Daulat Aai Maut Lai
daulat aai maut lai by james hadley chase दौलत आई मौत लाई (The World is in My Pocket)

जौनी सोते-सोते अचानक ही जाग उठा। उसने कलाई घड़ी की ओर देखा – अभी सिर्फ साढ़े छः बजे का समय हुआ था। काफी वक्त है उसने सोचा और बराबर में सोई पड़ी मैलानी की ओर देखा। खर्राटों से मैलानी की नाक बज रही थी और उसके काले बाल उसके आधे चेहरे पर फैल गए थे।

जौनी ने निकट रखी मेज से हाथ बढ़ाकर सिगरेट का पैकेट उठा लिया और सिगरेट निकालकर उसे जलाकर हल्के-हल्के कश लेने लगा। वह

सावधानी बरत रहा था और नहीं चाहता था कि मैलानी की नींद में कोई बाधा पड़े।

दौलत आई मौत लाई नॉवेल भाग एक से बढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- भाग-1

वह सोच रहा था – आज शुक्रवार था तथा उनतीस फरवरी की अंतिम तारीख।

ठीक दस बजे से कलैक्शन आरंभ हो जाएगी। तीन बजे तक वह तथा सैमी डेढ़ लाख डॉलर के नोट इकट्ठे कर लेंगे और ठीक अट्ठारह घंटे के बाद, यदि किस्मत ने साथ दिया तो सारी रकम उसके हाथ में होगी तथा वह ग्रेहाउंड लगेज लॉकर में उसे सुरक्षित रख चुका होगा।

हां, यदि किस्मत ने साथ दिया तो।

अपनी नंगी छाती पर पड़े सैंट क्रिस्टोफर के लॉकेट को छूते ही उसे अपनी मां के कहे हुए शब्द याद हो आये। मां ने कहा था – ‘जब तक यह लॉकेट तुम्हारे गले में पड़ा रहेगा संसार की कोई भी मुसीबत तुम्हारा कुछ न बिगाड़ सकेगी।’

शांत लेटा हुआ वह पिछले चंद गुजरे दिनों के बारे में सोच रहा था – सोमवार को वह बर्नी के साथ राउंड पर गया था। विभिन्न व्यक्तियों से मिला था। नई मशीनों के लिए जगह की तलाश थी, जौनी ने अपने प्रभाव से पहले ही दिन जब पांच मशीनें लगवा दीं तो बर्नी आश्चर्यचकित रह गया था – जौनी को नई जिम्मेदारी सौंपकर। शहर में रहने वाले ज्यादातर आदमी जौनी को सिर्फ उसकी शौहरत के कारण ही जानते थे। उन्हें यह मालूम था कि जौनी एक अदम्य साहसी तथा अचूक निशानेबाज है। जब वह किसी कैफे में घुसकर मालिक की आंखों में सीधा झांकता और मसीनो की जुए की मशीन के बारे में शांत स्वर में बताता, तो बगैर किसी ना-नुकुर के मालिक तुरंत ही उसे स्वीकार कर लिया करते थे। चार दिन के छोटे-से समय में ही जब उसने अट्ठारह नई मशीनें विभिन्न स्थानों में फिट करा दीं तो एन्डी भी बहुत खुश हुआ था।

और अब शुक्रवार का दिन, उनतीस फरवरी आ पहुंची थी। सिर्फ एक कलैक्शन के बाद वह पूर्ण रूप से मशीनों के बिजनेस में आ जाएगा। बर्नी उसका शुक्रिया अदा करते हुए खुशी से सेवामुक्त हो सकेगा।

पिछले चार दिनों के काम के अनुभव के अनुसार जौनी निस्संकोच कह सकता था कि उस काम में कोई बुराई नहीं थी। अपनी प्रसिद्धि के कारण इस धंधे में भी उसकी सफलता निश्चित थी। उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ था कि बर्नी को कोई इज्जत की अथवा आदर-भाव वाली निगाह से नहीं देखता था। जबकि बर्नी को भी उस शहर में आये उतना ही अरसा हो चुका था जितना कि उसे स्वयं को आये हुए हो चुका था।

जौनी ने सिगरेट की राख को झाड़ा और छत की ओर घूरने लगा। डेढ़ लाख डॉलरों की बात सोचते हुए उसने स्वयं को चेतावनी दी। मशीनों के धंधे में ज्यादा कामयाब होना ठीक नहीं रहेगा, क्योंकि दो साल बाद वह इस किस्म के सभी कामों से रिटायर होना चाहता था। दो वर्ष का इंतजार तो वह कर सकता था, किन्तु इससे ज्यादा अर्से का इंतजार करना उसके वश से बाहर की बात थी। पहला साल तो वह सफलतापूर्वक गुजार देता। हो सकता है कि एक प्रतिशत कमीशन भी हासिल कर ले, क्योंकि एन्डी के बताये गये लक्ष्य तक पहुंचना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं होगी, मगर दूसरे साल काम की रफ्तार कम करनी होगी जिससे कि मसीनो तथा एन्डी उसे इस काम के अयोग्य समझकर किसी अन्य व्यक्ति की तलाश करना आरंभ कर दें और फिर बर्नी की तरह से उसे भी सेवा-मुक्त किया जा सके। उसकी विचार श्रृंखला टूट गई, क्योंकि तभी मैलानी सहसा जाग उठी। आंखें मलते हुए उनींदी-सी आवाज में उसने पूछा-

‘कॉफी पियोगे डियर?’

जौनी ने सिगरेट ऐश ट्रे में मसल दी और मैलानी के ऊपर झुक गया।

बाद में जब वे दोनों नाश्ता कर रहे थे तो मैलानी ने लापरवाही से कहा -‘आज रात को ल्यूगीज में चलेंगे।’

जौनी ने सहमति में गर्दन हिला दी। कुछ देर मौन रहकर उसने निश्चय किया कि मैलानी को यकीन दिलाने के लिए सच और झूठ का मिश्रण देना ठीक रहेगा।

‘आज मुझे कुछ काम है डार्लिंग।’ केक कुतरते हुए वह बोला – ‘सुन रही हो ना।’

‘हां।’ सीरप का स्वाद लेते हुए मैलानी ने कहा।

‘यह मेरा व्यक्तिगत काम है। बॉस के काम से इसका कोई संबंध नहीं है किन्तु वह नहीं चाहता कि मैं इस काम को करूं। इस काम से मुझे कुछ आर्थिक लाभ होने की आशा है पर मैं चाहता हूं कि किसी को भी इसका पता न चले।’ वह कुछ क्षण रुका और मैलानी के चेहरे की ओर देखा। वह बड़े ध्यान से उसकी बात सुन रही थी। उसकी आंखें चिन्तापूर्ण मुद्रा में सिकुड़नी आरंभ हो गई थीं। वह मसीनो के जिक्रमात्र से ही सहम जाती थी और उसे जौनी का उसके (मसीनो) लिए काम करना भी कतई पसन्द नहीं था।

‘इसमें चिन्ता करने जैसी कोई बात नहीं है बेबी।’ वह मीठे स्वर में बोला – ‘तुम जानती हो कि एलीबी किसको कहते हैं?’

