सुख-समृद्धि व पापों से मुक्ति के लिए रखें अजा एकादशी का व्रत, जानें कथा व महत्व: Aja Ekadashi Vart 2023
Aja Ekadashi Vart 2023

Aja Ekadashi Vart 2023: धार्मिक आस्था में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में दो एकादशी आती हैं। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी या आनंद एकादशी के नाम से जाना जाता है। अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के ऋषिकेश अवतार की पूजा की जाती है। इस साल 10 सितंबर 2023, रविवार को अजा एकादशी का व्रत रख जायेगा। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अजा एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। तो चलिए जानते हैं अजा एकादशी पर किस तरह भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए और इसका महत्व क्या है।

अजा एकादशी व्रत की कथा

Aja Ekadashi Vart 2023
Aja Ekadashi Vart Katha

पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि स्वयं भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को अजा एकादशी व्रत की कथा सुनाई थी। कथा के अनुसार, पौराणिक काल में सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र थे। एक समय ऐसा जब राजा हरिश्चंद्र को अपना राज पाट छोड़कर अपनी पत्नी और बेटे को दास बनाकर बेचना पड़ा और स्वयं भी श्मशान घाट के एक चंडाल के यहां दास बनकर रहने लगे। राजा हरिश्चंद्र हमेशा यह सोचते थे कि उन्हें हमें अपने जीवन में अच्छे कार्य किए हैं तो उनके जीवन में ऐसा कष्टकारी समय क्यों आया। एक दिन राजा हरिश्चंद्र, ऋषि गौतम से मिले और उनसे अपनी परेशानी का उपाय पूछा।

ऋषि गौतम ने राजा दशरथ से कहा कि उनके पिछले जन्म के बुरे कर्मों के कारण उन्हें इस जन्म में कष्ट भोगने पड़ रहे हैं। ऋषि गौतम ने राजा हरिश्चंद्र को बताया कि अजा एकादशी का व्रत करने से उनके पिछले जन्म के सभी बुरे कर्मों से उन्हें मुक्ति में जायेगी। राजा हरिश्चंद्र ने ऋषि गौतम के बताए अनुसार ही अजा एकादशी व्रत का पालन किया और भगवान विष्णु की आराधना की। अजा एकादशी व्रत के प्रभाव से राजा हरिश्चंद्र को अपने पिछले जन्म के कर्मों से मुक्ति मिल गई और राज पाट और परिवार वापस मिल गया।

अजा एकादशी व्रत की पूजा विधि और पारण

Aja Ekadashi Vart 2023
Aja Ekadashi Puja Vidhi

अजा एकादशी का व्रत करने के लिए व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कार्य खत्म करने चाहिए। इसके बाद पूजा स्थान पर गंगा जल छिड़क कर उसे शुद्ध करें। एक लकड़ी के पाटे पर स्वास्तिक बनाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा और श्री यंत्र रखें। इसके बाद “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करते हुए घी का दीपक जलाएं।

भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाकर फूलों की माला पहनाएं और तुलसी के पत्ते अर्पित करें। इसके बाद पूरे दिन अजा एकादशी व्रत का पालन करें और शाम के समय गौधुली बेला में भगवान विष्णु को पंचामृत, मेवे, फल और मिठाई का भोग लगाकर आरती करें। अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु को प्रणाम करके पहले भोग का प्रसाद खाकर अजा एकादशी व्रत का पारण करें।

अजा एकादशी व्रत का महत्व

Aja Ekadashi Vart Importance
Aja Ekadashi Vart Importance

हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत करता है उसे अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है। अजा एकादशी व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके पूरे परिवार में सुख समृद्धि आती है। जो व्यक्ति अजा एकादशी के दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करता है उसे भगवान विष्णु के बैकुंठ में स्थान मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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