Magh Amavsya 2024
Magh Amavsya 2024

Pithori Amavasya Vrat 2023: सावन माह की समाप्ति होते ही श्री कृष्ण के प्रिय माह भाद्रपद का आरम्भ हो चुका है। प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि आती है। भाद्रपद में आने वाली अमावस्या तिथि को पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। इस साल 14 अगस्त 2023 को पिठोरी अमावस्या मनाई जाएगी। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, इस दिन कुशा इकट्ठी करने मान्यता है। पिठोरी अमावस्या को कुशोत्पाटनी अमावस्या और कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। जानिए इस लेख में अमावस्या की तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व-

शुभ मुहूर्त

14 अगस्त 2023 (गुरूवार) को पिठोरी अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन आटे से मां दुर्गा सहित 64 देवियों की प्रतिमा बनाकर पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन श्रद्धा भाव से पूजा करने वाली माताओं को संतान के आरोग्य होने का वरदान मिलता है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद अमावस्या की तिथि 14 सितंबर सुबह 4 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगी, जबकि तिथि की समाप्ति 15 सितंबर सुबह 7 बजकर 9 मिनट पर होगी।

पिठोरी अमावस्या का महत्त्व

पिठोरी अमावस्या के दिन श्रद्धा भाव से पूजा करने पर निःसंतान दम्पत्ति को संतान की प्राप्ति होती है। जो माताएं इस दिन पूजा करती हैं उन्हें संतान के स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन दान, स्नान और तप का विशेष महत्त्व है। इतना ही नहीं इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं। इस दिन पूजा करने से कालसर्प दोष दूर होता है।

पिठोरी अमावस्या की कथा

Pithori Amavasya
Pithori Amavasya Vrat Katha

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक परिवार में सात भाई थे और सभी का विवाह हो चुका था। सभी के बच्चे भी थे। परिवार की सलामती के लिए सभी भाइयों की पत्नी पिठोरी अमावस्या का व्रत करना थीं। जब बड़े भाई की पत्नी ने व्रत रखा तो उसके बेटे की मौत हो गई। अगले साल फिर दूसरे बेटे की मौत हो गई। और फिर तीसरे बेटे के भी मृत्यु हो गई। सातवें साल भी ऐसा ही हुआ। तब बड़े भाई की पत्नी ने अपने बेटे का शव छिपा दिया था। उस समय गांव की कुल देवी मां पोलेरम्माने लोगों की रक्षा के लिए पहरा दे रही थीं। तब उन्होंने बड़े भाई की पत्नी को दुखी देखा तो उसके दुख का कारण पूछा। बड़े भाई की पत्नी ने कुल देवी को सब बताया तो कुल देवी को उसपर दया आ गई।

कुल देवी ने दुखी मां से कहा कि वो उन स्थानों पर हल्दी छिड़क दे, जहां-जहां उसके बेटों का अंतिम संस्कार हुआ है। कुल देवी की कही बात के अनुसार, दुखी मां ने वैसा ही किया और जब घर लौटी तो उसके सातों बेटे घर पर जीवित मिले। अपने बेटों को इस तरह देख उस मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। तभी से उस गांव की हर मां पिठोरी अमावस्या के दिन अपनी संतानों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत और पूजा करने लगीं।

वर्तमान में गृहलक्ष्मी पत्रिका में सब एडिटर और एंकर पत्रकारिता में 7 वर्ष का अनुभव. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी दैनिक अखबार में इंटर्न के तौर पर की. पंजाब केसरी की न्यूज़ वेबसाइट में बतौर न्यूज़ राइटर 5 सालों तक काम किया. किताबों की शौक़ीन...