Poem on Daughter: अहिल्या गार्गी जैसी विदुषियों पर आज आघात पर आघात है,
क्या हमारी बच्चियों के भविष्य का सिर्फ यही परिणाम है।
टूटा बांध सब्र का अब आता नहीं करार,
कर दो अंग-भंग इन भेड़ियो के मोदी जी,
करो इन राक्षसों के समूचे वंश का विनाश।
जो कर सके रक्षा बेटियों की तुम,
तभी तो तुम कहलाओगे सच्चे पहरेदार,
देकर इन बच्चियों को निर्भय समाज साबित करो मोदी जी ,
तुम हो सच्चे चौकीदार।
जी है हलकान बहुत हृदय पर घात है,
क्या हमारी बच्चियों के भविष्य का बस यही परिणाम है।
हर तरफ वहशी दरिंदे, जानवर रूपी इंसान है,
क्या हमारी बच्चियों का यहां सिर्फ यही परिणाम है।
हृदय हुआ व्याकुल बहुत फिर से एक बार है,
कैसे करूं तेरी रक्षा बेटी यही प्रश्न बार-बार है।
क्या मैं भूल जाऊं हर निर्भया की पुकार,
आज फिर अभया की चीख हृदय में करती चीत्कार।
कैसे करूं बेटी तेरी रक्षा यह प्रश्न है बार-बार ।
कहां तो छुपा लूं तुझको मैं, किस-किस से मैं बचाऊं,
बेटी का पिता होना है गुनाह,आज बार-बार दोहराऊं।
मत देना ईश्वर अब बेटीयों को जन्म तू बार-बार,
कैसे करूं रक्षा तेरी लाड़ो तेरा पिता बहुत लाचार।
बन गए जब रक्षक ही भक्षक,यह अस्पताल है गवाह,
कहां से लाऊं वापस तुझे लाड़ो,यह हृदय करता हाहाकार।
क्या आज हमारी बच्चियों के सपनों का,
बस यही निर्मम अविराम है।
क्या हमारे बच्चियों के भविष्य का सिर्फ यही परिणाम है।
यदि यही है नियति बेटी तेरी तो तू फिर कभी मत आना इस देश,
रह जाए सिर्फ पुरुष धरा पर, यही श्राप है बस शेष।
किससे मांगू न्याय मै किससे करूं दरखास्त,
अंधा है कानून यहां और बिक गए कानून के ठेकेदार।
कोई गली कोई शहर या कोई भी हो प्रांत,
नहीं है बच्चियां हमारी सुरक्षित उनका शोषण होता बार-बार।
एक बाप की आज सिर्फ और सिर्फ एक अरदास है,
कट जाए अंग उन राक्षसों के, जिन्होंने मेरी बच्ची को किया तार तार है।
कितना तो तू तड़पी होगी, कितना तो तू फडफडाई होंगी,
इंसान की शक्ल में भेड़िये शिकार करते तेरा बार-बार।
ज़ख्म इतने दिये देह को,कि आत्मा तक है घात।
कैसे करूं रक्षा तेरी लाडो तेरा पिता है लाचार।
मेरी तो थी काबिल सी बेटी,लगी रही जनसेवा में रात भर,
कहां पता था उस मासूम को उस पर थी गिद्धों की नजर।
आज हम सब टूट गए हृदय करता है पुकार,
कैसे करें रक्षा तेरी बेटी तेरे मां-बाप है लाचार।
देकर न्याय इन बच्चियों को अब तो साबित करो,
यदि तुम हो नेता हितैषी हमारे, हमारी बच्चियों को सुरक्षित करो।
नहीं तो जिस दिन उठेगी लाठी ऊपर वाले की,
कोई ना होगा तुम्हारे दुख का भी साझींदार
अब हम सबको ही संभालना है हमारी बेटियों की रक्षा का दारोमदार।
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