Hindi Motivational Story: “ये क्या फिर से कूड़ा कबाड़ा इक्कठा करके बैठी हो। क्या मिलता है तुमको इस सब में? हजार दफा कहा है कि मैं तुम्हें ऐसे काम करते हुए नहीं देखना चाहता हूं। किस चीज की कमी है तुमको जो अपनी आंखें और शरीर बर्बाद करने मे तुली हो।”
रोहित ने ऑफिस से आते ही अपनी पत्नी रिया को ऊन सिलाई में व्यस्त देखा तो वो झल्ला उठा था। उसे बिल्कुल पसंद नहीं था रिया का इस तरह के काम करना।
यह वही रोहित था जो रिया के सरल स्वभाव और उसकी सादगी पर उससे बेइंतहा प्यार करने लगा था लेकिन समय के साथ साथ वो बदलने लगा था। रिया में जो गुण थे वही तो उसे अब अवगुण नजर आते थे।
रिया भी रोहित में आए इस बदलाव से वाकिफ थी और जानती थी कि रोहित उसके हाथ में ऊन कांटा देखेगा तो उस पर गुस्सा होगा। वो अपने काम में इतनी व्यस्त हो गई थी कि उसे समय का ध्यान ही नहीं रहा कि रोहित आने वाला है तो अपना ये सारा सामान समेट ले जो सोफे पर बिखरा हुआ था।
वो रोहित के गुस्से को जानती थी इसलिए जल्दी जल्दी उसने ऊन सिलाई को समेटा और अपनी अलमारी में रख दिया।
उसकी आंखों में आंसू भर गए थे। आज जो नया डिज़ाइन सीखा था वो भी पूरे दिन के लगातार प्रयास के बाद वो हड़बड़ाहट में बेकार हो गया था। उसी डिजाइन से तो वो अपने रोहित के लिए ऊनी मॉफलर और स्वेटर बनाने वाली थी। जिसके लिए वो कुछ दिन पहले ही तो बाजार जाकर ऊन लाई थी उन पैसों से जो रोहित ने उसे अपने लिए कोई अच्छी ड्रेस लाने के लिए दिए थे।
रोहित एक अच्छी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था और उसे हर महीने अच्छी सैलरी मिलती थी। वो चाहता था कि उसकी पत्नी भी उसके दोस्तों की पत्नियों की तरह मॉर्डन हो। ब्रांडेड कपड़े पहने किटी पार्टी में जाए।
रिया एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी। बचपन से मां को एक एक पैसा जोड़ते देखा था उसने। पिता की कम आय पर भी वो कितनी खुश रहा करतीं थीं और तीनों बच्चों की पढ़ाई लिखाई में कोई कमी न रहे इसलिए सिलाई बुनाई करतीं थीं।
उसके पिता को भी तो उसकी मां का सिलाई बुनाई करना पसंद नहीं था इसलिए तो उसकी मां उनके काम पर जाने के बाद ही मशीन निकालती थी। उनकी मशीन क्या थी रिया के लिए तो वो किसी जादू से कम नहीं थी। जब मां कपड़े सिलती तो सूई में धागा डालना और सिले हुए कपड़े को अपनी तरफ खींचने में रिया को बहुत मजा आता।
सर्दियों में जब उसकी मां ऊन सिलाई से स्वेटर बुनती तब रिया उनके पास बैठ जाती और बड़े ध्यान से ऊन के गोले से ऊन को सिलाई पर बुनते देखती और दो सिलाईयो को हवा में उसकी मां के हाथों के इशारे पर नाचते देखती। उसके लिए तो वो एक खेल की तरह ही था।
पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ उसे अपनी मां से ये गुण भी विरासत में मिले थे। उन्हें देखकर ही रिया ने बहुत कुछ सीख लिया था। स्कूल के आर्ट एंड क्राफ्ट पिरियड में टीचर उसके बनाए हर क्राफ्ट पर खूब तारीफ करती।
