टेलीफोन की घंटी के तीव्र स्वर से मसीनो जाग उठा। उसने नाइट लैम्प जलाया और दीवार घड़ी पर नजर डाली-सवा तीन बजे थे। उसे समझने में समय नहीं लगा कि कोई गड़बड़ हो चुकी थी। उसकी नींद में तब तक व्यवधान डालने की किसी में हिम्मत नहीं थी, बशर्ते कि कोई अति आवश्यक कार्य न हो।
वह तुरंत उठ खड़ा हुआ और झटके के साथ खड़ा होने के कारण बराबर में लेटी उसकी पत्नी के ऊपर का कम्बल भी उतर गया था।
दौलत आई मौत लाई नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1
उसने रिसीवर उठाया और भारी स्वर में बोला – ‘यस!’
दूसरी ओर उसे बैन्नो का सहमा-सा स्वर सुनाई दिया-
‘बॉस-मैं बैन्नो बोल रहा हूं। मुझ पर हमला करके कोई धन ले उड़ा है। अब मुझे बताइये, मेरे लिये क्या हुक्म है?’
क्रोध से मसीनो की आंखों से चिंगारियां निकलने लगीं। गुर्राते हुए वह बोला- ‘पुलिस को खबर कर दो, मैं भी फौरन पहुंच रहा हूं।’
रिसीवर क्रेडिल पर पटककर वह कपड़े पहनने लगा। बैड पर लेटी उसकी पत्नी भी जाग चुकी थी – भारी डील-डौल वाली उसकी पत्नी डीना ने पूछा-
‘क्या बात है – शोर क्यों मचा रहे हो?’
‘ओह, शटअप।’ मसीनो उस पर गरजा।
डीना कम्बल को अपने जिस्म पर लपेटती हुई मौन हो गई।
मसीनो ने बैडरूम से निकलकर दरवाजा फटाक से बंद कर दिया। फिर स्टडी रूम में जाकर वह एन्डी लुकास को फोन करने लगा।
जैसे ही संबंध स्थापित हुआ – वह तेजी के साथ बताने लगा – ‘एन्ड, तुम तुरंत अपने आदमियों के साथ अपने दफ्तर पहुंचो, किसी ने तिजोरी में रखा धन उड़ा दिया है।’
उसने रिसीवर रख दिया और तेजी से गैरेज में पहुंचा। कार निकाली और तूफानी गति से अपने दफ्तर की ओर दौड़ा दी।
कुछ समय बाद ही वह अपने दफ्तर की इमारत के सामने मौजूद था। कार से उतरते समय उसने देखा कि पुलिस की गाड़ी के अलावा-टोनी की लिंकन भी वहीं मौजूद थी।
लगभग दौड़ता हुआ वह एन्डी के ऑफिस में घुस गया।
बैन्नो एक कुर्सी पर बैठा हुआ था। उसका चेहरा रक्तरंजित था। आंखें चमक रही थीं। टोनी खिड़की के पास खड़ा था और अर्नी सेफ के निकट खड़ा हुआ था।
‘क्या हुआ?’ मसीनो ने गरजकर पूछा।
बैन्नो ने उठने का उपक्रम किया, किन्तु उठ न सका, कराहकर रह गया। कांपते स्वर में उसने बताया -‘दरवाजे के निकट आग और धुएं का अहसास पाकर मैंने दरवाजा खोला – मैंने उसे बुझाने की कोशिश की, तभी किसी ने मेरे सिर पर वार कर दिया।’
‘कौन था वह हरामजादा?’ मसीनो ने दहाड़ते हुए पूछा।
‘पता नहीं। मैं उसे देख नहीं सका था।’
मसीनो ने सेफ तथा ताले का निरीक्षण किया, फिर टेलीफोन के निकट पहुंचकर कोई नम्बर मिलाया।
बैन्नो, टोनी और अर्नी के अलावा दो पुलिस वाले भी खामोश खड़े उसे फोन करते देखते रहे।
‘मैं मसीनो बोल रहा हूं।’ वह फोन पर बोला-‘मुझे क्लेन से बात करनी है।’
‘ओह, मिस्टर मसीनो!’ किसी स्त्री का नींद में डूबा हुआ स्वर उसे सुनाई पड़ा- ‘जैक तो न्यूयार्क गए हैं, वहां उन्हें किसी समारोह में शामिल होना है।’
मसीनो के चेहरे पर झल्लाहट के लक्षण पैदा हो गए। उसने रिसीवर क्रेडिल पर पटक दिया, फिर अपनी जेब से डायरी निकालकर कोई अन्य नम्बर देखा तथा दोबारा रिसीवर उठा लिया।
उसने दूसरा नम्बर मिलाया।
दूसरी ओर से गुस्से भरा स्वर सुनाई दिया – ‘कौन बेवकूफ है जो इस समय फोन कर रहा है?’
असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर फ्रेड लेपस्की असमय फोन की घंटी बजने के कारण कुपित था।
‘मैं मसीनो बोल रहा हूं।’ अपने क्रोध पर काबू रखते हुए मसीनो बोला। ‘मैं इस शहर से बाहर निकलने के सभी मार्गों को रुकवाना चाहता हूं। सड़कें, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन तथा एयरपोर्ट आदि सबकी निगरानी होनी चाहिए। किसी ने मेरे यहां से एक लाख बियासी हजार डॉलर चुरा लिए हैं और चोर जरूर इस शहर से बाहर निकलने की चेष्टा करेगा। जल्दी करो तथा फौरन इन जगहों की नाकेबंदी के आदेश दो दो।’
‘अपना टोन ठीक करो – तुम्हें पता है कि तुम बात किससे कर रहे हो।’ लेपस्की ऊंचे स्वर में बोला -‘तुम्हें जो कुछ कहना है हैडक्वार्टर से कहो मेरा दिमाग चाटने की जरूरत नहीं है और सुनो मसीनो-तुम स्वयं भले ही खुद को इस शहर का मालिक समझते रहो, मगर मेरी निगाहों में तुम्हारी हैसियत एक साधारण आदमी से ज्यादा नहीं।’
यह कहते हुए लेपस्की ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया।
मसीनो का चेहरा गुस्से में तमतमाने लगा। उसने चीखकर पुलिसमैन से कहा – ‘उल्लुओं की तरह मेरा मुंह क्या देख रहे हो – जाओ दफा हो जाओ और किसी ऐसे आदमी को लेकर आओ जो कुछ कर सके।’
दोनों पुलिस वालों में से जो अधिक उम्र का था फौरन फोन की ओर लपका। उसी समय एन्डी लुकास ने अंदर प्रवेश किया। उसकी हालत से जाहिर हो रहा था कि वह बहुत जल्दी में पहुंचा है, क्योंकि पतलून के नीचे से झांकता उसका पायजामा साफ नजर आ रहा था।
उसने सेफ में झांककर देखा। फिर ताले पर निगाह डाली तथा मसीनो की क्रोध से लाल हो रही आंखों में झांककर बोला – ‘यह हमारे ही किसी आदमी का काम है क्योंकि सेफ का ताला नहीं तोड़ा गया है। चाबी से खोलकर रकम चुराई गई है। जो कोई भी चोर है वह अवश्य शहर से भागने की चेष्टा करेगा।’
‘तुम मुझे पागल या अंधा समझते हो।’ मसीनो खूंखार ढंग से गरजा – ‘इतना तो मैं भी जानता हूं जाहिल आदमी लेकिन क्लेन शहर में नहीं है और वह सूअर की औलाद लेपस्की मुझे सहयोग नहीं दे रहा है।’
ओब्राइन नामक पुलिसमैन ने उसका ध्यान आकर्षित किया – ‘माफ कीजिए मिस्टर मसीनो, लेफ्टीनेंट मुलगिन थोड़ी ही देर में यहां पहुंचने वाले हैं।’
मसीनो किसी मरखने सांड की तरह कमरे में चक्कर काटता रहा।
‘जौनी कहां है?’ अचानक उसने पूछा-‘मैं अपने सबसे बेहतरीन आदमी को यहां देखना चाहता हूं।’
‘मैंने उसे फोन किया था मिस्टर मसीनो।’ एन्डी ने उत्तर दिया – ‘किन्तु मुझे उधर से कोई जवाब नहीं मिला – वह घर पर नहीं है।’
‘मैं उसे यहां देखना चाहता हूं।’ मसीनो टोनी को इशारा करते हुए बोला -‘यहां खड़े-खड़े क्या कर रहे हो, जाओ जौनी को बुलाकर लाओ।’
टोनी तीर हो गया।
टोनी के जाने के बाद एन्डी ने कहा – ‘मेरा विचार है हमें कुछ विचार- विमर्श करना चाहिए मिस्टर जोये।’
मसीनो ने अर्नी को सिर का संकेत करके कहा -‘बैन्नो को अस्पताल पहुंचा दो।’ आदेश-पूर्ति की प्रतीक्षा किए बगैर मसीनो एन्डी सहित अपने कमरे में जा घुसा। दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने बैठ गये।
‘यह तो बड़ी जबर्दस्त परेशानी पैदा हो गई हम लोगों के लिए।’ एन्डी ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहना आरंभ किया- ‘दोपहर के समय हमें अपने स्टाफ को वेतन देना होगा, वरना वे सब लोग मिलकर बगावत खड़ी कर देंगे। या तो रकम का इंतजाम करो मिस्टर जोये, वरना हम तबाह हो जाएंगे। अगर कहीं अखबार वालों को यह भनक पड़ गई तो वे यह खबर ले उड़ेंगे। फिर नम्बरों के जुए की बात आम हो जाएगी और हमारे साथ-साथ क्लेन भी मुसीबत में पड़ जाएगा।’
‘क्या करें हम?’
