इसका जिक्र महाभारत में भी किया गया है। आज भी आगरा शहर देशी विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। खूबसूरत स्थापत्य कला में निर्मित होने की वजह यहां गर्मी हो या ठंड हर मौसम में पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है।

ताजमहल- ताजमहल को शाहजहां ने अपनी रानी मुमताज की याद में बनवाया था। सफेद संगमरमर से बने ताजमहल को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है। ताज महल को प्रेम का प्रतीक कहा गया है। दुनिया भर से पर्यटक इसे देखने आते हैं। इस इमारत कासे बनाने में पूरे 17 साल साल गले थे। इस इमारत को बनाने में रोज 20000 मजदूर काम करते थे। यह विश्व के सात अजूबों में से भी एक है।

आगरे का किला- आगरे के किले को लाल किला, फोर्ट रोज और आगरे का लाल किला भी कहते हैं। इसे 1654 में अकबर ने बनवाया था। यह एक सैन्य चैकी थी लेकिन यहां पर भी शाही लोग रहा करते थे। ये किला पूरी तरह से लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है। इस किले में कुछ खूबसूरत स्थापत्य कला के आकर्षण मौजूद हैं जैसे कि शीशे से बनी दीवार, शीश महल, शाही बगीचा, अंगूरी बाग, राज दरबार की महिलाओं के लिए बनी नगीना मस्जिद आदि. यहां हर शाम लाइट शो का आयोजन भी होता है जिसे देखने का पर्यटकों में खास रोमांच है।

फतेहपुर सीकरी- आगरा से 40 किलोमीटर दूर स्थित यह पूरा शहर लाल बालुई पत्थर से बना है। अकबर द्वारा निर्मित और एक सूफी संत को समर्पित फतेहपूुर सीकरी का उदय 1571 में हुआ था। जता मस्जिद, सलीम चिश्ती की दरगाह, दीवाने ए आम, दीवाने ए खास, शहर के मध्य स्थित रानी के महल आदि इसके दर्शनीय स्थल हैं।

पंच महल- यह फतेहपुर सीकरी के पश्चिम छोर पर स्थित पांच मंजिला इमारत है। इस महल से अकबर की रोनियां ठंडी हवा का मजा लेती थी। मुगल परिवार की महिलाओं के लिए इसमें 176 खंभे भी लगाए गए थे ताकि वे बाहर के खूबसूरत नजारे भी देख सकें। कहते हैं कि इस महल के आंगन में अकबर लड़कियों का नृत्य देखते हुए चोकर बोर्ड खेलते थे।

जमा मस्जिद- जामा मस्जिद एक विशाल मस्जिद है, जो शाहजहां की पुत्री, शहजादी जहांआरा बेगम को समर्पित है। यह अपने मीनार रहित ढ़ाचे तथा विशेष प्रकार के गुम्बद के लिए जानी जाती है।

एतमादुऔला का मकबरा- नूरजहां ने अपने पिता मिर्जा ग्यासुदीन बेग की याद में सन् 1622 से 1628 के बीच बनवाया था। यह भव्यय एवं खूबसूरत इमारत सफेद पत्थीर की बनी है। यहां पत्थरों में की गई महीन नक्काशी तथा आकर्षण पच्चीकारी देखने लायक है। यह सुंदर इमारत एक खबूसूरत आयताकार बगीचे से घिरी है। इसमें बनी जालियां तथा विभिन्न वनस्पतियों के रंगों से बनी चित्रकारी खासतौर से देखने योग्य है। इससे जहांगीर और नूरजहां का चित्रकला प्रेम बखूबी उजागर होता है। मुगल काल के अन्य मकबरों से अपेक्षाकृत छोटा होने के कारण इसे कइ्र बार श्रंगारदान भी कहा जाता है. यहां के बाग, पीटा व कई घटक ताजमहल से मिलते हुए हैं।

सिकंदरा भवन- इस मकबरे का निमार्ण अकबर ने अपने जीते जी करवाना शुरू कर दिया था। लेकिन इसे पूरा करवाया था जहांगीर ने। यह कमबरा सन् 1613 में बनकर तैयार हुआ था। इस मकबरे के चारों कोनों पर सफेद पत्थर की चार खूबसूरत मीनारे हैं। इमारत में हिंदू तथा मुस्लिम स्थापत्य कला का खूबसूरत मिश्रण है। उंची दीवारों से घिरे बड़े भूभाग में बागों और घास के पार्क के मध्य यह मकबरा एक उंचे चबूतरे पर बना हुआ है। इस मकबरे की खासियत इसका राजमार्ग की तरफ का दरवाजा जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। इसे बुलंद दरवाजा भी कहा जाता है। यह दरवाजा एक मेहराब पर बना हुआ है इसमें संगमरमर से चार मीनारे बनी हुई हैं। इस बुलंद दरवाजे का अवलाकन करते हुए रास्ते में दोनों तरफ के बाग हरी घास के मैदान को देखते हुए मुख्य स्मारक की ईमारत तक पहुंच जाते हैं जहां बादशाह अकबर की कब्र स्थापित है। ईमारत के उपर बड़ी संख्या में संगमरमर से छतरिया बनी हुई है। इस पांच मंजिला स्मारक की बनावट और वास्तु शिल्पकला लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सम्मोहित कर देती है।

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