Hindi Poem: विनेश अगर तुम्हें लड़ता न देखा होता
जंतर मंतर के मैदानों से लेकर
पेरिस के अखाड़ों तक
शायद कभी न जान पाते
ये सोने और चांदी के तमगे
कितने बेमानी हैं
इनमें वो चमक कहाँ
जो तेरे जज़्बे तेरी कूवत में है
तुम्हारी कुश्ती की बात तो ख़ैर क्या ही करे हम
उसकी दहक तो उस रोज़ सुज़ाकी की आँखों में देखी थी
फ़र्श पर पड़ी उस जापानी छोरी से पूछो, बता देगी
शेरनियाँ दे वज़न नहीं, गूदे तौला करते हैं
बकवास हैं वो सारी फिल्मी लाइनें भी
जो कहती हैं
सिल्वर लाएगी तो भुला दी जाएगी
गोल्ड लावेगी तो मिसाल बन जावेगी
तू बिना गोल्ड और सिल्वर की मिसाल है विनेश
तूने हमें सिखाया है
सपने कभी उसूलों से बढ़कर नहीं होते
तेरा हौसला, तेरी जूझ हम सबने देखी है
देखे हैं तुझे भस्म करनेवाले भी
वो दबदबाखोर मगर ये भूलते हैं
तू कोई मामूली चिड़िया नहीं, यूनानी परिंदा है
जलेगा, ख़ाक होगा
फिर उठेगा फिर राख होगा
लेकिन बार बार हर बार
सूरज की आँखों में आँख डालकर कहेगा
मुझे इन्साफ चाहिए
आज तुझे बहन या बेटी नहीं कहूंगा विनेश
जो मुल्क़ इंसाफ़ न दे सके
उसे किसीको अपनी बहन अपनी बेटी
कहने का कोई हक़ नहीं
मगर इतना ज़रूर कहूँगा
जो जगह तूने हमारे दिल में बनायी है
वो दुनिया के किसी भी पोडियम से ऊँची है
चीयर उप चैंपियन
तमगे आते जाते रहेंगे
हमारा असली सोना तो तुम हो
ओलिंपिक की शीट में तुम्हारा नाम दर्ज नहीं हुआ
तो क्या हुआ
आनेवाली पीढ़ियां याद रखेंगी
क्या खूब लड़ी मर्दानी
Also read: पहलवान रह चुके हैं विनेश फोगाट के पति,इन्होंने एयरपोर्ट पर की सगाई: Vinesh Phogat Love Story
