अधिक मास की पद्मिनी एकादशी है बेहद खास, जानें व्रत कथा और महत्व: Padmini Ekadashi 2023

Padmini Ekadashi 2023: सनातन धर्म में अधिक मास में आने वाली एकादशी को बहुत ही खास और विशेष पुण्यफल देने वाली माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, अधिक मास के स्वामी भगवान विष्णु हैं इसलिए इस महीने को पुरुषोत्तम का महीना भी कहा जाता है। हिंदू धर्म के हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में दो एकादशी होती हैं। इस प्रकार प्रकार साल में 24 एकादशी तिथियों का व्रत रखा जाता है। इस बार अधिक मास के कारण दो पुरुषोत्तम एकादशी का व्रत भी रखा जाएगा। इसलिए साल 2023 में कुल 26 एकादशी होंगी।

पुरुषोत्तम महीने में आने के कारण इन एकादशियों को पुरुषोत्तम एकादशी कहा जाता है। इनमें से शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी या कमला एकादशी कहते हैं। इस बार पद्मिनी एकादशी का व्रत शनिवार, 29 जुलाई 2023 को रखा जाएगा। पद्मिनी एकादशी के व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है। तो चलिए जानते हैं पद्मिनी एकादशी व्रत की कथा और व्रत के महत्व के बारे में जानेंगे।

पद्मिनी एकादशी व्रत की कथा

Padmini Ekadashi 2023
Padmini Ekadashi Katha

पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथाओं के अनुसार, सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को पद्मिनी एकादशी की कथा सुनाई थी। कथा के अनुसार, त्रेता युग में एक प्रजा प्रेमी राजा कृतवीर्य थे जो निसंतान थे। संतान प्राप्ति के लिए राजा ने कई विवाह किए। अनेकों यज्ञ, हवन, पूजा पाठ और अनुष्ठान करवाए, लेकिन राजा की संतान की प्राप्ति की इच्छा पूरी नहीं हुई। संतान प्राप्ति के लिए सभी तरह के प्रयास असफल होने पर पर राजा ने तपस्या करने का प्रण लिया और अपने राज्य का कार्यभार अपने काबिल मंत्रियों को सौंप दिया।

इसके बाद राजा कृतवीर्य अपनी चहेती रानी पद्मिनी के साथ गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने चले गए। कठोर तपस्या के बाद भी राजा कृत वीर्य को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। एक दिन गंधमादन पर्वत पर रानी पद्मिनी, माता अनुसुइया से मिली। रानी पद्मिनी ने माता अनुसुइया को अपनी पीड़ा बताई तब माता अनुसुइया ने रानी पद्मिनी को अधिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने का सुझाव दिया। माता अनुसुइया ने बताया कि इस एकादशी व्रत के प्रभाव से सभी तरह की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।

रानी पद्मिनी ने माता अनुसुइया द्वारा बताए गए व्रत का संकल्प लेकर विधि विधान से व्रत का पालन किया। रानी पद्मिनी ने निर्जल और निराहार रहकर अधिक मास की शक पक्ष की एकादशी का व्रत किया। रानी पद्मिनी की सच्ची भक्ति और सेवाभाव से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने रानी पद्मिनी को पुत्रवती होने का वरदान दिया और कहा कि संसार में अधिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पद्मिनी एकादशी के नाम से जाना जाएगा। कुछ समय बाद रानी पद्मिनी गर्भवती हुई और अत्यंत ही तेजस्वी, बलशाली और योग्य पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम कृतवीर्य अर्जुन रखा गया। बड़े होकर कृतवीर्य बहुत ही कुशल राजा बना।

पद्मिनी एकादशी का महत्व

Padmini Ekadashi Importance
Padmini Ekadashi Importance

पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार, पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस व्रत का महत्व बताते हुए कहा था कि जो व्यक्ति पद्मिनी एकादशी का व्रत करता है उसके मन से सभी तरह के विकार दूर हो जाते हैं। व्यक्ति की आत्मा शुद्ध और पवित्र हो जाती है। पद्मिनी एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को समाज में पद प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को कई यज्ञों के समान पुण्य प्राप्त होता है। मरने के बाद व्यक्ति को बैकुंठ में स्थान मिलता है।

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