Heart Attack in Summer: पिछले दिनों गर्मी के मौसम को लेकर आई इस खबर ने सबका ध्यान आकर्षित किया था, मुंबई में एक समारोह के दौरान तेज धुप में बैठने से हार्ट संबंधी समस्या के कारण 11 लोगों की मौत हुई थी और करीब 120 लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। जबकि तकरीबन 300 लोगों में डिहाइड्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर और थकावट की समस्याएं देखने को मिली थी। इसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अपनी डवाइजरी में इस बात का उल्लेख किया है कि जिन्हें हार्ट संबंधी कोई बीमारी है, उन्हें गर्मी के मौसम में विशेष सावधान रहने की जरूरत है।
आमतौर पर माना जाता है कि हार्ट अटैक के मामले सर्दी के दिनों में ज्यादा होते हैं। लेकिन सच्चाई ये कि हार्ट मरीजों के लिए सर्दी हो या गर्मी अति दोनों ही मौसम की बुरी है। सर्दी की ही तरह भीषण गर्मी भी दिल के रोगियों के लिए समस्याएं खड़ी कर सकती है। सेहतमंद लोग आराम से इस बदलाव को सह लेते हैं, लेकिन जिनका दिल कमजोर हो उनमें स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और दिल का दौरा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह स्थिति कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है। लंबे समय तक धूप के संपर्क में रहने से हार्ट का ऋदम बिगड़ने या सामान्य से तेज होने और शरीर में रक्त संचार धीमा पड़ने से हार्ट अटैक का खतरा गर्मी के मौसम में भी रहता है। इसलिए विशेषज्ञ हृदय रोगियों को गर्मियों में भी पूरी देखभाल करने की सलाह देते हैं। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन की वेबसाइट पर पब्लिश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार मौसम का तापमान जितना गर्म होता है आपके शरीर को तापमान सामान्य बनाए रखने के लिए उतनी ही ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और उसका सीधा असर आपके दिल पर पड़ता है।
गर्मियों में हार्ट अटैक का खतरा क्यों?

गर्मियों में हमारे शरीर से पसीना निकलता है जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है या डिहाइड्रेशन का खतरा बढ जाता है। शरीर में पानी की कमी होने से खून का वॉल्यूम कम होने लगता है। यानी खून गाढ़ा होने लगता है जिससे हृदय पर दवाब बढ़ता है और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है।
इसके साथ ही गर्मियों में हार्ट को शरीर का टैम्परेचर मेंटेन करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जिसकी वजह से वह खून को ठीक तरह पम्प नहीं कर पाता, शरीर में रक्त संचार में बाधा आती है और हार्ट अटैक की संभावना बनी रहती है।
पसीना ज्यादा आने से शरीर में सोडियम और पोटेेशियम की कमी हो जाती है। यह इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को भी प्रभावित करता है जिसकी वजह से उन्हें अरिदमिया या दिल की धड़कन अनियमित होने की संभावना रहती है।
किन्हें है ज्यादा रिस्क

चूंकि गर्मियों में हृदय को अधिक मेहनत करनी होगी, पहले से मौजूद हृदय की समस्याओं वाले लोगों को दिल के दौरे का अत्यधिक खतरा होता है। क्षतिग्रस्त या कमजोर दिल वाले लोगों में हीटस्ट्रोक, निर्जलीकरण, अतालता, एनजाइना और दिल का दौरा पड़ने की संभावना अधिक होती है, जो कुछ मामलों में जानलेवा हो सकती है।
क्या होते हैं लक्षण
गर्मियों में हृदय संबंधी बीमारियों के ये लक्षण देखने को मिलते हैं जैसे-व्यक्ति के हाथ-पैर में सूजन आना, मांसपेशियों में दर्द होने लगे, जी मिचलाना, उल्टी, हीट स्ट्रोक, अचानक बेहोश होना। अगर व्यक्ति में ऐसा कोई भी लक्षण दिखे, तो डॉक्टर को तुरंत कंसल्ट करना चाहिए।
गर्मियों में हार्ट संबंधी समस्याओं से बचाव

- रोेजाना 8-10 गिलास या तकरीबन 3 लिटर पानी जरूर पिएं।
- शराब, चाय-कॉफी कोल्ड ड्रिंक ज्यादा न पिएं क्योकि इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। डिहाइड्रेशन से हार्ट अटैक का रिस्क रहता है। जूस, नारियल पानी या छाछ भी चुन सकते हैं। जिन लोगों की एंजियोप्लास्टी हुई है या स्टेंट और कृत्रिम हृदय वाल्व हैं, उन्हें सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि निर्जलीकरण से रक्त गाढ़ा हो सकता है, जिससे स्टेंट ब्लॉक हो सकता है।
- हल्का, सुपाच्य और संतुलित आहार लें। आहार में सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करने का प्रयास करें। प्रोेटीनरिच डाइट से परहेज करें। ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दालें और फलियां खाएं। जंक, मसालेदार, तैलीय, मांसाहारी, डिब्बाबंद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें। स्ट्रीट फूड न खाएं।
- हल्के रंगों वाले, ढीले-ढाले और सूती वस्त्र पहनें।
- कमरे का तापमान ठंडा रखें। अचानक AC
- या कूलर में से निकलकर धूप में न जाएं।
- अपने बॉडी टैम्परेचर की जांच करते रहें। यह 36.4 डिग्री सेल्सियस से 37.2 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। असहज महसूस करें तो तुरंत ठंडी जगह पर जाएं और ठंडा पानी पिएं।
- ज्यादा धूप में बाहर जाने और धूप मेें व्यायाम या अन्य काम करने से बचें। सुबह सैर करना, दौड़ना और बागबानी ठंडे वक्त में करें। खासकर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे के बीच गर्म मौसम से बचकर घर के अंदर व्यायाम करना सबसे अच्छा विकल्प है।
- हृदय पर अत्यधिक दबाव के कारण कोरोनरी हृदय रोग के रोगियों को गर्मी के दौरान एनजाइना के एपिसोड हो सकते हैं और ऑक्सीजन की आवश्यकता हो सकती है। इन लोगों को एट्रियल फाइब्रिलेशन और कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर से पीड़ित होने का भी खतरा होता है। यदि आपको लगता है कि आपको हार्ट से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं या फिर बढ़ती गर्मी के कारण आपको स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या हो रही है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क कर लेना चाहिए। अगर हार्ट के मरीज हैं तो अपनी मेडिसिन को समय पर लें।
(डॉ एस सी मनचंदा, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली)