पति-पत्नी के रिश्ते के साथ सास-बहू के संबंध में मिठास घोलता है करवाचौथ व्रत, जानें कैसे: Karwa Chauth 2024
इस लेख में जानते हैं कि कैसे करवाचौथ सास-बहू के रिश्ते में प्रगाढ़ता लाने का काम करता है।
Karwa Chauth 2024: पति की सलामती के लिए करवा चौथ रखा जाता है लेकिन करवाचौथ केवल पति-पत्नी के रिश्ते को ही मजबूत नहीं बनाता है बल्कि सास और बहू के रिश्ते में भी मिठास घोलता है। कुछ समय पहले तक करवाचौथ केवल उपवास तक ही सीमित था लेकिन अब यह किसी त्योहार से कम नहीं है। पति के अलावा सास के साथ रिश्तों में भावनात्मक संबंध और आपसी सम्मान में बढ़ावा देने का काम यह त्योहार कर रहा है। इस लेख में जानते हैं कि कैसे करवाचौथ सास-बहू के रिश्ते में प्रगाढ़ता लाने का काम करता है।
Also read: पीरियड होने पर करवा चौथ का व्रत कैसे करें?
सास सिखाती है रीति-रिवाज

सबसे पहला कदम तो यही है कि परंपराएं, रीति-रिवाज एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी स्थानांतरित होते हैं। यह काम सास ही करती है। वह बहू को उनके परिवार से जुड़े इस व्रत के रीति-रिवाज़ समझाती है। सास का सिखाना और बहू का उसे स्वीकारते हुए अपनाना संबंध मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। सास का ‘सरगी’ तैयार करना और अपनी सांस्कृतिक प्रथाओं का आदान-प्रदान करना संबंध को गहरा बनाने का काम करता है। बहू इस तरह से ससुराल में अधिक जुड़ा हुआ महसूस करती है। यह एक तरह से आपसी सम्मान की नींव तैयार करना है।
सरगी का महत्व

कई घरों में ‘सरगी’ का रिवाज है। सूर्योदय से पहले खाई जाने वाली चीज़ है सरगी, जो सास अपनी बहू को देती है। इसमें मेवे, फल, मिठाई या उनके द्वारा बनाई कोई चीज़ शामिल होती है। यह एक तरह से बहू के प्रति प्यार और अपनापन दिखाने का ज़रिया है। सास को अपने लिए यह सब करते हुए देखना बहू को सुखद अहसास करता है कि उनके लिए इस घर में करने वाला कोई है। यह इस रिश्ते को गहने भावनात्मक स्तर पर जोड़ने का काम करता है।
मिलजुल कर तैयारी करने का मौका
कोई भी त्योहार हो जब कोई काम मिलजुल कर करते हैं तो आपसी समझ बढ़ती है और एक दूसरे के साथ समय बिताने का मौका मिलता है। करवाचौथ के व्रत की तैयारी के समय भी सास-बहू को एक दूसरे के साथ समय बिताने और समझने का मौका मिलता है। इससे घर का माहौल भी खुशनुमा रहता है। हंसी-खुशी और बातचीत के क्षण मजेदार होते हैं। यह प्रक्रिया वास्तव में पीढ़ीगत अंतराल को पाटने का काम करती है। एक तरह से यह मौका यादें बनाने का होता है।
विश्वास और सम्मान
जब कोई अनुभवी सास बहू को मार्गदर्शन देती है और जानकारियां उपलब्ध कराती है और बहू भी भागीदारी और समर्पण भी नज़र आता है, तो यह रिश्ते में एक विश्वास पैदा करता है। सम्मान लेकर आता है। सकारात्मक रिश्ते को जन्म देता है। इन सबसे पारिवारिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता झलकती है।
इन बातों से आप समझ गए होंगे कि किस तरह से सास-बहू के रिश्ते के लिए भी करवाचौथ एक खास त्योहार है। यहां परंपराओं को साझा किया जाता है और भावनात्मक स्तर पर जुड़े का मौका मिलता है। परिवाल में एकजुटता की भावना बढ़ती है। सास-बहू के मिलजुल कर रहने से घर किसी स्वर्ग से कम नहीं होता है।