मैलानी ने अपने हाथ में थमा चम्मच नीचे रखकर सिर हिला दिया।

‘मुझे एलीबी की जरूरत है नहीं और इसमें तुम्हें मेरी इमदाद करनी होगी। सुनो-आज रात के बाद मैं अपना काम समाप्त करके आधा घंटे में ही वापस लौट आऊंगा। अगर कोई तुमसे पूछे तो तुम्हें यह कहना होगा कि मैं डिनर के बाद से ही तुम्हारे साथ था। कहीं नहीं गया था।’

मैलानी ने अपना चेहरा हाथों से ढक लिया तथा कोहनियां मेज से टिका दीं – सहमे से स्वर में उसने पूछा – ‘काम क्या है?’

जौनी को सहसा ही अपनी भूख कम होती महसूस हुई। उसने प्लेटें एक और खिसका दीं और एक सिगरेट सुलगा लिया।

‘यह मेरा व्यक्तिगत मामला है। इससे तुम्हें कोई मतलब नहीं होना चाहिए। तुम्हें तो अगर कोई पूछे तो सिर्फ यही कहना है कि मैं डिनर के बाद हर क्षण तुम्हारे पास था। थोड़ी-सी भी देर के लिए मैं तुमसे अलहदा नहीं हुआ था। बोलो-कर सकोगी यह काम?’

मैलानी ने सहमी-सी दृष्टि से उसकी ओर घूरा-‘मुझसे पूछेगा कौन?’

‘उम्मीद तो यही है कि कोई नहीं पूछेगा, परन्तु हो सकता है कोई पूछ बैठे, मसलन मसीनो ही पूछ सकता है अथवा पुलिस भी।’

वह सिहर उठी-‘नहीं, मैं किसी मसले में नहीं पड़ना चाहती जौनी। मुझे ऐसा करने के लिए मत कहो।’

जौनी उठ खड़ा हुआ। मैलानी के स्वभाव से परिचित होने के कारण वह जानता था कि मैलानी पर उसकी बात की ऐसी ही प्रतिक्रिया होगी। वह खिड़की के निकट पहुंचा और बाहर की ओर झांकने लगा। उसे यकीन था कि वह अवश्य मान जाएगी, बस सिर्फ उसे उकसाने की जरूरत थी।

वह काफी समय तक यूं ही खिड़की के पास खड़ा रहा और फिन पुनः मेज पर आकर बैठ गया।

‘मैलानी।’ वह ठंडे स्वर में बोला -‘मैंने आज तक अपने किसी काम को भी तुमसे करने के लिए नहीं कहा है, बोलो कहा है क्या और मैंने तुम्हारे किसी काम को भी करने में कभी ना नहीं की है-तुम्हारी हर जरूरत का मैं अधिक से अधिक ध्यान रखता रहा हूं। ये अपार्टमेंट, ये सोफे, सब-कुछ मेरा ही दिया हुआ है और बदले में मैंने आज तक तुमसे कुछ नहीं मांगा है। आज पहली बार तुमसे कुछ मांग रहा हूं, क्योंकि ये अत्यावश्यक है। बोलो दोगी ना?’

मैलानी की नजरें जौनी पर स्थिर हो गईं -‘मुझे सिर्फ इतना ही कहना होगा कि तुम कहीं नहीं गये, प्रतिक्षण मेरे पास थे’ उसने पूछा।

‘हां बिल्कुल यही कहना है कि ल्यूगीज में डिनर लेने के पश्चात हम कहीं नहीं गए। यहीं आ गए थे और सुबह आठ बजे तक मैं यहीं रहा। अच्छी तरह से समझ लो -‘रात आठ बजे के बाद सुबह दस बजे तक मैं कहीं भी नहीं गया था।’

मैलानी केक खाना भूलकर, अविश्वास भरी दृष्टि से उसे घूरकर बोली -‘अगर ये कहना बेहद जरूरी है तो मैं कह दूंगी।’

‘ठीक है मुझे यकीन हो गया कि तुम ये काम कर दोगी।’

जौनी खुश होता हुआ बोला।

‘करना तो नहीं चाहती, मगर तुम्हारी खातिर कर दूंगी।’

जौनी अपने मनोभावों पर काबू रखने के लिए सिर के बालों में उंगलियां फिराने लगा।

‘तुम इस प्रकार मेरे अहसानों का बदला चुका सकती हो बेबी। बताओ क्या तुम अब भी मेरे काम के लिए इंकार कर सकती हो?’

वह काफी देर तक सहमी-सहमी-सी निगाहों से उसे देखती रही, फिर उसका दूसरा हाथ उठा और उसने जौनी का हाथ मजबूती से थाम लिया।

‘ओ.के. डियर, मैं तुम्हारे लिए ऐसा ही करूंगी।’

उसके स्वर की दृढ़ता का आभास पाकर जौनी आश्वस्त हो गया।

दोनों उठकर खड़े हो गए। मैलानी उससे सटकर खड़ी हो गई।

‘मैं जा रहा हूं बेबी-तुम घबराना नहीं। रात को मिलूंगा।

यह एक मामूली से झूठ से ज्यादा कुछ नहीं हैं।

मैलानी से विदा लेकर जौनी अपने अर्पाटमेंट में पहुंचा। शावर के नीचे अपने बदन को ठंडा करते वह सोचता रहा। अगर प्लन में कोई गड़बड़ी हो गई तो क्या मसीनो की कहर-भरी नजरों का सामना कर पाएगी मैलानी? शायद कर भी सके। उसका हाथ अपने लॉकेट पर चला गया। चोरी करने की जो नुक्सरहित योजना उसने तैयार की थी उसमें चोर का पता लगना नामुमकिन था। ऐसा उसे प्रतीत हुआ।

ठीक पौने दस बजे वह दफ्तर में दाखिल हो गया। अर्नी लुसीनो तथा टोनी केपिलो वहां पहले से ही मौजूद थे। सीढ़ियों पर उसकी मुलाकात सैमी से हो गई।

‘सैमी।’ जौनी थोड़ा ठिठकते हुए बोला – ‘क्या तुम्हें यूनिफॉर्म मिल गई है?’

सैमी का चेहरा पसीने से भीग रहा था। उसकी आंखों में दहशत के भाव थे। जौनी जानता था कि ज्यों-ज्यों कलैक्शन का समय नजदीक आता जाएगा, उसके दिल में डर के भाव बढ़ते ही जाएंगे।

‘मिस्टर एन्डी आपका इंतजार कर रहे हैं।’ यूनिफॉर्म के बारे में बताने की बजाय जौनी को यह कहता हुआ सैमी दफ्तर में घुस गया। वह हांफ रहा था।

टोनी और अर्नी ने उसका अभिवादन किया। वे चारों खामोश खड़े रहे। कुछ ही मिनटों बाद एन्डी नोट भरने के दो खाली थैले लेकर आ पहुंचा। उसने दोनों थैलों को आपस में बांधकर एक अन्य हथकड़ी द्वारा सैमी की कलाई में कस दिया।

‘मैं तुम्हारे इस काम को हजार डॉलर की तनख्वाह पर कर सकता हूं।’ टोनी भयभीत सैमी को देखकर हंसा। ‘कोई भी बदमाश तुम्हारे थैले को हथियाने के लिए तुम्हारा हाथ जरूर काट डालेगा।’

‘ओ! शटअप।’ जौनी गुर्राया – ‘हाथ काट डालना इतना आसान काम नहीं है।’

तभी वे चारों मौन हो गए। मसीनो दफ्तर में प्रवेश कर चुका था।

‘इज ऑल ओ.के.?’ एन्डी की ओर मुखातिब होकर मसीनो ने पूछा।

‘यस बॉस। ये सब लोग जाने ही वाले हैं।’

‘वैरी गुड।’ मसीनो जौनी की ओर देखता हुआ कुटिलतापूर्वक मुस्कराया।

जौनी ने अपने चेहरे पर कोई भाव न आने दिया। वह शांत खड़ा रहा।

‘आज आखिरी चक्कर है।’ मसीनो ने कहा – ‘तुम तो मसीनो के बारे में काफी सफल सिद्ध हो रहे हो।’ फिर सैमी की ओर दृष्टिपात करता हुआ कहने लगा – ‘तुम शोफर का काम भी भली-भांति कर सकते हो। ठीक है अब तुम लोग जा सकते हो।’

मसीनो अपने डेस्क पर जाकर बैठ गया। चारों आदमियों का समूह जब दरवाजे की ओर बढ़ा तो उसने फिर रोक दिया – ‘जौनी।’

जौनी रुक गया।

‘तुमने अपना लॉकेट पहन रखा है ना।’

‘हां मिस्टर मसीनो, मैं उसे अपने गले से कभी नहीं उतारता।’

मसीनो ने सहमति में अपनी गर्दन हिलाई। वह पुनः बोला – ‘ध्यान रखना, आज तुम्हें इसकी आवश्यकता हो सकती है। कोई सिरफिरा बदमाश तुम्हें लूटने की कुचेष्टा कर सकता है, क्योंकि आज की कलैक्शन रिकार्ड तोड़ रकम होगी।’

‘यदि ऐसा हुआ तो पहले उसे जौनी की लाश पर से ही गुजरना होगा मिस्टर जोये। मेरे जीते जी तो कोई कलैक्शन की राशि को छूने का साहस नहीं कर सकता। फिर भी हम सब सतर्क रहेंगे।’

‘दैट्स दी स्प्रिट।’ मसीनो संतुष्ट होता हुआ बोला। फिर वे चारों दरवाजे से बाहर निकल आये और जौनी की कार की ओर बढ़ चले।

पांच घंटों के बाद कलैक्शन काम पूरा हो गया। कोई मुश्किल पेश नहीं आई। ट्रैफिक पुलिस के किसी व्यक्ति द्वारा भी कोई व्यवधान पेश नहीं हुआ। किसी ने उन्हें गलत पार्किंग अथवा ओवरटेकिंग के लिए नहीं टोका। पुलिस वाले जान-बूझकर उन्हें एवॉइड करते रहे। दोनों थैले नोटों से ठसाठस भर चुके थे पर सैमी बहुत सहमा हुआ था। उसे किसी भी क्षण कहीं से फायर होने का अंदेशा लग रहा था परन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ। वे आराम से मसीनो के ऑफिस के सम्मुख पहुंच गये। जौनी ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया और शांत स्वर में बोला – ‘यह काम तो निपट गया सैमी। अब तुम आराम से राल्स को संभालो।’

लेकिन सैमी अभी तक भी अपने आपको सुरक्षित नहीं समझ रहा था। अभी थैले को घसीटते हुए सड़क पार करके मसीनो के ऑफिस तक पहुंचना शेष था।

जौनी और टोनी के बीच घिरा सैमी कार से उतरा। पिस्तौलों पर उन तीनों की उंगलियां जम गईं। सैमी ने ऑफिस के सम्मुख प्रवेश द्वार के नजदीक खड़ी उस भीड़ की ओर देखा जो उनके स्वागत के लिए खड़ी थी।

लॉबी में मद्धिम रोशनी थी। वे चारों लॉबी से गुजरकर ऐलीवेटर में प्रवेश कर गये।

‘इतने सारे नोटों का बोझा लादकर चलने में कैसा महसूस होता है सैमी?’ टोनी ने पूछा।

सैमी ने कोई उत्तर न दिया। वह सिर्फ उसे घूरकर रह गया। वह आने वाले कल के विषय में सोच रहा था। कल वह ग्रे रंग की वर्दी पहने, पीक कैप लगाये राल्स ड्राइव करता होगा। कल से वह स्वयं को पूर्णतः सुरक्षित समझेगा। दस साल से लगातार डरते रहने का समय हवा में विलीन हो जाएगा। आज तक वह सुरक्षित रह पाया था, यह एक करिश्मा ही तो था।

जौनी के साथ-साथ वह मसीनो के दफ्तर में पहुंचा। उसने दोनों बैग डेस्क पर पटक दिये।

एन्डी इंतजार ही बैठा था। मसीनो के दांतों में बुझा हुआ सिगार लटक रहा था। जैसे ही एन्डी ने सैमी की हथकड़ी का ताला खोला, मसीनो ने प्रश्नात्मक दृष्टि से जौनी की ओर देखा।

जौनी ने सिर हिलाकर कहा – ‘कोई परेशानी नहीं हुई।’