‘इस समय एक ही व्यक्ति हमारी मदद कर सकता है।
मेरा मतलब तान्जा से है। यद्यपि वह अपनी रकम पर ब्याज लेना चाहेगा किन्तु हमारी मजबूरी है। हमें देना ही पड़ेगा।’
मसीनो की मुट्ठियां कस गईं। एन्डी ने समझदारी की बातें कहीं थीं तभी पुलिस सायरन की आवाज गूंज उठी।
‘तुम मुलगिन से बातें करो।’ मसीनो ने फैसला किया- ‘और मुलगिन से कहकर शहर के तमाम रास्तों की नाकेबंदी करा दो। मैं तान्जा से सम्पर्क स्थापित करता हूं।’
‘मुझे उम्मीद नहीं है कि चोर अभी तक शहर में ही होगा। वह शहर से निकल चुका होगा, फिर एक्शन तो हमें लेना ही पड़ेगा।’ एन्डी बोला और बाहर निकल गया।
मसीनो टेलीफोन से उलझ गया – पलभर हिचकिचाने के बाद उसने नम्बर डायल किया। उसकी नजर डेस्क पर रखी घड़ी पर पड़ी-घड़ी में सवा चार बजने जा रहे थे।
कार्लो तान्जा, माफिया संगठन के इस शहर में फैले आदमियों का मुखिया था। मसीनो प्रति सप्ताह एक निश्चित रकम अपने नम्बरों के जुए से उसे दिया करता था। मसीनो की कॉल स्वयं तान्जा ने ही रिसीव की। पूरी दास्तान सुनने के बाद उसने तुरंत ही समस्या का हल पेश कर दिया – ‘ओ.के. जोये। रकम के बारे में तुम चिन्ता मत करो। वह तुम्हें दस बजे तक मिल जाएगी, रही प्रेस की बात सो हम प्रेस को भी इस मामले से दूर रखेंगे लेकिन इसमें पच्चीस फीसदी का खर्चा अधिक आयेगा और तुम इस वक्त जरूतमंद हो, अतः तुम्हें यह खर्चा सहन करना ही पड़ेगा।’
मसीनो ने तुरंत मन ही मन हिसाब लगाया – इस चोरी के कारण उसे अपनी जेब से भी छियालीस हजार डॉलर देने पड़ेंगे। इसलिए शीघ्रतापूर्वक बोला – ‘सुनो-मेरी मजबूरी का नाजायज फायदा मत उठाओ। मैं पन्द्रह प्रतिशत से अधिक नहीं दूंगा।’
‘पच्चीस प्रतिशत से कम बिल्कुल नहीं होगा।’ तान्जा स्पष्ट शब्दों में बोला-‘दस बजे रकम तुम्हारे दफ्तर में पहुंच जाएगी-साथ ही यह मत भूलो मसीनो कि मेरे अलावा रकम तुम्हें और कहीं से प्राप्त नहीं हो सकती। खैर छोड़ो ये बात-यह बताओ चोर कौन है?’
‘अभी तो मैं सिर्फ इतना बता सकता हूं कि यह मेरे ही किसी आदमी का काम है किन्तु शीघ्र ही सही व्यक्ति का पता लगा लूंगा लेकिन उम्मीद है कि चोर शहर से बाहर जा चुका है।’
‘जैसे ही तुम्हें पता लगे फौरन मुझे सूचित कर देना।’ तान्जा बोला – ‘मैं अपनी ऑर्गेनाइजेशन को उसके पीछे लगा दूंगा। तुम सिर्फ उसका नाम बता देना। खोज हम अपने आप लेंगे।’
‘थैंक्स कार्लो, मुझे तुम पर पूरा-पूरा यकीन है।’ फिर थोड़ा रुककर मसीनो ने कहा – ‘वैसे बीस प्रतिशत कैसा रहेगा?’
