छोटी उम्र में तथाकथित प्यार, कहीं न कर दें जिंदगी बर्बाद: Teen Love Effects
Teen Love Effects

Teen Love Effects: प्यार…जितना प्यारा शब्द, उससे भी अधिक प्यारा उसका एहसास। लेकिन, समय के साथ शायद प्रेम के इस एहसास की परिभाषा बदल गई है। प्रेम को जहां समर्पण और विश्वास का भाव समझा जाता है वो आज बदला और झूठ के भाव में बदल गया है। आज के इस समाज में हमने कितने ही ऐसे मामले देखे या सुने हैं, जिसमें प्रेम के चलते सरेराह हत्या जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया जाता है। उससे भी भयानक स्थिति वो होती है, जब इस अपराध को अपने सामने देखते हुए राह में चलने वाले सामाजिक लोग नजरें फेर लेते हैं। क्या आज सच में प्रेम की परिभाषा बदल गई है? या फिर प्यार के नाम पर अपराध करने वाले किसी मानसिक सोच से ग्रस्त होते हैं?

दरअसल, हाल ही में दिल्ली में दिल दहला देने वाले कत्ल की वारदात सामने आई। जिसमें 20 साल के आकाश (बदला गया नाम) ने 16 साल की नाबालिग नैंसी (बदला गया नाम) की बेहद बेरहमी से कई बार चाकू से गोदा और सिर को पत्थर से कुचल दिया। दुखद है कि आसपास से गुजरते लोगों ने उस लड़की को बचाने के लिए कोई बीचबचाव नहीं किया। इस जघन्य हत्या की मूल वजह दोस्ती-प्यार, दूसरे लड़के से दोस्ती और उनके बीच आई दरार मानी जा रही है। जिसे साहिल बर्दाश्त नहीं कर पाया और अपने रिश्ते को कत्ल का अंजाम दिया।

प्यार में हत्या क्या सच में प्यार? या कोई मानसिक स्थिति

Teen Love Effects
Murder in Love

प्यार में हत्या क्या सच में प्यार है? या फिर ये किसी तरह की मानसिक स्थिति है, जिसमें इंसान इतने जघन्य अपराध को बेखौफ होकर अंजाम देता है। आज इस लेख में हम इसी तरह के प्यार और ऐसी ही स्थिति पर कुछ जानकारी देंगे। प्यार में अपराध करने की इस स्थिति को सीधे तौर पर व्यक्ति को पर्सनेलिटी डिसऑर्डर से जोड़ा जाना चाहिए जो उसकी परवरिश, जीवनशैली और सोच पर निर्भर करता है। देखा जाए तो दिल्ली में हुई उस हत्या का आरोपी मानसिक रूप से बीमार या साइकोटिक पर्सनेलिटी है जिसने खुलेआम हत्या की। वह एंटी-सोशल क्रिमनल मनोवृत्ति और मनोवैज्ञानिक रूप से विक्षिप्त पर्सनेलिटी वाला लड़का है जो सिर्फ अपने तक ही सीमित रहते हैं और दूसरों को अपने इशारों पर नचाना चाहते हैं। अगर कोई उनके विरूद्ध जाता है, वो उसे शरीरिक-मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। यहां तक कि उसकी जान लेने में भी पीछे नहीं रहते।

आपराधिक मनः स्थिति के कारण

Reason
Reason of situation

इस तरह के अपराधियों की मनःस्थिति के कई कारण हो सकते हैं जैसे- शराब पीने की वजह से पूरे होशोहवास में नहीं था। युवा अवस्था, फैमिली और आसपास का माहौल कैसा है, पेरेंटल रिलेशन कैसे हैं, परवरिश कैसी हुई है, उम्र , मेंटल सोच कैसी है, सोशल मीडिया में कितना एक्टिव है, लाइफ स्टाइल कैसी है, बाल-शोषण का शिकार तो नहीं है। इसके अलावा प्यार में रिजेक्शन को स्वीकार नहीं कर पाना जैसे कई कारण हो सकते हैं।