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नोट गिनने के बाद एन्डी ने घोषणा की – ‘एक लाख बयासी हजार डॉलर। आज तक कलैक्शन की गई सब धन राशियों से ज्यादा।’

जौनी का रक्त प्रवाह एकदम से तेज हो गया। कुछ ही घंटों बाद ये विशाल धनराशि उसकी हो जाएगी – क्योंकि ये धनराशि उसकी अनुमानित

धनराशि से अधिक थी अतः वह तीस फुट लम्बी नौका के स्थान पर पैंतालीस फुट लम्बी नौका की कल्पना करने लगा था।

एन्डी दोनों थैलों समेत अपने दफ्तर में घुसा। कुछ ही क्षणों के बाद जौनी को उस पुराने ढंग की बनी तिजोरी के बंद होने का स्वर सुनाई पड़ा। मसीनो ने अपने डेस्क की ड्राअर से जानीवाकर की बोतल निकाल ली। अर्नी ने गिलास मेज पर रख दिये। अपने लिए एक बड़ा-सा पैग भरकर मसीनो ने बोतल जौनी को पकड़ा दी।

‘पियो जौनी।’ मसीनो बोला -‘तुम बहुत ही बेहतरीन व्यक्ति हो। बीस साल तक जो काम तुमने किया, उसमें सर्वोच्च सफलता का सेहरा तुम्हारे सिर पर बंध गया है और अब एक सुनहरा भविष्य तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है।’

अर्नी ने सबके गिलासों में व्हिस्की सर्व कर दी। सैमी इंकार कर चुका था। ड्रिंक समाप्त होने तक सब खामोश ही रहे। अचानक फोन का बजर बज उठा। मसीनो ने हाथ के इशारे से सभी को जाने का संकेत कर दिया।

जौनी के साथ-साथ सीढ़ियां उतरते हुए सैमी बोला – ‘मुझे इस बात का बहुत अफसोस है मिस्टर जौनी कि अब हमारा साथ खत्म हो जाएगा। आपने हमेशा मेरे साथ बहुत अच्छा बर्ताव किया है। मेरी मदद करते रहे हो। आपका शुक्रिया अदा करने के लिए तो मेरे पास शब्द भी नहीं हैं।’

‘आओ बीयर पिएंगे।’ जौनी ने कहा और वर्षा में भीगते हुए फ्रेडी के बॉर में जा पहुंचे।

दोनों ने बीयर मंगवाई और पीने बैठ गये। बीयर पीते समय जौनी बोला – ‘मेरे विचार में आज हम अहलदा हो रहे हैं सैमी। तुम आज तक व्यर्थ ही डरते रहे, देख लो तुम्हारे साथ कोई दुर्घटना नहीं हुई।’

‘बहुत से व्यक्तियों को जीवन-भर कोई चिन्ता नहीं सताती। सौभाग्य से आप भी उन्हीं व्यक्तियों में से हैं मिस्टर जौनी। हमेशा बेफिक्र रहते हो।’

उत्तर में जौनी खामोश ही रहा। अपनी चिन्ता के विषय में वह बता भी तो नहीं सकता था।

बीयर समाप्त करके दोनों कैफे से बाहर निकल आये। वर्षा में खड़े होकर वे एक-दूसरे की ओर देखने लगे। अनायास ही जौनी ने अपना गोरा हाथ आगे बढ़ा दिया। सैमी ने बड़ी गर्मजोशी से अपने काले हाथ से उसका हाथ थाम लिया।

‘अच्छा सैमी-मिलते रहना और हां, धन की बचत करते रहना मत भूलना और अगर कभी मेरी आवश्यकता पड़े तो निस्संकोच मेरे पास चले आना।’

सैमी भाव-विभोर सा हो गया – ‘मुझे पता है आप भी मुझे मित्र के रूप में सदा याद रखना।’ भरे गले से वह बोला।

उसके बाद वे दोनों विदा लेकर अलग हो गये।

शाम के छः बजे जौनी ने अपना सबसे शानदार सूट पहना और पहले तय किये कार्यक्रम के अनुसार आवश्यक चीजों को चैक करने लगा। रबड़ का भारी हंटर, तह किया हुआ अखबार, दस्तानों का जोड़ा, सिगरेट लाइटर, तिजोरी की ताली तथा लगेज लॉकर की चाबी, सारी वस्तुएं उसने मेज पर रख दीं। इन चीजों के अलावा उसे एक और वस्तु की आवश्यकता थी और वह था उसका भाग्य। उसने लॉकेट को अपनी उंगलियों से छुआ और सोचने लगा – दो साल बाद वह खुले समुद्र में अपनी पैंतालीस फुट लम्बी नौका दौड़ा रहा होगा। उसकी जोरदार आवाज डैक पर गूंजा करेगी।

साढ़े सात बजे उसने तैयारी आरंभ कर दी। रबड़ का हंटर जेब में डाला। पिस्तौल बेल्ट के साथ कस लिया। बाथरूम में जाकर अखबार को थोड़ा गीला किया और उसे अपनी जाकेट में रख लिया। दोनों तालियां एक अन्य जेब के हवाले कर लीं। दस्ताने कोट की जेब में डालकर वह अपने अपार्टमेंट से बाहर निकल आया। ठीक आठ बजे उसकी कार मैलानी के अपार्टमेंट के सामने जाकर रुकी। मैलानी दरवाजे में खड़ी उसी का इंतजार कर रही थी। वह तुरंत कार में आ बैठी।

‘हाय हनी। ठीक हो न-।’ अपने स्वर को सामान्य बनाये रखते हुए जौनी ने कहा।

‘हां।’ मैलानी बोली – किन्तु उसके चेहरे से बेचैनी साफ परिलक्षित हो रही थी। जौनी ईश्वर से मन ही मन दुआ करने लगा कि कहीं यह अपना इरादा न बदल दे।

खाना बेहद स्वादिष्ट था, लेकिन दोनों ने ही अरुचिपूर्वक खाया।

जौनी उस वक्त की कल्पना कर रहा था जब वह बैन्नो को निश्चेष्ट करने वाला था और दोनों भारी थैलों को घसीटकर ग्रेहाउंड बस स्टेशन में ले जाकर पहुंचेगा। उसने आपरेशन के लिए दो और तीन बजे के बीच का समय निश्चित किया था। वह मन ही मन ईश्वर से कामना करता रहा कि आपरेशन बिल्कुल कामयाब रहे। बेध्यानी में ही फिर उसका हाथ गले में पड़े लॉकेट को स्पर्श करने लगा।

‘तुम अपने काम के बारे में मुझे जरा-सी भी हिन्ट नहीं दे सकते जौनी।’ अचानक मैलानी ने पूछ लिया -‘न मालूम क्यों अजीब-अजीब-सी दुश्चिंताएं मुझे घेरे ले रही हैं। क्या तुम कोई खतरनाक काम करने जा रहे हो?’