‘मैं मजबूर हूं जोये – क्योंकि धन मेरी निजी संपत्ति नहीं है। वह
न्यूयार्क से लाया जाएगा, अतः उसकी उचित कीमत देनी ही होगी।’ तान्जा ने नम्रतापूर्वक कहा और संबंध विच्छेद कर दिया।
दिल ही दिल में कुढ़ता और क्रोध से उफनता हुआ मसीनो एन्डी के दफ्तर में जा पहुंचा।
लैफ्टीनेंट मुलगिन तिजोरी का निरीक्षण कर रहा था। सादे लिबास में दो अन्य डिटेक्टिव उंगलियों के निशान उतारने में लगे हुए थे।
बैन्नो तथा अर्नी वहां मौजूद नहीं थे। एन्डी द्वार में खड़ा दांतों से अपने नाखून कुतर रहा था।
मसीनो को आया देखकर मुलगिन ने उससे कहा – ‘सारी सड़कें ब्लॉक कराई जा रही हैं मिस्टर मसीनो। अगर चोर शहर से अभी बाहर नहीं निकला है, तो अब तो हर्गिज नहीं निकल पाएगा। तीस मिनट का मूल्यवान समय व्यर्थ ही नष्ट हो चुका था। यह याद आते ही मसीनो ने घृणा से फर्श पर थूक दिया।
मुलगिन के आश्वासन दिये जाने के बावजूद उसके चेहरे पर चिन्ता के गहरे लक्षण स्पष्ट परिलक्षित हो रहे थे।
मसीनो द्वारा झाड़ खाने के बाद टोनी केपिलो फौरन एन्डी के दफ्तर से बाहर निकल गया। वह जानता था कि जौनी कहां मिल सकता था। उसे जौनी से ईर्ष्या थी। इसकी वजह मैलानी थी। मैलानी के पुष्ट शरीर और आंखों से उमड़ते सैक्स के कारण टोनी भी उसकी ओर आकर्षित था। उसने सोचा-
जौनी को मैलानी के बिस्तर से खींच निकालने में भी एक अलग आनंद रहेगा-मुमकिन है दरवाजा खोलने के लिए स्वयं मैलानी ही बाहर आ जाए।
मैलानी के अपार्टमेंट के बाहर जौनी की कार खड़ी देखकर वह मन ही मन मुस्कराया – उसने ठीक उसकी कार के पीछे अपनी कार खड़ी कर दी और नीचे उतर आया।
मैलानी के दरवाजे पर लगी घंटी का बटन दबाकर वह पीछे हट गया।
कुछ ही क्षणों के बाद दरवाजा खुला और मैलानी ने सहमी-सहमी नजरों से टोनी को घूरकर पूछा-‘क्या बात है?’
‘जौनी को बिस्तर से बाहर निकालो।’ टोनी कुटिलतापूर्वक मुस्कराता हुआ बोला-‘बॉस ने उसे फौरन बुलवाया है।’
‘जौनी नहीं है यहां।’ मैलानी ने उत्तर देकर द्वार बंद करना चाहा परन्तु टोनी ने पैर अड़ाकर दरवाजा बंद होने से रोक दिया।
‘मुझे बेवकूफ मत बनाओ-जब उसकी कार यहीं है तो वह कहां जा सकता है।’ फिर उसने ऊंचे स्वर में आवाज लगाई -‘जौनी बाहर आ जाओ – बॉस ने तुम्हें फौरन बुलाया है।’
‘मैं कहती हूं वह यहां नहीं है।’ मैलानी चीखी-‘भाग जाओ।’
‘ठीक है।’ टोनी ने उसे एक ओर धकेलकर पूछा -‘वह यहां नहीं है तो फिर कहां चला गया?’
‘मुझे नहीं मालूम।’
‘पर उसकी कार तो बाहर ही खड़ी है।’
‘खड़ी होगी-कहा तो है कि मुझे मालूम नहीं है।’
टोनी को शक हो गया। वह अंदर घुसा। बैडरूम की लाइट जलाकर देखी। जौनी वास्तव में ही वहां नहीं था, मगर उसकी टाई फर्श पर जरूर पड़ी थी।
मैलानी भी बैडरूम के दरवाजे पर आ खड़ी हुई।
‘वह यहीं था – अब कहां चला गया?’ टोनी ने पूछा।
‘मैं नहीं जानती – मुझे नहीं मालूम।’ मैलानी ने उत्तर दिया।
टोनी ने उसकी कलाई पकड़कर झटका दिया। वह बिस्तर पर जा गिरी। टोनी उसके ऊपर झुककर बोला – ‘जवाब दो, वह कहां है? वरना मुझे मुंह खुलवाने का भी तरीका आता है।’
‘मुझे नहीं पता।’ मैलानी सिसकती हुई बोली।
टोनी ने दो जोरदार तमाचे उसके गालों पर जड़ दिये। मैलानी हक्की-बकी रह गई।
‘बताओ, कहां है वह?’