पितृसत्तात्मक मानसिकता भी है जिम्मेदार

इसके अलावा समाज में मौजूद पितृसत्तात्मक मानसिकता भी अहम मानी जा सकती है। लड़कों के दिमाग में बचपन से ही यह भरा जाता है कि महिला सिर्फ एक ओबजेक्ट या वस्तु है जो उसके कंट्रोल में होनी चाहिए और उसके इशारों पर नाचनी चाहिए। इसके साथ ही उनमें किसी से भी रिजेक्शन या न सुनने को बर्दाश्त न करने की आदत विकसित हो रही है। खासकर किसी लड़की के रिजेक्शन पर पुरूषवादी अहंकार के चलते बर्दाश्त नहीं कर पाते। बेमेल अपेक्षाओं के पूरा न होने और अपने को श्रेष्ठ साबित करने की मानसिकता के चलते वर्तमान में वे आक्रामक रवैया अपना रहे हैं। जिसका प्रमाण आएदिन समाज में लड़कियों की निर्मम हत्या होने के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

कम उम्र में प्यार, महज आकर्षण

जहां तक इतनी छोटी उम्र में प्यार करने का सवाल है। सच्चाई यह है कि 15-16 साल की उम्र में प्यार नहीं होता, शारीरिक आकर्षण या संतृप्ति होता है। अगर कोई व्यक्ति उसे प्यार मानता है या या उस प्यार को स्वीकार करता है- तो यह उसकी बेवकूफी है। अगर आपको कोई पसंद है और उसके आकर्षण में आप अपनी जिंदगी उसके नाम करने को तैयार हो जाते हैं-वो गलत है। दूसरे को प्रेशर में डालनेे के लिए अपने हाथ-पैर काटना या खुद को चोट पहुंचाना, मरने-मारने के लिए मजबूर करे- वो प्यार नहीं है, बल्कि ये पूरी तरह से पागलपन या भावनात्मक असंतुलन है।

प्यार वो है जो आपको सही राह दिखाता है, आगे बढ़ने, अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करता है। प्यार के लिए बहुत चीजों को छोड़ना पड़ता है। हमेशा दोतरफा होता है। रिलेशनशिप जिंदगी का एक हिस्सा मात्र है, जिंदगी नहीं कि इसकी खातिर कोई अपनी जान तक कुर्बान कर दे। बेशक इस उम्र में विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षित होना, बातचीत करना, मिलना-जुलना तक तो ठीक है ।रिलेशनशिप कायम करना गलत है क्योंकि जब आप खुद अपनी जिम्मेदारी उठाने में सक्षम नहीं है और अपने भविष्य के प्रति सचेत नहीं हैं तो आप कैसे किसी के साथ संबंध कायम कर सकते हैं। जरूरी नहीं आपकी रिेलेशनशिप लंबे समय तक बरकरार रहे, व्यस्क होने पर आपको यह बचकानी हरकत लगे और उनका एकसाथ जीवन बिताना दूभर हो जाए।

टॉक्सिक रिलेशन के प्रति सचेत रहना जरूरी

वर्तमान में कम-उम्र में लड़के-लडकियां रिश्ते बना रहे हैं जिसमें वो जाति-धर्म की भी परवाह नहीं करते। लेकिन इनमें ज्यादातर मामले ज्यादा लंबे समय तक कायम नहीं रह पाते और कातिलाना अंजाम ले रहे हैं। सबसे दुखद है कि इनका शिकार लड़कियां हो रही हैं। ऐसे में लड़कियों को अपने बचाव के लिए जागरूक होना चाहिए। उन्हें पता होना चाहिए कि रिश्ते कब खतरनाक हो रहे हैं। उन्हें कब सावधान हो जाना चाहिए।

बराबरी का दर्जा जरूरी

Equality
Equality

पितृसत्तात्मक समाज के चलते परिवार में लड़कियों को बराबरी का दर्जा देना जरूरी है। परिवार में सभी का कर्तव्य बन जाता है कि लड़कियों के साथ बराबर समय बिताएं, उन्हें अपनी बात परिवार के सामने रखने का पूरा अधिकार दें। अगर लड़कियों को कोई बात पसंद नहीं है या वो किसी काम को नहीं करना चाहती, तो छुटपन से ही लड़कियों को न कहना या पूरी दृढ़ता के साथ मना करना सिखाना जरूरी है। आत्मबल के साथ ही आत्म-सुरक्षा करना सिखाएं ताकि विरोधी परिस्थितियों के प्रति पूरी तरह सतर्क रहें और खुद को सुरक्षित रख सकें।

