Hindi Motivational Story: राखी का दिन बीतने को था और ललित की कलाई सूनी ही रह गई थी। उसे बार-बार रुलाई छूट रही थी और अपने घर की और अपने भाई बहनों की बहुत याद आ रही थी।
साल भर हो गया था उसे घर गए हुए सबसे मिले हुए। नौकरी लगने के बाद अपने घर बोकारो से दिल्ली की दूरी तय करना उसके लिए बहुत ही कठिन हो गया था। घर जाने के लिए कम से कम चार पांच दिन की छुट्टी का होना जरूरी था।
ट्रेन से आने जाने में ही तो कितना समय लग जाता और फ्लाइट से जाने में इतने पैसे वो अभी किसी हालत में नहीं निकाल पाता। बीबीए फिर एमबीए की पढ़ाई के बाद जैसे तैसे नौकरी तो मिल गई एक प्राइवेट कंपनी में पर अब एजुकेशन लोन चुकाने में ही तो उसकी आधे से ज्यादा सैलरी चली जाती थी फिर दिल्ली जैसे शहर में रहने खाने का भी तो खर्च निकालना पड़ता था।
वो हफ्ते भर से छुट्टी के लिए अप्लाई कर रहा था पर उसके बॉस ने छुट्टी की अर्जी मंजूर नहीं की। उनकी तरफ से दो टूक जवाब मिला…
“अगर छुट्टी चाहिए तो वापस काम पर मत आना। तुम्हारी जगह किसी और को नौकरी पर रख लेंगे।”
कितनी मुश्किल से तो उसे ये नौकरी मिली थी । आजकल इंजीनियरिंग और एम बी ए के बाद भी लोग बेरोजगार बैठे हैं और जिन्हें नौकरी मिल भी जाती है वो तानाशाह बॉस से परेशान हो अपनी नौकरी बचाने के फ़िराक में अपने परिवार से दूर हो जाते हैं। किसी त्योहार पर भी परिवार के साथ मिलकर त्योहार मनाना सपने समान हो जाता है।
ललित अपने चार भाई बहनों में सबसे छोटा है । दोनों भाईयों के साथ बड़ी बहन का तो वो खास लाड़ला है। मां के जाने के बाद बड़ी दीदी ने ही तो तीनों भाईयों को मां बनकर पाला था। उन्हें कभी मां की कमी महसूस नहीं होने दी।
उसने बड़ी दीदी के लिए उनकी पसंद की चटक लाल रंग की कांजीवरम साड़ी खरीदी थी उन पैसों से जो उसने साल भर गुल्लक में बस किराए से बचे चेंज डाल कर जोड़े थे । उन्हीं पैसों से वो ये साड़ी राखी का उपहार देने के लिए खरीद कर लाया था।
ऑफिस से आने के बाद वो बार-बार साड़ी को उलट पलटकर देख रहा था और उसकी आंखों से आंसू टपक कर साड़ी की प्लास्टिक पर टप टप गिरते और शांत कमरे की शांति को भंग कर रहे थे।
लड़के रोते नहीं हैं… मर्द को दर्द नहीं होता… बचपन से उनके मन में यह बात भर दी जाती है पर लड़के भी भावुक होते हैं उन्हें भी तकलीफ़ होती है फर्क बस इतना है वो जाहिर नहीं करते लेकिन एकांत में वो भी रोते हैं… उनकी भी आंखों के कोर गीले होते हैं।
रात के नौ बज रहे थे और ललित कमरे की लाइट जलाए बिना अपने बिस्तर पर लेटा अपनी बहन को याद कर रहा था।
चलचित्र की भांति हर रक्षाबंधन का दृश्य उसके आंखों के आगे घूम रहा था । कभी बड़ी दीदी से सबसे बड़ी और चमकदार राखी के लिए रूठते हुए तो कभी सबसे ज्यादा मिठाई के लिए।
“आप सबसे पहले मुझे राखी बांधोगी।”
“तुझे क्यों बांधेंगी दीदी सबसे पहले राखी। तू सबसे छोटा है तो हम दोनों भाईयों के बाद तेरा नंबर आएगा।”
वो रूठना मनाना दीदी का गोद में उठाना सबसे पहले सबसे सुंदर राखी बांधना… सारे दृश्य एक के बाद एक उजागर होते चले जा रहे थे।
वो किराए के मकान में रहता था। आज उसने कमरे की कुंडी अंदर से नहीं लगाई थी। अंधेरे कमरे में अचानक लाइट जली तो वो चौंक कर उठ बैठा। उसकी बड़ी दीदी माला उसके सामने थी।
थोड़ी देर तो वो अवाक सा खड़ा एक टक दीदी को देखता रहा उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसकी बहन उसके सामने खड़ी है।
“ओए छोटे कोई भूत नहीं देख रहा… मैं तेरी बहन हूं। ये क्या हालत बना रखी है तूने अपनी।”
वो दीदी के गले से लिपट रोने लगा।
“दीदी आप कब… कैसे… आईं?” वो हकलाते हुए बोला। खुशी से उसकी आंखों के आंसू झर रहे थे और शब्द मुंह से निकल ही नहीं रहे थे।
“उड़कर आ रहीं हूं तुझे राखी बांधने । बस लड़ना मत आज तुझसे पहले दोनों भाई को सुबह राखी बांध कर आ रही हूं पर देख सबसे अच्छी वाली राखी तेरे लिए ही लाई हूं।”
“दीदी आप आ गईं राखी बांधने मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा। मुझे तो लग रहा था कि इस बार मेरी कलाई सूनी ही रह जाएगी।”
“ऐसे कैसे सूनी रह जाती तेरी कलाई… अभी तेरी बड़ी दीदी जिंदा है।”
“दीदी…”
“ओए! छोटे अब तू बड़ा हो गया है और बच्चों की तरह रो रहा है। वैसे भी भूल गया कि लड़के नहीं रोते।”
“दीदी आज रक्षाबंधन के दिन भी मैं आपसे राखी बंधवाने नहीं आ पाया। बॉस ने छुट्टी ही नहीं दी।”
“तो क्या हुआ तेरी दीदी आ गई राखी बांधने। कल जब तेरा मैसेज देखा कि तू नहीं आ पाएगा तो तेरे जीजू ने मेरी फ्लाइट की टिकट बुक कर दी। देख वो भी आएं हैं उन्हें तो मैं भूल ही गई थी तुझसे मिलने के बाद। आज अगर वो साथ ना देते तो कहां तेरी बहन अपने भाईयों को राखी बांध पाती।”
“क्या जीजू भी आएं हैं?”
दरवाजे पर खड़े माला के पति दोनों भाई बहन को देख रहे थे उनकी अपनी कोई बहन नहीं थी इस बात का उन्हें हमेशा अफसोस रहता था इसलिए माला को उसके भाई की मजबूरी समझ राखी बांधने ले आए थे।
“प्रणाम जीजू सॉरी मैंने आपको देखा नहीं।”
“हां साले साहब अब आप हमें क्यों देखेंगे। आपकी बड़ी दीदी जो आ गई है।”
“नहीं ऐसी बात नहीं है। वो तो सिर्फ आपके कारण ही आ पाईं हैं।”
“अच्छा अब आप हमको अंदर भी नहीं बुलाइएगा । बहुत दिनों से मन था आपको देखने का कि आप नए शहर में ठीक से हैं। मन लगाकर काम कर रहें हैं ये जानकर ही मन खुश हो जाता है।”
ललित अपने जीजाजी के गले से लगकर उनका धन्यवाद कर उन्हें अंदर अपने कमरे में ले आया।
“चलो अब जल्दी से माला तुम अपने भाई को राखी बांध दो।”
“हां बस एक मिनट में राखी की थाली सजाकर आती हूं। छोटे किचन कहां है तेरी।”
ललित ने कमरे के एक कोने में रखा इंडक्शन और कुछ बर्तनों की तरफ इशारा करते हुए कहा…
“दीदी यही है आपके छोटे भाई की छोटी किचन।”
लता ने जब देखा खाना बनने के कोई निशान नहीं थे तो पूछा…
“आज खाना नहीं बनाया या बाहर से मंगवाया।”
“दीदी बाहर का खाना मंहगा पड़ता है और पचता भी नहीं है। आज खाने का मन नहीं कर रहा था तो नहीं बनाया।”
“अच्छा ऐसे कैसे मन नहीं कर रहा था अब मुझको और अपने जीजू को भी भूखा रखेगा क्या?”
“नहीं दीदी मैं अभी कुछ ऑडर कर देता हूं।”
“कोई जरूरत नहीं है। मैं चीनी वाली रोटी बना देती हूं तुझे बहुत पसंद है ना।”
“हां दीदी।अब भूख भी जोरों से लग गई है।”
लता ने चीनी वाली रोटियां और टमाटर की चटनी बनाई ललित को राखी बांधी और तीनों ने मिलकर खट्टे मीठे भोजन का आनंद बचपन की खट्टी-मीठी यादों के साथ लिया।
ललित ने वो कांजीवरम की साड़ी जैसे ही दी तो माला की आंखों से खुशी के आंसू आ निकले।
“अरे! छोटे इतनी अच्छी कांजीवरम की लाल साड़ी तू मेरे लिए लाया था देख अगर मैं नहीं आती तो…”
“तो क्या मैं इसे संभाल कर रखता। जब भी आपसे मिलता तो आपको अपने हाथों से ही देता पोस्ट या कुरियर से नहीं भेजता । कैसी लगी आपको ये साड़ी?”
“बहुत ही प्यारी। इसे मैं तेरी शादी में पहनूंगी। तेरी दुल्हन से ज्यादा सब मुझे ही देखेंगे।”
“क्या दीदी आप भी ना। वैसे भी आपसे ज्यादा सुंदर दुनिया में कोई है भी नहीं।”
“हां तो साले साहब आप हम दोनों को अपनी शादी में भी नहीं बुलाइएगा।”
“ऐसा कैसे हो सकता है जीजाजी।”
हंसी-मजाक के साथ रक्षाबंधन की ये रात सबसे यादगार बन गई ललित की जिंदगी में। वो कांजीवरम की साड़ी पहन दीदी ललित के साथ ढेर सैल्फी ले रही थी।
“एक आध फोटो में हमको भी शामिल कर लीजिए बेगम साहिबा।” लता के पति मुस्कुराते हुए बोले तो लता बोली … लीजिए आप ही खींचिए हम दोनों की फोटो।