टोनी के स्वर में क्रूरता का स्पष्ट आभास पाकर उसने अपना चेहरा ढक लिया और सुबकते हुए बोली – ‘मुझे नहीं पता-मैं कुछ नहीं जानती।’
टोनी हिचकिचाया – यद्यपि उसे यकीन था कि मैलानी झूठ बोल रही थी, लेकिन यदि उसका यकीन गलत हुआ तो क्या होगा। अपनी गर्लफ्रैंड पर हाथ उठाने वाले को जौनी कच्चा ही चबा जाएगा।
मैलानी ने एक तंग-सी नाइटड्रेस पहनी हुई थी। स्वयं को जौनी के क्रोध से बचाने की खातिर उसने कहा – उठो पहले कपड़े पहनो, तुम्हें मेरे साथ चलना पड़ेगा।’
‘दफा हो जाओ यहां से। मैं कहीं नहीं जाऊंगी।’ मैलानी चीखती हुई पलंग से उतर गई और इससे पहले कि टोनी उसे रोक पाता वह लिविंग रूम में पहुंच गई। टोनी ने झपटकर उसे पकड़ा और वापिस बैडरूम में घसीट लाया। उसने मैलानी की ओर पिस्तौल तान दी और तेज स्वर में बोला – ‘कपड़े पहनो।’
मैलानी ने विवशता-सी महसूस की और प्रतिरोध करना छोड़ दिया।
बीस मिनट बाद टोनी मैलानी सहित मसीनो के सामने खड़ा था।
टोनी ने मैलानी के व्यवहार तथा जौनी की कार आदि के बारे में
बताकर मसीनो से कहा – ‘मुझे कुछ दाल में काला लग रहा है, इससे पूछो बॉस-शायद यह कुछ बता सके।’
‘तुम यह कहना चाहते हो कि चोरी जौनी ने की है?’
मसीनो ने गुर्राते हुए पूछा।
‘मैं कुछ नहीं कह रहा हूं बॉस-जो कुछ कहेगी यही कहेगी।’
मसीनो ने अपनी दहकती हुई आंखें मैलानी की ओर घुमाईं। मैलानी का समूचा जिस्म दहशत से लरज उठा।
‘जौनी कहां है?’ मसीनो गुर्राया।
मैलानी सिसकने लगी, सुबकते हुए बोली, ‘मैं नहीं जानती। किसी काम से गया था – किस काम से यह मुझे नहीं मालूम। मगर उसने कहा था मुझसे कि मैं उसकी एलीबी में उसकी मदद करूंगी, लेकिन उसका लॉकेट न जाने कहां गिर गया था।’
मसीनो के मुंह से गहरी सांस निकली, उसने मैलानी को बैठने का संकेत किया। मसीनो के सख्त चेहरे और अंगारे-सी दहकती आंखों से भयभीत होकर मैलानी खामोश होकर बैठ गई। उससे जो कुछ मसीनो ने पूछा – उसने बता दिया। सारी बात सुन चुकने के बाद मसीनो ने टोनी को संकेत किया कि वह मैलानी को वापिस इसके अपार्टमेंट में छोड़ आये। वह स्वयं एन्डी के ऑफिस में पहुंचा। उसने लेफ्टीनेंट मुलगिन को एक ओर ले जाकर उससे बात की – ‘मैं चाहता हूं कि तुम शीघ्र से शीघ्र जौनी वियान्डा का पता लगाओ, मगर यह बात लीक न होने पाये।’

मुलगिन के चेहरे पर आश्चर्य के भाव उभरे-पलकें झपकाकर उसने पूछा – ‘जौनी वियान्डा – तुम्हारे विचार से चोरी उसने की है?’
मसीनो के चेहरे पर हिंसक भेड़िये जैसी मुस्कान फैल गई।
‘तुम्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए।’ वह गुर्राया- ‘तुम सिर्फ वही करो जो तुम्हें मैंने कहा है। चप्पा-चप्पा छान मारो। जैसे भी हो जौनी को पकड़ो। मैं उसे अपने सामने प्रस्तुत होते देखना चाहता हूं।’

