Eat Rice on Ekadashi
Badrinath Temple

Overview: बद्रीनाथ धाम में एकादशी पर चावल क्यों नहीं वर्जित?

बद्रीनाथ धाम में एकादशी के दिन चावल खाने की मनाही नहीं है, क्योंकि भगवान विष्णु ने स्वयं स्वप्न में पुजारी को चावल का प्रसाद चढ़ाने का आदेश दिया था, जिसके बाद से यहां खिचड़ी का प्रसाद परंपरा बन गया है।

Eat Rice On Ekadashi : हिंदू धर्म में एकादशी का दिन आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद पवित्र माना जाता है। हर महीने दो बार आने वाली एकादशी तिथि पर व्रत रखना, भगवान विष्णु की पूजा करना और सात्विक जीवनशैली अपनाना परंपरा का हिस्सा है। इस दिन विशेष रूप से चावल का सेवन वर्जित होता है।

मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति को अगले जन्म में रेंगने वाले कीड़े की योनि प्राप्त होती है। यह बात अधिकतर भारतीय परिवारों में पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और बड़े-बुज़ुर्ग अक्सर इसे दोहराते हैं।

बद्रीनाथ में क्यों नहीं लागू होता यह नियम?

हालांकि यह परंपरा संपूर्ण भारत में मानी जाती है, लेकिन उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ धाम में इस नियम का अपवाद देखने को मिलता है। यहां एकादशी के दिन चावल का सेवन वर्जित नहीं है। बल्कि इस पावन धाम में भगवान विष्णु को चावल से बनी खिचड़ी का प्रसाद विशेष रूप से चढ़ाया जाता है और श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है। यह परंपरा बद्रीनाथ मंदिर की विशेषता बन चुकी है, जिसे शास्त्रीय मान्यताओं से अलग एक दिव्य आदेश के रूप में देखा जाता है।

बद्री विशाल का आदेश, स्वप्न में मिला निर्देश

बद्रीनाथ धाम में एकादशी के दिन चावल पर कोई प्रतिबंध नहीं होने के पीछे एक धार्मिक कथा प्रचलित है। मान्यता के अनुसार, एक समय यहां के पुजारियों और स्थानीय निवासियों ने भी एकादशी के दिन चावल न खाने की परंपरा का पालन शुरू कर दिया था। तभी भगवान विष्णु, जिन्हें यहां बद्री विशाल कहा जाता है, एक स्थानीय पुजारी के स्वप्न में प्रकट हुए। उन्होंने आदेश दिया कि, “मेरे धाम में चावल चढ़ाना और भक्तों को प्रसाद स्वरूप खिलाना बंद न किया जाए। यह मेरी इच्छा है।”

भगवान के इस स्वप्नादेश को परम सत्य मानते हुए तब से बद्रीनाथ में एकादशी के दिन भी चावल से बनी खिचड़ी को भगवान को अर्पित किया जाता है और भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। मंदिर से जुड़े सेवक राज किशोर जी के अनुसार, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसे आज भी श्रद्धा और नियमपूर्वक निभाया जाता है।

खिचड़ी: भगवान विष्णु की प्रिय भोग

खिचड़ी को भगवान विष्णु का प्रिय भोजन माना जाता है। इसी कारण बद्रीनाथ धाम में यह व्यंजन धार्मिक प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है। साधारण चावल और मूंग दाल से बनी यह खिचड़ी स्वाद में जितनी सरल होती है, उतनी ही भावनात्मक रूप से श्रद्धालुओं के लिए खास होती है। मंदिर में चढ़ाई गई खिचड़ी का प्रसाद पास की दुकानों और धर्मशालाओं में भी वितरित किया जाता है, जिसे श्रद्धालु श्रद्धा से ग्रहण करते हैं।

धार्मिक भावना बनाम क्षेत्रीय परंपरा

एक ओर जहां अधिकांश भक्त एकादशी के दिन चावल से परहेज़ करते हैं, वहीं बद्रीनाथ धाम में इसे भक्ति और आज्ञा का प्रतीक माना जाता है। यदि आप एकादशी के दिन बद्रीनाथ पहुंचते हैं, तो आपको खिचड़ी का प्रसाद अवश्य मिलेगा। हालांकि परंपरागत नियमों का पालन करने वाले भक्त चाहें तो इस प्रसाद को बाद में ग्रहण कर सकते हैं, लेकिन इसे मना करना भगवान के प्रसाद को अस्वीकार करने जैसा भी माना जा सकता है।

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