“अब अलमारी में ही घुसी रहोगी या जल्दी से तैयार होकर मेरे साथ मेरे दोस्त की पार्टी में चलोगी।”
यादों के गलियारे से निकल वो वर्तमान में लौट आई थी।
“रोहित मेरा बिल्कुल मन नहीं कर रहा आप चले जाइए।”
“तुम्हारा मन तो सिर्फ गरीबों की तरह सिलने बुनने में लगता है। एक से बढ़कर एक कपड़े मॉल में मिलते हैं और हां वहां तुम्हारा सो कॉल्ड हैंड मेड समान भी मिलता है। “
रोहित के साथ इस बात को लेकर वो बहस नहीं करना चाहती थी। हैंड मेड समान जो महंगे दामों में खरीदतें हैं वो किसी ने अपने हाथों से ही तो बनाया होता है। यह बात समझते हुए भी वो रिया के इस शौक की तारीफ ना करके उसे ज़लील करने लगा था।
“जी मैं चाय लेकर आई।”
रिया ने अपने आंसुओं को छुपाते हुए उन्हें अपने दुपट्टे से पोंछ लिया।
“चाय रहने दो हम कॉफी पी लेंगे कॉफी शॉप में रेयान के घर जाने से पहले। एक नया रेस्टोरेंट उसी रास्ते में खुला है।”
अनमने मन से रिया तैयार होकर रोहित के साथ जा रही थी पर उसका मन अतीत में ही भटक रहा था।
रोहित से उसकी पहली मुलाकात कॉलेज में लगे क्राफ्ट एग्जिबिशन में ही तो हुई थी जहां उसने अपने हाथों से बनाए सॉफ्ट टॉयज को भी सजाया था। सबकी नजर रिया के बनाए सॉफ्ट टॉयज पर ही टिकी थी।
रोहित ने रिया के बनाए सारे सॉफ्ट टॉय खरीद लिए थे और उसे बनाने वाले की खूब तारीफ की थी।
रिया को भी पहली नजर में ही रोहित से प्यार हो गया था। धीरे-धीरे उनके बीच की नजदीकियां बढ़ने लगीं।
रोहित का एक ही सपना था अमीर बनना। उसके उस सपने में रिया खुद को उससे दूर होते देखती।
रोहित कहता…
” जब खूब पैसे होंगे हमारे पास तो हमें किसी चीज की कमी नहीं होगी। रिया मैं सिर्फ तेरे लिए ही तो कमाना चाहता हूं। तुझे कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा।”
“मुझे सिर्फ तुम्हारा प्यार चाहिए और कुछ नहीं।”
“सिर्फ प्यार से पेट नहीं भरता है रिया। जरूरत और ऐशो आराम के समान सिर्फ प्यार से नहीं मिलते हैं। उनके लिए पैसों की जरूरत रहती है। मैं तुम्हें दुनिया की सभी खुशी देना चाहता हूं। मैंने जो सपना देखा है उसे जरूर पूरा करूंगा। बोलो मेरे सपने को पूरा करने में तुम मेरी मदद करोगी ना।”
“हां रोहित तुम जिस तरह पढ़ाई पर ध्यान दें रहे हो तुम्हें जरूर अच्छी सरकारी नौकरी मिल जाएगी। तुम प्रतियोगी परीक्षा के लिए फॉर्म भरना शुरू कर दो।”
“नहीं मुझे सरकारी नौकरी नहीं करनी है बल्कि किसी बड़ी कंपनी में काम करना है। जहां मेरा लाखों में पैकेज हो और कंपनी की तरफ से फ्लैट और गाड़ी सब मिले।”
रिया को रोहित और अपने भविष्य की चिंता तो होती थी पर वो उससे दूर नहीं जाना चाहती थी। रिया के परिवार वालों ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की…
“रिया बेटा तुम ऐसे आदमी के प्यार में अपनी जिंदगी बर्बाद मत करो जो सिर्फ दिखावे की जिंदगी और पैसे कमाने के लिए अंधी दौड़ लगा रहा है।”
“पापा वह मुझसे प्यार करता है और मेरे लिए ही पैसे कमाने के पीछे दौड़ रहा है। वो मुझे अच्छे से रखेगा आप चिंता मत कीजिए।”
