वराह जयंती 2023 कब है, क्यों मनाया जाता है यह पर्व, जानें महत्व: Varah Jayanti 2023
Varah Jayanti 2023

Varah Jayanti 2023: हिंदू धर्म संस्कृति में व्रत त्योहारों का खास महत्व है। सावन महीने की हरियाली तीज से शुरु होने वाले व्रत त्योहारों का सिलसिला चैत्र महीने तक चलता रहता है। सावन के महीने में शिव जी की आराधना की जाती है तो भाद्रपद का महीना भगवान विष्णु और उनके अवतार को समर्पित माना जाता है। भाद्रपद महीने में ही धर्म की स्थापना और धरती पर संतुलन बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण, वराह और वामन अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया था। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को वराह जयंती मनाई जाती है। इस बार रविवार, 17 सितंबर 2023 को वराह जयंती मनाई जाएगी। वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु के वराह रूप की पूजा की जाती है। आज इस लेख के द्वारा हम भगवान विष्णु के वराह रूप की पौराणिक कथा और वराह जयंती के महत्व के बारे में जानेंगे।

भगवान विष्णु का तीसरा अवतार है वराह

Varah Jayanti 2023
Varah Jayanti 2023 Katha

पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, पुराणों में बताया गया है कि महर्षि कश्यप की पत्नी द्विति ने हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष नाम के दो राक्षसों को जन्म दिया था। हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष बहुत अधिक दुराचारी और हिंसक प्रवृत्ति के थे। हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष दोनों ने कठोर तपस्या कर के ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त किया था कि कोई भी उन्हें हरा ना पाए। ब्रह्मा जी से वरदान मिलते ही हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष ने तीनों लोको में राज करने के लिए सभी मनुष्यों और देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। स्वर्गलोक कर अधिकार करने के बाद हिरण्याक्ष ने धरतीलोक को पाताल लोक के नीचे रसातल में छिपा दिया था। धरतीलोक को रसातल में छिपाने से सृष्टि असंतुलित होने लगी तब सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने आधे देवता और आधे सुअर के रूप में वराह का अवतार लेकर अपने दोनों दांतो के सहारे धरती को रसातल से बाहर निकाला।

भगवान विष्णु द्वारा धरतीलोक को रसातल से बाहर निकालने के कारण हिरण्याक्ष बहुत ही क्रोधित हुआ और उसने भगवान विष्णु से युद्ध किया। हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष दोनों अपने पिछले जन्म में भगवान विष्णु के द्वारपाल थे। ऋषि द्वारा श्राप मिलने के कारण हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष दोनो ने राक्षस रूप में जन्म लिया। इसी कारण भगवान विष्णु ने वराह का रूप लेकर हिरण्यकश्यपु और हिरण्याक्ष का वध कर उन्हें मुक्ति प्रदान की।

वराह जयंती पूजा और महत्व

Varah Jayanti
Varah Jayanti Importance

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वराह जयंती के दिन पूजा स्थान पर गंगा जल छिड़क कर उसे शुद्ध करें। इसके बाद धातु से बने कलश में आम के पत्ते और पानी भरकर भगवान विष्णु या भगवान वराह की मूर्ति को रखकर पूजा करें। पूजा के बाद इस कलश को किसी ब्राह्मण को दान कर दें और भगवान विष्णु से सुख समृद्धि की कामना करें। मान्यता है कि वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है। व्यक्ति के मन के सभी बुरे विकार दूर होते हैं। मानसिक शांति मिलती है।

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