‘तुम इस बारे में सोचना बिल्कुल ही बंद कर दो।’ जौनी ने उसके प्रश्न का उत्तर देने की जगह उससे पूछ लिया – ‘बोलो – कॉफी पियोगी?’

‘नहीं।’ मैलानी ने कहा।

‘तो आओ फिर पिक्चर देखने चलते हैं, वरना तुम व्यर्थ ही बेकार की बातें सोच-सोचकर अपना दिमाग खराब करती रहोगी। चिन्ता मत करो – सब ठीक हो जाएगा।’

फिल्म देखने का विचार जौनी को ठीक जंचा। इसकी सहायता से वह कुछ ही घंटों बाद होने वाली घटना के अहसास को भुलाने में सफल हो गया था। पिक्चर समाप्त होने पर जब वे मैलानी के अपार्टमेंट पर वापिस पहुंचे तो आधी से ज्यादा रात समाप्त हो चुकी थी।

जब वे दोनों सीढ़ियां चढ़ रहे थे तो एक अन्य लड़की उनसे टकरा गई जो मैलानी के ठीक सामने रहती थी। कुछ क्षण रुककर उन्होंने हैलो-हैलो किया। वह लड़की जौनी से भी परिचित थी और मैलानी से तो उसके बहुत ही अच्छे संबंध थे, पड़ोसी जो थी।

‘मेरी सिगरेट खत्म हो गई थी। वही लेने जा रही थी।’

लड़की ने कहा।

इस आकस्मिक संयोग से जौनी को बहुत खुशी हुई। जौनी अपनी कार भी प्रवेश द्वार के ठीक सामने खड़ी कर आया था। अब उसकी कार भी लड़की की नजरों में आये बिना न रह सकती थी।

‘कॉफी पियोगे?’ मैलानी ने अपना कोट बैंच की ओर उछालते हुए पूछा।

‘अवश्य।’ जौनी बैठते हुए बोला -‘दो घंटे बाद मुझे बाहर जाना हैं अतः तब तक मैं जागना चाहता हूं।’

मैलानी किचन में घुस गई। कुछ समय बाद वह कॉफी से भरा पॉट और कप-प्लेटें लिए हुए वापस लौटी और उन्हें मेज पर रख दिया।

‘धन्यवाद बेबी। अब तुम आराम से सो जाओ’ – जौनी बोला।

मैलानी कुछ देर तक यूं ही खड़ी जौनी को घूरती रही – खामोशी से अपने बैडरूम में चली गई और दरवाजा बंद कर लिया। जौनी मुंह बिचकाते हुए कॉफी प्याले में उड़ेलने लगा।

कुछ समय तक वह सोचपर्ण मुद्रा में बैठा कॉफी सिप करता रहा। सवा दो बजे के करीब वह उठा और दबे पांव मैलानी के बैडरूम के निकट पहुंचा। उसने धीरे-से दरवाजा खोला और अंदर अंधकार में झांकने लगा।

‘जा रहे हो तुम।’ अंधकार में मैलानी की कांपती-सी आवाज उभरी।

‘तुम अभी तक जाग रही हो बेबी।’ जौनी ने कहा – ‘अब सोचना बंद करो और ईश्वर के लिए सो जाओ।’

‘मैं नहीं सो सकती जौनी डियर -मानसिक दुश्चिन्ताओं की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही।’

जौनी ने निराश भाव से सिर हिलाया – ‘मैं आधा घंटे में ही वापस आ जाऊंगा।’ वह बोला – ‘तब तक तुम सोने की चेष्टा करो।’

बैडरूम का दरवाजा भेड़कर वह अपार्टमेंट के बाहर निकल आया। सड़क वीरान थी। अपने-आपको यथासंभव साये में रखते हुए वह तेज-तेज कदमों से मसीनो के ऑफिस की ओर चल दिया। मुश्किल से दस मिनट के बाद ही वह मसीनो के ऑफिस ब्लॉक के गेट पर था। उसने देखा कि एन्डी के दफ्तर में रोशनी थी। वह एकदम ठिठक गया। इसका मतलब स्पष्ट था कि बैन्नो अंदर मौजूद था। मगर जौनी को इससे कोई परेशानी महसूस नहीं हुई। बैन्नो की उपस्थिति का तो उसे पहले ही पता था।

उसने अपने दाएं-बाएं नजरें दौड़ाईं। दूर-दूर तक कोई नहीं था। सड़क पूरी तरह सुनसान थी। सड़क पार करके लॉबी के मद्धिम उजाले से गुजरता हुआ वह ऐलीवेटर में जा घुसा। चौथे फ्लोर पर पहुंचकर वह ऐलीवेटर से निकला तथा शेष मंजिलें सीढ़ियों द्वारा तय करके उस हिस्से में पहुंच गया, जहां मसीनो का दफ्तर था।

वह जल्दी से जल्दी काम से फारिग होना चाहता था, जिससे कि उसकी शहादत पर कोई आंच न आने पाये। मसीनो तथा एन्डी के दफ्तर के बाहर वाले कॉरिडोर से गुजरते वक्त उसने रुमाल निकाला और बिजली के दोनों बल्बों को उससे पकड़कर बाहर निकाल लिया। नतीजे के तौर पर वहां अंधेरा हो गया। अब सिवाय एन्डी के कमरे के बंद द्वार से बाहर झांकती रोशनी के अलावा कोई प्रकाश नहीं था वहां, परन्तु रोशनी की वह लकीर उसके काम के लिए काफी थी। उसने जेब से तह किया हुआ अखबार निकाला। अखबार अभी भी हल्का-हल्का गीला था। कुछ क्षण आहट लेने के पश्चात उसने अखबार को कुचल-सा दिया और उसे बंद दरवाजे के नीचे ठूंसकर लाइटर जलाया। आग का स्पर्श पाते ही अखबार सुलग उठी। मामूली लपटों ने धुएं का रूप धारण कर लिया। जौनी हटकर पीछे खड़ा हो गया और हाथ में रबड़ का हंटर थामे वह प्रतीक्षा करने लगा। उसे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। बड़बड़ाने की आवाज के साथ ही दरवाजा खुला और बैन्नो प्रगट हो गया। वह हैरानी से खड़ा सुलगते कागज को देख रहा था।

जौनी दीवार के साथ चिपका सांस रोके प्रतीक्षा करता रहा।

आशा के अनुकूल बैन्नो बाहर आया और उसने सुलगते कागज को पैर से दबाकर बुझाना चाहा, उसी क्षण जौनी का हाथ बड़ी तेजी से उठा और उसके हाथ में दबा हंटर बैन्नो के सिर के पृष्ठ भाग से जा टकराया।

बैन्नो हंटर की मार का ताव न सहन कर सका। वह लहराकर नीचे जा गिरा। उसके मुंह से आह तक न निकल सकी।

जौनी बगैर एक पल भी नष्ट किए सेफ की ओर लपका। जेब से चाबी निकालकर उसने आनन-फानन में सेफ खोल डाली और दोनों थैले बाहर खींचे लिये। उसका चेहरा पसीने से भीग चला था। थैले उसकी आशा के विपरीत बहुत भारी थे। उसने तिजोरी से चाबी निकाल ली। थैलों सहित बैन्नो के निश्चेष्ट पड़े शरीर के ऊपर से गुजरते हुए वह थोड़ा ठिठका। अखबार अभी भी सुलग रहा था। उसने अपने बूट से दबाकर अखबार की आग को बुझा दिया। फिर वह तेजी से एलीवेटर के नजदीक पहुंचा और उसका बटन पुश कर दिया। वह ग्रांउड फ्लोर पर पहुंचा और एलीवेटर से निकलकर सफलतापूर्वक इधर-उधर देखा। सम्पूर्ण लॉबी सुनसान थी। दस्तानों से ढके अपने दोनों हाथों से थैला उठाकर वह बाहर सड़क पर आ गया। बाहर आकर उसने फिर सर्तकतापूर्वक इधर-उधर देखा, फिर दोनों थैलों को उठाये हुए ग्रेहाउंड बस स्टेशन की ओर दबे पांव लपक लिया।

एक भारी डील-डौल वाला नीग्रो ऊंघ रहा था, मगर नींद से बोझिल आंखों के कारण लॉकर खोलते हुए जौनी को वह नहीं देख सका। जैसे ही जौनी ने थैले लॉकर में ठूंसे, रात्रि सेवा की देर से आने वाली बस के हॉर्न की आवाज उसके कानों में पड़ी, साथ ही हैडलाइट की रोशनी भी दिखाई दे गई। लॉकर में कम जगह होने के कारण उसे बंद करने में जौनी को काफी ताकत लगानी पड़ी। चाबी घुमाकर उसने लॉकर बंद कर दिया, फिर चाबी निकाली और बस स्टेशन से बाहर निकल आया।

आधी योजना सफलतापूर्वक सम्पन्न हो चुकी थी। मेन रोड छोड़कर वह गलियों में मुड़ गया और विजय की खुशी में तेजी से दौड़ने लगा। एक लाख बयासी हजार डॉलर की रकम उसके कब्जे में आ चुकी थी और मसीनो उस पर संदेह करने की स्थिति में नहीं था। दौड़ते समय सहसा उसे शारीरिक भूख जोरों से सताने लगी।

विभिन्न गलियों में दौड़ता, आखिर वह मैलानी के अपार्टमेंट वाली इमारत के निकट पहुंच गया। कुछ क्षण रुककर उसने सतर्कतापूर्वक चारों ओर दृष्टि दौड़ाई कि कहीं कोई था तो नहीं, फिर वह संतुष्ट होकर इमारत में घुस गया और एलीवेटर द्वारा मैलानी के अपार्टमेंट वाले फ्लोर पर पहुंच गया।

एलीवेटर से बाहर आकर सावधानीपूर्वक दरवाजे के हैंडिल को घुमाकर वह अंदर प्रवेश कर गया।

उसका दिल जोर से उछल रहा था मानो अभी उछलकर बाहर आ गिरेगा। उसने कलाई घड़ी पर दृष्टिपात किया। सारे काम में सिर्फ पच्चीस मिनट का समय लगा था।

‘जौनी!’

मैलानी नाइट ड्रैस पहने लिविंग रूम में आ पहुंची।

जौनी ने जबरन मुस्कराने की चेष्टा की।

‘हां, मैं ही हूं – चिन्ता करने की कोई बात नहीं। लेटो, तुम आराम करो।’

पर मैलानी वहां से नहीं हटी-वह सहमी-सी नजरों से उसे घूर रही थी।

‘क्या हुआ?’

‘कुछ नहीं।’ जौनी उसे अपनी बाजुओं में भरता हुआ बोला- ‘अभी तक तो कुछ नहीं हुआ, मगर अब जरूर कुछ होके रहेगा। बता सकती हो क्या होने वाला है?’

उसे बांहों में उठाकर वह बैडरूम में पहुंचा और धीरे-से उसे बैड पर लिटा दिया। नाइट बल्ब के मद्धिम प्रकाश में व्याकुल मैलानी की ओर देखते हुए जौनी एक-एक करके अपने कपड़े उतारने लगा। मैलानी खामोशी से लेटी उसे घूर रही थी। जैसे ही वह मैलानी की ओर बढ़ा, मैलानी बोल उठी – ‘तुम्हारा लॉकेट कहां है?’

जौनी मानो आसमान से गिरा – उसने फौरन अपने बालों से भरे सीने पर निगाह डाली, गले में चेन तो मौजूद थी, किन्तु उसमें लटकी रहने वाली सैंट क्रिस्टोफर की छोटी-सी प्रतिमा गायब थी। उसने कांपते हाथों से चेन ऊपर उठाई और हुक को देखा, हुक मुड़कर खुल चुका था।

जीवन में पहली बार भय की एक बेहद सर्द लहर उसके समूचे जिस्म में दौड़ गई।

‘उसे तलाश करो!’

