माँ का दर्शन पाए-गृहलक्ष्मी की कविता
Maa ka Darshan Paae

Navratri Hindi Poem: नवरात्रि के पावन दिन अब सुभग सुहाने आए,
रहकर विनत भाव श्रृद्धा से माँ का दर्शन पाएं।
गऊ मात के गुबरा से घर आँगन चौक लिपाए
आम्र वल्लरी और पल्लव से वंदनवार बनाए
पिसी हरिद्रा चौक पुराए औ फूलन द्वार सजाए
रहकर विनत भाव श्रृद्धा से माँ का दर्शन पाएं।
घर की हरित उन्नति को जौ बोकर कलश धराए
मात भवानी का आवाहन नारियल वस्त्र चढ़ाएं
उगते जौ माता की उपस्थिति का एहसास कराएं
रहकर विनत भाव श्रृद्धा से माँ का दर्शन पाएं।
करें भजन पूजन आराधन सौ संकीर्तन करवाएं
सेंदुर बिंदिया कंगना गजरा माँ का रूप सजाए
सजी सलोनी मात सुंदरी शोभा बरन न जाए
रहकर विनत भाव श्रृद्धा से माँ का दर्शन पाएं।
लौंग पान फल फूल सुपारी बर्फी का भोग लगाएं
ढोल मृदंग बजा ढप ढपली माता की भेंटें गाए
आशीर्वाद प्राप्त कर अलका कृत्य कृत्य हो जाए
रहकर विनत भाव श्रृद्धा से माँ का दर्शन पाएं।
नवरात्रि के पावन दिन अब सुभग सुहाने आए,
रहकर विनत भाव श्रृद्धा से माँ का दर्शन पाएं।

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