विपरीत लिंग आकर्षण को पहचानें

किसी से प्यार करना या किसी से लगाव होना आपके हाथ में है लेकिन आप यह तय नहीं कर सकते कि दूसरा व्यक्ति इस पर कैसी प्रतिक्रिया देने वाला है। किशोरावस्था में दिमाग का विकास बहुत तेजी से होने लगता है लेकिन दिमाग को नियंत्रित करने की क्षमता 25 साल तक विकसित नहीं होती। इस प्रकार इस दौरान युवा जल्दबाजी में निर्णय लेने, प्यार में पड़ने, अपने साथी के साथ भाग जाने, गलत लोगों के प्रति प्रतिबद्ध होने के कारण आवेगी हो सकते हैं। युवा वर्ग को अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और एक परिपक्व और अच्छी तरह से संतुलित, वयस्क के रूप में विकसित हों। क्योंकि छोटी उम्र में होने वाले एहसास सिर्फ प्यार नहीं विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण (opposite sex attraction) हो सकता है।

टॉक्सिक रिश्ते को पहचानना जरूरी

यदि ऐसे रिश्ते हों जिसमें किसी भी व्यक्ति को अपने परिवार से कटने, दूसरों से बात छुपाने के लिए बाध्य होना पड़े। या व्यक्ति दूसरे केे प्रति ओवर पोजे़सिव हो या एकाधिकार समझने लगे तो ऐसे रिश्ते से दूर रहना बेहतर है। असल में हेल्दी रिलेशनशिप लड़का-लड़की दोनों के आपसी रजामंदी से चलता है। अगर लड़की या लड़का दूसरे से बात करता है, तो दूसरे को उसकी हत्या करने का हक नहीं मिल जाता।

साइकोटिक बिहेवियर को न करें नजरअंदाज

रिलेशनशिप होने के बाद अगर लड़की को लड़के के साइकोटिक बिहेवियर का पता चले, लड़का उसके साथ जबरन रिलेशन कायम करने की धमकी दे रहा हो, या लड़की को उसकी पिछली जिंदगी की आपराधिक सच्चाइयों का खुलासा हुआ हो-तो लड़की को निशंक होकर अपने परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों को बताना जरूरी है। क्योंकि कई बार प्यार के जाल में फंसी लड़की लड़़के के आपराधिक चरित्र के बारे में यकीन ही नहीं कर पाती है। लड़के के आक्रामक रवैये को हल्के में लेती हैं और रिश्ता बनाए रखती हैं। यह सोचती है कि धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।

लेकिन उसका नजरअंदाज करना कई बार भारी पड़ सकता है, आक्रामकता उस पर भी हावी हो सकती है। अगर वो वाकई में प्यार करती है, तो उसे सुधारने और अच्छा इंसान बनाने के लिए मनोचिकित्सक के पास लेकर जाकर काउंसलिंग और समुचित उपचार करवाया जा सकता है।

छोटी-छोटी बातों को आंकना जरूरी

किसी से भी दोस्ती या रिलेशन कायम करने से पहले लड़कियों को सचेत रहना चाहिए। उसके व्यवहार या छोटी-छोटी बातों को आंकना जरूरी है। अगर वह बिना किसी कारण से उस पर हावी होने की कोशिश करता है। क्योंकि अगर वह बार-बार झूठ बोलता है, सिर्फ सेक्स, साथ घूमने-फिरने के बजाय कोई दूसरी बात नहीं करना चाहता, तो यह हेल्दी रिलेशनशिप की ओर इशारा नहीं करता। अगर लडकियां इन छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करती हैं, तो गलत है। उसे समझ जाना चाहिए कि लड़के के साथ कोई बिहेवियरल प्रॉब्लम है जितना जल्दी हो, उससे दूरी बनाना बेहतर है।

पेरेंट्स से खुलकर करें बात

जब तक आप किसी वयस्क के साथ इस पर चर्चा नहीं कर लेते, तब तक कोई निर्णय न लें। अपने माता-पिता या परिवार को अपनी योजनाओं के बारे में सूचित करें। उनके साथ अपने जीवन के बारे में साझा करें। अपने परिवार से छुपाकर न रखें।

(डॉ निशा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट एंड रिलेशनशिप एक्सपर्ट, बाय टेन्स, दिल्ली और डॉ अंजलि नागपाल, साइकाइट्रिस्ट, मैक्स सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल, गाजियाबाद)