जौनी के लहजे और आंखों में मौजूद भावों ने मैलानी को फौरन बिस्तर से उतर आने को मजबूर कर दिया। दोनों ने मिलकर अपार्टमेंट का कोना-कोना छाना मारा, मगर चेन में पड़ा रहने वाला मैडल हाथ न आ सका।

जौनी दौड़कर अपने बैडरूम में आया और तुरंत-फुरंत अपने कपड़े पहन लिये।

मैलानी ने व्याकुल स्वर में पूछा- ‘क्या बात है जौनी-मुझे बताओ न’

‘आराम से लेटो और मेरी प्रतीक्षा करो।’ जौनी ने उसे झिड़कते हुए कहा और अपार्टमेंट से बाहर निकल गया। कॉरिडोर, एलीवेटर तथा लॉबी तक जौनी तलाश करता रहा – मगर मैडल नहीं मिला। अंत में वह सड़क पर आ गया। उसका शरीर जूड़ी का बुखार आये रोगी के मानिंद कांप रहा था। स्वयं पर काबू पाने का यत्न करते हुए उसने कार की अच्छी तरह तलाशी ली – परन्तु मैडल वहां भी न मिला। कार को लॉक करके जौनी सोचने लगा। मैडल कहीं भी गिर सकता था – परन्तु अगर वह एन्डी के दफ्तर में रह गया होगा तो क्या होगा? हे भगवान! उसका तो सपना ही मिट्टी में मिल जाएगा, जान के लाले पड़ जाएंगे सो अलग। मैडल का एन्डी के दफ्तर में पाया जाना उसके चोर होने का अकाट्य प्रमाण साबित होगा।

संभव है वह उसे खोज सकें। उसके कदम कार की ओर बढ़े, फिर वह ठिठक गया। उसने स्वयं से कहा – बेवकूफ आदमी – कार को मत छुओ – यह हर हालत में तुम्हारी एलीबी का प्रमाण है।

जौनी फिर उन्हीं गलियों से भागता हुआ उस मैडल को तलाश करने लगा – जिन-जिन गलियों में से होकर वह पहले गुजरा था। हालांकि उसके कदम लड़खड़ा रहे थे – मगर दिमाग तेजी से काम कर रहा था। उसकी सारी मेहनत बेकार गई – मैडल उसे कहीं भी नहीं मिला।

वह आश्वस्त होना चाहता था कि मैडल एन्डी के ऑफिस में था या नहीं – एलीवेटर या मसीनो के दफ्तर में पाये जाने पर तो कोई बात नहीं थी, परन्तु एन्डी के दफ्तर में मैडल का पाया जाना उसकी मौत का पैगाम बन सकता था – क्योंकि एन्डी के दफ्तर में स्वयं एन्डी या फिर बैन्नो के अलावा किसी अन्य को जाने की हर्गिज इजाजत नहीं थी।

बुरी तरह से हांफता हुआ जौनी उस सड़क पर पहुंच गया जो मसीनो की दफ्तर वाली इमारत की ओर जाती थी। सहसा उसकी चाल को स्वयं ही ब्रेक लग गया। उसके पैर जमीन पर चिपककर रह गये -इमारत के बाहर पुलिस की कार खड़ी थी।

इसका अर्थ था कि बहुत देर हो चुकी थी।

बैन्नो ने होश में आते ही पुलिस को सूचित कर दिया होगा। जौनी के देखते-देखते ही एक लिंकन वहां आकर रुकी। उससे उतरकर टोनी तथा अर्नी इमारत में प्रवेश कर गये।

मैडल कहां गिरा था।

‘जब तक तुम यह लॉकेट गले में पहने रहोगे-दुनिया की कोई विपत्ति तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकती’। मां के कहे हुए वाक्य उसके दिमाग में कौंधने लगे।

क्योंकि इस समय लॉकेट में पड़ा मैडल चीख-चीख कर उसके चोर होने का ऐलान कर रहा होगा।

उसने ग्रेहाउंड स्टेशन की ओर देखा मगर अब उसमें इतना साहस नहीं था कि वह उस लॉकर में से दोनों बैगों को निकालकर अपनी कार तक ले आता। इस विचार को त्यागकर उसने सोचा-धन का वहीं पड़े रहना ज्यादा उचित था। वह सरगर्मी शांत होने की प्रतीक्षा करेगा। फिर चुपके से वापस आकर धन निकाल लेगा तथा पुनः खिसक जायेगा। वह जानता था कि उसका यह विचार भी मूर्खतापूर्ण था – परन्तु आकस्मिक डर उस पर काबू पा चुका था।

पुलिस की गाड़ियों के सायरन पर सायरन बज रहे थे। दीवार से सटा खड़ा हुआ जौनी धड़कते दिल से उन्हें देख रहा था। मसीनो की राल्स भी आ पहुंची। मसीनो बाहर निकला-तेजी से सड़क पार की और इमारत में घुस गया।

बिजली की तरह जौनी के मस्तिष्क में विचार कौंधा – उसे तुरंत शहर छोड़कर भाग जाना चाहिए। मगर पैसा, पैसा कहां था उसके पास! जबकि मसीनो की नजरों से बचने के लिए इस चीज की बेहद आवश्यकता थी और उसकी मनोकामना की पूर्ति सहित धन लॉकर में बंद पड़ा था, जो फिलहाल उसके लिए व्यर्थ था। फिर पैसा कहां से प्राप्त किया जाये?

क्या मैलानी से?

पर उस जैसी औरत के पास पैसा मिलने की कोई उम्मीद नहीं थी – जबकि मसीनो की कहर भरी दृष्टि से बचने के लिए पैसा होना बेहद आवश्यक था।

उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था। अचानक उसे याद आ गया – सैमी अपनी बचत की रकम अपने बिस्तर के नीचे ट्रंक में दबाकर रखता था। रकम की संख्या उसने तीन हजार डॉलर बताई थी।

जौनी वापिस भागा। सैमी वहां से काफी दूर के फासले पर रहता था। जिस समय गिरता-पड़ता वह सैमी के घर की इमारत में पहुंचा, उस वक्त साढ़े चार का समय हो चुका था। बुरी तरह हांफता हुआ वह उसके चौथे खण्ड पर स्थित मकान की सीढ़ियां चढ़ने लगा। जिस समय वह सैमी के दरवाजे पर पहुंचा पसीने से भीग उठा था। उसने दरवाजे पर खड़े होकर कॉलबैल दबाई। कोई उत्तर नहीं मिला-फिर उसने दरवाजा खटखटाया। जवाब फिर भी नदारद रहा था। अंत में कुछ क्षण खामोश रहकर उसने फिर से दरवाजा खटखटाया। इस बार भी कोई उत्तर नहीं मिला तो उसने दरवाजे का हैंडिल घुमा दिया। दरवाजा खुल गया।

‘सैमी’ उसने हल्के से आवाज लगाई।

उंगलियों से टटोलकर उसने स्विच ऑन कर दिया। कमरा रोशनी से भर उठा। उसने देखा कि उस छोटे से कमरे में आवश्यकता की समस्त चीजें मौजूद थीं – किन्तु सैमी का कहीं नामोनिशान तक नहीं था। सहसा उसे याद हो गया । सैमी शुक्रवार की रात अपनी गर्लफ्रैंड क्लोय के साथ गुजारता था।

जौनी ने दरवाजा बंद कर दिया और सैमी का बिस्तर उलट दिया। बिस्तर के नीचे रखे ट्रंक को उसने खींच लिया। ट्रंक में ताला नहीं लगा हुआ था। उसने ट्रंक खोला। ट्रंक दस-दस डॉलर के नोटों से भरा हुआ था। सोच-विचार में समय नष्ट किए बगैर उसने तमाम नोट उठाकर अपनी जेब में ठूंस लिये और खाली बक्स छोड़ दिया।

पल-भर के लिए उसने सोचा – सैमी पर इसकी क्या प्रतिक्रिया होगी?

