Badrinath Temple Mythology: बद्रीनाथ मंदिर चार धामों में से एक प्रसिद्ध धाम है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह भगवान श्री हरि विष्णु का निवास स्थान माना जाता है और यहाँ इनकी पांच रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। बद्रीनाथ मंदिर तक पहुंचने का रास्ता काफी कठिन है, रास्ते में कई पहाड़, मौसम की अनिश्चितता और कई तरह की प्राकृतिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन इन सब के बावजूद भी भक्तों की आस्था में कोई कमी नहीं आती है और यहाँ भक्तों की भारी भीड़ लगती है।
क्या है बद्रीनाथ मंदिर की खासियत

बद्रीनाथ मंदिर हिमालय की पर्वत श्रृंखला पर अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर का नाम बद्रीनाथ इसलिए पड़ा, क्योंकि इस क्षेत्र में जंगली बेर (बदरी) बहुत ज्यादा पाए जाते हैं, जिसकी वजह से इस स्थान का नाम ‘बद्रीनाथ’ पड़ा।
क्या है बद्रीनाथ मंदिर की पौराणिक कथा
एक दिन नारद मुनि यानी नारायण भगवान विष्णु के पास गए और उनसे बोले कि प्रभु आप मानवता के लिए एक अच्छी मिसाल नहीं बन रहे हैं। आप हर समय शेषनाग के ऊपर लेटे रहते हैं और माता लक्ष्मी आपकी सेवा करते रहती हैं। इस आलोचना से बचने के लिए भगवान श्री विष्णु ने तप करने का निर्णय लिया और इसके लिए सही स्थान की तलाश में नीचे हिमालय तक आए। वहां उन्हें बद्रीनाथ मिला, एक छोटा-सा घर, जहां सब कुछ बिलकुल वैसा ही था जैसा उन्होंने सोचा था। उन्हें यह जगह साधना के लिए बहुत अच्छी जगह लगी। लेकिन जैसे ही वे घर के अन्दर घुसे, अन्दर घुसते ही उन्हें पता चल गया कि यह तो शिव का निवास स्थल है।
श्री हरि विष्णु ने छोटे बच्चे का रूप धारण किया

जब भगवान विष्णु को पता चला कि यह निवास स्थल भगवान शिव का है, तो उन्होंने छोटे बच्चे का रूप धारण कर लिया और घर के सामने बैठ गए। उस समय भगवान शिव और माता पार्वती बाहर टहलने के लिए गए थे। जब वे वापस आए तो उन्होंने एक छोटे बच्चे को जोर-जोर से रोते देखा। बच्चे का रोना सुनकर माता पार्वती के अन्दर का मातृत्व भाव जाग उठा और वे जाकर बच्चे को उठाने लगीं। भगवान शिव ने माता पार्वती को रोकते हुए कहा कि इस बच्चे को मत छूना। पार्वती ने कहा कि प्रभु आप कैसी नासमझी की बात कर रहे हैं? मेरे अंदर की मां इस बच्चे को रोते हुए नहीं देख सकती है। भगवान शिव इसका नतीजा जानते थे, लेकिन करते तो क्या करते।
माता पार्वती ने बच्चे को प्यार से गोद में उठाया और उसे चुप करा कर घर पर छोडक़र भगवान शिव के साथ पास के गर्म कुंड में नहाने के लिए चली गईं। लौटकर आईं तो देखा कि घर अंदर से बंद था। माता पार्वती हैरान थीं कि आखिर दरवाजा किसने बंद किया? तब भगवान शिव ने कहा, ‘मैंने कहा था, इस बच्चे को मत उठाना, लेकिन तुम बच्चे को घर के अंदर लेकर आई और अब इसने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया है।
केदारनाथ जा बसे शिव-पार्वती

भगवान शिव के पास दो विकल्प थे, एक कि जलाकर भस्म कर दें और दूसरा कि वे वहां से चले जाएं। उन्होंने माता पार्वती से कहा, ‘चलो, कहीं और चलते हैं क्योंकि यह बच्चा तुम्हारा प्यारा है इसलिए मैं इसे छू भी नहीं सकता। इस तरह भगवान शिव अपना ही घर गंवा बैठे और रहने के लिए भटकते हुए आखिरकार केदारनाथ में जाकर बस गए।
