How is the coincidence of Adhik Maas formed
How is the coincidence of Adhik Maas formed

Overview: साल में कितनी होती हैं एकादशियां?

एक वर्ष में 24 एकादशियां होती हैं और अधिकमास में 26। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और उपवास करने से मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है। निर्जला, देवउठनी, उत्पन्ना, षटतिला और आमलकी एकादशी प्रमुख मानी जाती हैं। इस दिन विष्णुजी की पूजा, तुलसी अर्पण और दान से सभी कष्ट दूर होते हैं।

Ekadashi Vrat: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत विशेष स्थान है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी उपवास का दिन शरीर और मन दोनों को शुद्ध करता है। कहा जाता है कि एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानें साल में कितनी एकादशियां होती हैं, उनका महत्व क्या है और इस दिन क्या करें और क्या न करें।

साल में कितनी होती हैं एकादशियां?

हर वर्ष 24 एकादशियां पड़ती हैं। प्रत्येक महीने दो बार, एक शुक्ल पक्ष की और दूसरी कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को जब अधिकमास (पुरुषोत्तम मास) लगता है, तब एकादशी की संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। हर एकादशी का अलग नाम और अलग धार्मिक महत्व होता है।

इनमें सबसे कठिन और फलदायक मानी जाती है निर्जला एकादशी, जिसे बिना जल के उपवास रखकर मनाया जाता है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति पूरे साल की एकादशियां नहीं रख पाता, तो केवल निर्जला एकादशी का व्रत करने से ही सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है।

एकादशी व्रत का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

एकादशी व्रत को देह और आत्मा दोनों की शुद्धि का दिन माना गया है। धार्मिक रूप से यह व्रत भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित होता है। वहीं वैज्ञानिक रूप से, उपवास करने से शरीर में जमा विषैले तत्व निकल जाते हैं और पाचन तंत्र को आराम मिलता है। इस दिन मन, वचन और कर्म से शुद्धता बनाए रखना सबसे आवश्यक माना गया है।

साल की पांच सबसे प्रमुख एकादशियां

निर्जला एकादशी

यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता। मान्यता है कि जो व्यक्ति केवल यह एक व्रत करता है, उसे पूरे साल की एकादशियों का फल प्राप्त होता है।

देवउठनी एकादशी

यह कार्तिक शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयन से जागते हैं। इस तिथि से मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश आदि की शुरुआत शुभ मानी जाती है।

उत्पन्ना एकादशी

मार्गशीर्ष मास की पहली एकादशी। यह व्रत मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। भक्तिपूर्वक व्रत करने से जीवन में शांति और सफलता मिलती है।

षटतिला एकादशी

यह माघ मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। इसमें तिल का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु को तिल का भोग लगाने और दान करने से दरिद्रता दूर होती है।

आमलकी एकादशी

यह फाल्गुन शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी इस दिन आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं।

एकादशी व्रत की पूजा-विधि

सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु का ध्यान कर उनका तुलसी जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को चंदन, फूल और दीप अर्पित करें। लक्ष्मी माता की भी पूजा करें, क्योंकि वे विष्णुजी के साथ इस दिन पूजनीय हैं। शाम को कथा सुनना या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ माना जाता है। व्रत पूर्ण होने पर दान-पुण्य अवश्य करें। तिल, अनाज और वस्त्र का दान विशेष फलदायी होता है।

एकादशी के दिन क्या नहीं करना चाहिए

दशमी की रात को भोजन नहीं करना चाहिए।

चावल और तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है।

इस दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।

झूठ, क्रोध और हिंसा से दूर रहें। ये व्रत की पवित्रता को कम करते हैं।

भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के सरल उपाय

एकादशी के दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। तुलसी के पौधे में दीप जलाएं और उसे जल अर्पित करें। जरूरतमंदों को भोजन, जल या वस्त्र का दान करें। शाम को विष्णु सहस्रनाम या गीता का पाठ करें।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...