mesh sakranti

Mesh Sankranti 2024: हिंदू धार्मिक शास्त्रों में संक्रांतियों का महत्व बताया गया है। जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में गोचर करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्य वर्ष में 12 बार राशि परिवर्तन करते हैं, ऐसे में हर साल 12 संक्रांतियां होती हैं। यूं तो हर संक्रांति का अपना महत्व होता है, परंतु मेष संक्रांति का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। जब सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे मेष संक्रांति कहते हैं। इस बार शुक्रवार 13 अप्रैल को सूर्यदेव मेष राशि में प्रवेश करेंगे, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर भी पड़ेगा। पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि मेष संक्रांति का बड़ा ही धार्मिक महत्व है। इस दिन स्नान व दान पुण्य का बड़ा महत्व होता है। तो चलिए जानते हैं मेष संक्रांति 2024 का महत्व और इस दिन क्या करना उत्तम होता है।

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मेष संक्रांति 2024 कब है?

Mesh Sankranti 2024
Mesh Sankranti 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मेष संक्रांति 14 अप्रैल 2024 को पड़ेगी। इस दिन सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे और इसके बाद एक माह तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे। शुक्रवार 13 अप्रैल को सूर्यदेव दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। पंडितजी के अनुसार, मेष संक्रांति पुण्य काल समय सुबह 10 बजकर 55 मिनट से शाम 6 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। वहीं, महा पुण्य काल का समय दोपहर 1 बजकर 4 मिनट से लेकर 5 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से इसका शुभ व अशुभ प्रभाव अन्य राशियों पर भी पड़ेगा। इस दिन दान पुण्य का बड़ा महत्व होता है।

मेष संक्रांति का महत्व

हिंदू धर्म में मेष संक्रांति का बड़ा महत्व बताया गया है। मान्यता है कि मेष संक्रांति से ही सौर वर्ष का आरंभ होता है। इस दिन सूर्य भगवान की पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मेष संक्रांति पर गंगा व पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। वहीं, दान, तिल से पितरों का तर्पण करना श्रेयस्कर माना गया है। मेष संक्रांति पर विभिन्न राज्यों में कई धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। मेष संक्रांति को पंजाब में बैसाखी, ओडिशा में पना संक्रांति, केरल में विशु के नाम से भी जाना जाता है।

सूर्य की उपासना से मिलेगा लाभ

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मेष संक्रांति पर भगवान सूर्य देव की उपासना से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य का वरदान प्राप्त होता है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन सूर्य को जल चढ़ाते समय सूर्य देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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