परन्तु अब उसको सोचने का समय नहीं था। वह यह सोचकर निश्चिन्त हो गया कि ये रकम सैमी की उसके ऊपर उधार रही, मौका मिलते ही ब्याज समेत इसे चुका देगा।

सीढ़ियां उतरते समय उसे याद आया कि अब शहर से कैसे निकला जाएगा। पुलिस ने तो तमाम रास्तों की नाकेबंदी कर दी होगी। खतरे की आशंका से उसका हाथ अनायास ही अपनी 39 बोर की पिस्तौल पर चला गया। उसने निश्चय कर लिया कि यदि रास्ता साफ करने के लिए उसे गोलियां भी चलानी पड़ीं तो वह हिचकेगा नहीं।

सड़क पर पहुंचते ही उसका मस्तिष्क फिर क्रियाशील हो उठा। उसे छुपने के लिए जगह की आवश्यकता थी – कोई भी ऐसी सुरक्षित जगह, जहां वह एक महीने का अरसा सुरक्षित रूप से गुजार सके। ऐसी जगह कौन-सी हो सकती थी? सहसा उसे याद आया कि उसके पिता का एक बहुत अच्छा दोस्त हुआ करता था जिसका नाम वियोआनी फुजैली था। इस समय वह सत्तर वर्ष से अधिक का हो चुका होगा। हो सकता है मर भी गया हो। वह एक छोटे-से कस्बे में रह रहा था। कस्बे का नाम जैक्शन या फैक्शन कुछ इसी तरह का था। उसे याद आया – जैक्शन ही था। यह कस्बा मियामी जाने वाली सड़क पर स्थित था। यदि किसी भांति वह जैक्शन पहुंचने में सफल हो गया तो उसे उम्मीद थी कि फुजैली के यहां उसे अवश्य छुपने को जगह मिल जाएगी।

इसके लिये उसे कोई कार चुरानी पड़ेगी, जिससे वह रेडी के कैफे तक पहुंच सके। वहां से वह साउथ की ओर जाने वाले किसी वाहन से जैक्शन पहुंच सकता था। रेडी के कैफे के सामने अक्सर ट्रकों का आवागमन चलता रहता था। वहां से किसी ट्रक द्वारा लिफ्ट मिल जाना आसान था, क्योंकि ड्राइवर वगैरह वहीं नाश्ता, डिनर आदि करके साउथ की ओर रवाना होते थे।

असमंजस में पड़ा वह सड़क पर नजरें दौड़ाने लगा। नजदीक ही पार्किंग में बहुत-सी गाड़ियां खड़ी थीं। अभी वह एक कार की ओर बढ़ने की सोच ही रहा था कि उसे एक अन्य कार अपनी ओर आती दिखाई दी। वह कार मोड़ पर आकर रुक गई। स्ट्रीट लाइट की रोशनी में उसने देखा, एक दुबला-पतला-सा युवक, मैली-सी कमीज पहने कार से नीचे उतरा और उसे लॉक करने लगा।

जौनी लपकता हुआ उसके पास पहुंचा। वह शांत स्वर में युवक से बोला-

‘क्या तुम बीस डॉलर कमाना चाहते हो?’

युवक ने घूमकर उसकी तरफ देखा। पूछा- ‘क्या करना होगा?’

‘मुझे रेडी के कैफे तक पहुंचाना होगा।’

‘वह तो शहर से बीस मील दूर है जैंटिलमैन।’

‘इसीलिये तो बीस डॉलर कहा है। एक डॉलर प्रति मील के हिसाब से किराया कम तो नहीं है।’

‘मंजूर है।’ युवक मुस्कराते हुए बोला-‘मुझे जोये कहते हैं, तुम्हारा नाम क्या है?’

‘चार्ली!’ जौनी ने एक कल्पित-सा नाम बता दिया।

कार में बैठकर जौनी बोला-‘देखो जोये, रफ्तार तेज जरूर रहे, किन्तु इतनी अधिक नहीं कि कोई एक्सीडेंट ही हो जाये और हां-बजाय मेन रोड के पिछली सड़क से निकलना है।’

जोये हंसा-पूछा, ‘क्या चक्कर है दोस्त, पुलिस पीछे पड़ी है क्या?’

‘तुम्हें इस बात से कोई मतलब नहीं।’ जौनी ठंडे स्वर में बोला-‘तुम बस खामोशी से कार ड्राइव करते रहो।’

रास्ते में किसी ने उन्हें नहीं टोका। जौनी का भाग्य उसका साथ दे रहा था, क्योंकि उसके शहर से निकलने के भी तीस मिनट बाद ही सड़कों की नाकेबंदी की गई थी।

यह जौनी का भाग्य ही था कि पुलिस कमिश्नर उस समय शहर में मौजूद नहीं था और असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर मसीनो की बात सुनने को तैयार नहीं था। उसने जान-बूझकर सड़कों की नाकेबंदी कराने में देर कर दी थी। मसीनो पर अपना महत्व जताने के लिए उसने नम्बरों के जुए को गैरकानूनी कर दिया था।

मसीनो गुस्से से पागल हो रहा था। अब वह पछताने लगा कि क्यों उसने असिस्टेंट कमिश्नर की ओर ध्यान नहीं दिया था, जबकि उसके बॉस पर वह मोटी-मोटी रकमें खर्च करता रहा था।

जौनी अपनी मंजिल पर पहुंच चुका था। जोये को कार किराया चुकाकर वह उस समय तक सड़क पर ही खड़ा रहा, जब तक कि जोये कार सहित उसकी नजरों से ओझल न हो गया।

रेडी के कैफे में घुसकर जौनी दक्षिण की ओर जाने वाले किसी ट्रक ड्राइवर को तलाश करने लगा।

उस पर छाई दहशत धीरे-धीरे कम हो रही थी। अब तो वह सिर्फ इस बात से चिन्तित था कि किसी तरह से सुरक्षित रूप में जैक्शन कस्बे तक पहुंच सके।

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