हर धर्म में उपवास रखने की अपनी अलग विचारधाराएं हैं। जैसे कि रमज़ान में पूरे 30 दिन के लिये उपवास रखा जाता है। जिसमें सूर्यास्त के बाद ही आप कुछ खा सकते हैं। इसी प्रकार हिन्दू, जैन लोगों में भी पूरे दिन का व्रत होता है। इसी तरह क्रिश्चियन लोग भी अपनी आस्था के हिसाब से व्रत रखते हैं। आस्था के अनुसार कई दिनों, हफ्तों तक पानी और अन्न का त्याग सिर्फ आध्यात्मिक धारणा नहीं बल्कि इससे हमारे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।

हृदय रोग व मधुमेह रोग से निवारण

एक शोध से पता चला है कि व्रत रखने वाले व्यक्तियों में हृदय से संबंधित रोग होने की आशंका कम होती है। यहां तक कि जो व्रत रखते हैं उनका रक्तचाप भी सही रहता है। मधुमेह से ग्रसित लोगों की शुगर भी कम आंकी गई।

वज़न का घटना

पोषण विशेषज्ञ एडम ब्राउन के अनुसार व्रत रखना कभी भी वज़न घटाने का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। क्योंकि इससे आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि ये पता लगा है कि व्रत रखने वाले लोगों के वज़न पर कहीं न कहीं कुछ असर जरूर पड़ता है। क्योंकि हमारे शरीर को नियमित कैलोरी की जरूरत पड़ती है। व्रत में इसकी कमी के चलते हमारे वज़न पर असर पड़ता है।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा

कहने को तो व्रत धार्मिक आस्था है। लेकिन आज के इस व्यस्त माहौल में ये मानसिक शांति भी प्रदान करता है। जैसे कि रमज़ान में परिवार के सारे लोग साथ में मिलकर रोज़ा खोलते हैं। और अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से मिलने जाते है। किसी भी व्रत में पूरे परिवार का सहयोग होता है। ऐसे में वो लोग जो ये समझते हैं कि वो अकेले हैं, उन्हें साथ मिल जाता है। साथ ही साथ डिप्रेशन का शिकार लोगों को अकेलेपन का एहसास नहीं होता।

नियमित आदतों को छुटकारा दिलाने में सहायक

जैसा कि व्रत में कुछ निर्धारित चीजों का ही सेवन किया जाता है। बहुत से लोग होते हैं जो मादक पदार्थों के आदी होते हैं, कुछ अत्यधिक मात्रा में फास्ट फूड खाते हैं। व्रत की वज़ह से कुछ दिन के लिये ही सही, लोग इन चीजों से दूर रहते हैं। इससे उन्हें एहसास होता हैं कि इनके बिना भी जिन्दगी गुजारी जा सकती है। कई लोग तो इन चीजों को छोड़ने में कामयाब भी हो जाते हैं।

इसी तरह व्रत के समय ज्यादातर लोग फल, जूस आदि का सेवन करते हैं। जिससे कि उनके शरीर में व्याप्त विषैले पदार्थ कम हो जाते हैं। व उनका शरीर धीरे- धीरे रोग मुक्त होने लगता है। कहने का तात्पर्य यही है कि व्रत की वज़ह से हमारे खानपान का समय निर्धारित हो जाता है। और जो भी डाइट हम लेते हैं वो स्वास्थ्यवर्धक होती है। पूरे साल की अनियमित चीजों से उत्पन्न हुए टॉक्सिन्स को व्रत कुछ दिनों में ही कवर कर देता है।