आके हमको थाम ले।
हर सखा के दिल की समझूं, ऐसी तू कृपा कर दे,
हर बात सरलता से लिखूं मां, ऐसा तू वरदान दे।

कब से तेरे द्वार खड़ी मां, अब तो हाथ थाम ले,
अज्ञान का तिमिर हटाकर मां, ज्ञान का आलोक दे।
ज्ञान की निष्ठा तू दें मां, ज्ञान के चक्षु तू दे,
ज्ञान शशांक माथे सजा हो,ऋतु बसंत में मां इस ऋतु को भी तार दे।