संसार में जन्म लिया हुआ हर इंसान जाने-अनजाने में कभी न कभी पाप कर ही देता है। पाप के दंड से बचा जा सके इसके लिए ही पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। एकादशी व्रत का पालन करने वाले जातक को सात्विक भोजन करना चाहिए। मन से भोग-विलास की भावना त्यागकर भगवान विष्णु का  स्मरण करना चाहिए। ऐसे ही कुछ नियम इस व्रत के हैं, उन्हीं में से एक नियम यह भी है कि इस दिन चावल नहीं खाने चाहिए। आइए, जानते हैं इसके पीछे क्या ज्योतिषीय और वैज्ञानिक कारण हैं-
 
जानें क्यों वर्जित है एकादशी पर चावल खाना 
 
पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है। जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी, इसलिए इनको जीव रूप मानते हुए एकादशी के दिन चावल से परहेज किया गया है, ताकि सात्विक रूप से एकादशी का व्रत संपन्न हो सके। 
 
वैज्ञानिक कारण 
 
चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। जल पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है, इससे मन विचलित और चंचल होता है। मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है। 
 

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