रिया रोहित से प्यार करती थी और उसके सपने पूरे करने में उसका हमेशा मनोबल बढ़ाया करती। जब भी वो दुखी होता वो उसका सहारा बनती।
“मैं बहुत ही खुश नसीब हूं जो तुम जैसी जीवन संगिनी मुझे मिली।” यही शब्द तो शादी के बाद की पहली रात को रोहित ने रिया को कहे थे।
“आप ही नहीं रोहित मैं भी किस्मत वाली हूं जो आपने मुझे अपनाया।”
शादी के कुछ ही दिनों बाद रोहित पैसा कमाने की होड़ में मशीनी जिंदगी जीने लगा था। उसके पास रिया के लिए समय ही नहीं था। बस कभी कंपनी या किसी दोस्त की पार्टी में उसे अपने साथ ले जाता।
“मैं किसी स्कूल में नौकरी के लिए आवेदन दे दूं।”
“नहीं रिया तुम ये नौकरी और पैसे कमाने की बातें अपने दिमाग में भी मत लाओ। मैं हूं ना… इतना पैसा किसके लिए कमा रहा हूं।”
रिया को दिनभर अकेलापन खलने लगा तब उसने अपने अंदर छुपे हुनर को पहचाना। बाहर जाकर काम करने पर रोहित ने उसे मना किया था। इसलिए उसने नौकरी के बारे में सोचना ही छोड़ दिया।
रोहित के ऑफिस जाने के बाद वो अपने खाली समय में सिलाई बुनाई और पेंटिंग करती। जिससे उसका मन लग जाता था और समय भी आराम से बीत जाता।
अचानक सामने से आती तेज लाइट चमकने से रोहित ने ब्रेक दबा दिया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और जोरदार झटके के कारण उसका सिर स्टेयरिंग से जा लगा।
रिया ने बड़ी मुश्किल से रोहित को गाड़ी से बाहर निकाला और कुछ लोगों की मदद से अस्पताल ले आई।
रोहित के सिर पर गहरी चोट थी और उसका चेहरा भी बुरी तरह ज़ख़्मी हो गया था।
रिया ने हिम्मत से काम लिया और रोहित के इलाज में कोई कमी नहीं छोड़ी। प्लास्टिक सर्जरी में हॉस्पिटल के बिल में रोहित की पूरी सेविंग खत्म हो गई । कंपनी से भी उसे निकाल दिया गया।
“मेरा सब कुछ खत्म हो गया रिया फिर भी तुम मेरे साथ हो। तुम मुझे छोड़कर जा सकती थी पर तुमने ऐसा नहीं किया।”
“रोहित आपने ऐसा सपने में भी कैसे सोच लिया कि आपके बीमार पड़ने या एक्सीडेंट होने पर मैं आपको छोड़ दूंगी। सात जन्मों का रिश्ता बन गया है हमारा। हर जन्म में तुम्हारे काबिल बनने का प्रयास करती रहूंगी।”
“मैं तुम्हारे साथ बहुत बुरा व्यवहार करने लगा था जिसकी सजा ईश्वर ने मुझे इस तरह दी। मैं ही तुम्हारे काबिल नहीं हूं।”
“ऐसा मत कहिए रोहित आप। मैंने आपसे प्यार किया है आपके खूबसूरत चेहरे या आपके पैसों से नहीं।”
रोहित जब अस्पताल से घर आया तो वो रिया से अच्छा बर्ताव करने लगा।
“तुम्हारा जो मन करे वह किया करो मैं तुम्हें कभी तुम्हारे किसी भी शौक को पूरा करने से नहीं रोकूंगा। अच्छा अब यह तो बताओ कि मेरा स्वेटर अपने हाथ से बुनकर कब मुझे दे रही हो।”
“आप पहनेंगे… मेरे हाथ का बना हुआ स्वेटर।”
“हां जरूर पहनूंगा।”
रिया अपना ऊन कांटा निकाल कर रोहित के पास बैठी उसके लिए स्वेटर बुन रही थी और रोहित अपने किए बुरे बर्ताव पर शर्मिंदा था।
रिया के प्यार और प्रयास ने आखिर रोहित की आंखों पर चढ़ें दिखावे की जिंदगी के चश्मे को उतार दिया था।
