Shani Dev
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Surya Shani Yog: कुंडली में ग्रहों की युति और उनकी स्थिति का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। जब दो या अधिक ग्रह एक साथ आते हैं, तो वे मिलकर सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। यह संयोग व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि ला सकता है या फिर समस्याओं और बाधाओं का कारण बन सकता है। यदि किसी ग्रह का संयोग अनुकूल होता है, तो यह सफलता, उन्नति और खुशियों का मार्ग प्रशस्त करता है, जबकि प्रतिकूल प्रभाव जीवन में संघर्ष, असफलता और चुनौतियां लेकर आ सकता है। इसलिए कुंडली में ग्रहों की स्थिति को समझकर उचित उपाय करना जीवन को संतुलित और सफल बना सकता है।

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सूर्य-शनि योग का प्रभाव

सूर्य और शनि का योग कुंडली में एक विशेष और प्रभावशाली संयोग माना जाता है, जिसे सूर्य-शनि योग के नाम से जाना जाता है। सूर्य आत्मा, प्रतिष्ठा और पिता का कारक है, जबकि शनि कर्म, अनुशासन और न्याय का प्रतीक है। जब ये दोनों ग्रह एक ही भाव में स्थित होते हैं, तो इनके बीच द्वंद्व के कारण व्यक्ति के जीवन में चुनौतियां और संघर्ष बढ़ सकते हैं। यह योग अक्सर पिता और संतान के संबंधों में तनाव, कार्यक्षेत्र में बाधाएं या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। हालांकि, सही उपायों और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ इस योग के प्रभाव को नियंत्रित कर सफलता प्राप्त की जा सकती है।

सूर्य-शनि योग और पारिवारिक तनाव

सूर्य और शनि के बीच पिता-पुत्र का रिश्ता होने के बावजूद उनकी प्रकृति में शत्रुता के कारण इनका योग व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकता है। ज्योतिष के अनुसार, यह संयोग कार्यक्षेत्र में अस्थिरता, पारिवारिक कलह और स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है। साथ ही, यह जातक के आत्मविश्वास और निर्णय क्षमता को प्रभावित कर सकता है। ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी के अनुसार, सूर्य-शनि योग के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए विशेष पूजा, दान और वैदिक उपाय जैसे सूर्य को अर्घ्य देना, शनि मंत्रों का जाप करना और जरूरतमंदों की मदद करना प्रभावी हो सकता है।

सूर्य-शनि योग और स्वभाव में बदलाव

जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि एक ही भाव में होते हैं, तो यह संयोग जीवन में कई तरह के तनाव और समस्याओं को जन्म दे सकता है। सूर्य, जो आत्मसम्मान और प्रतिष्ठा का कारक है, और शनि, जो अनुशासन और कर्तव्य का प्रतीक है, इनके बीच टकराव से व्यक्ति के स्वभाव में गुस्सैलपन और अहंकार की भावना उत्पन्न हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप, आत्मविश्वास में कमी और पारिवारिक रिश्तों में दरारें आ सकती हैं, विशेष रूप से पिता और पुत्र के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं। यह योग पारिवारिक तनावों को बढ़ावा देता है और व्यक्ति के जीवन में मानसिक और भावनात्मक कठिनाइयां उत्पन्न कर सकता है। इस स्थिति में, उचित ज्योतिष उपायों के माध्यम से इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।

सूर्य-शनि योग के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय

सूर्य और शनि के योग के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए ज्योतिष में कई प्रभावी उपाय सुझाए गए हैं। इन उपायों का पालन करने से न केवल व्यक्ति की समस्याएं कम हो सकती हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक बदलाव भी आ सकते हैं। सबसे पहले, सूर्य को अर्घ्य देने और रविवार के दिन उपवासी रहकर पूजा करना फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा, शनि के प्रभाव को शांत करने के लिए शनिवार को शनि मंदिर में जाकर तेल का दीपक जलाना, काले तिल का दान करना और शनि मंत्रों का जाप करना उपयोगी साबित हो सकता है। इसके अलावा, नियमित रूप से सूर्योदय के समय सूर्य नमस्कार करना और गरीबों को मदद करना भी इस योग के प्रभावों को कम करने में सहायक हो सकता है। इन उपायों को अपनाकर व्यक्ति अपने जीवन में मानसिक शांति और सफलता प्राप्त कर सकता है।

सूर्य को अर्घ्य देना – विशेष उपाय

अगर आपकी कुंडली में सूर्य और शनि ग्रह एक ही स्थान पर हैं, तो सूर्य को अर्घ्य देने का उपाय बहुत लाभकारी हो सकता है। प्रतिदिन तांबे के लोटे में जल, गुड़ और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्पित करना इस योग के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद करता है। यदि आप रोज़ यह उपाय नहीं कर सकते, तो रविवार के दिन विशेष रूप से यह उपाय जरूर करें। यह उपाय न केवल सूर्य और शनि के बीच के टकराव को शांत करता है, बल्कि इससे आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और मानसिक शांति भी मिलती है। नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य देने से आत्मविश्वास और सम्मान में भी वृद्धि हो सकती है।

शनिदेव के प्रति श्रद्धा

अगर आपकी कुंडली में सूर्य और शनि का योग है, तो आपको प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिर में दर्शन के लिए जाना चाहिए और शनिदेव की शिला के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। यह उपाय शनिदेव के प्रति श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है, जिससे शनि के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। यदि आप लगातार 11 शनिवार तक यह उपाय करेंगे, तो यह आपके जीवन में समृद्धि और खुशहाली ला सकता है। साथ ही, यह उपाय आपके जीवन में आने वाली परेशानियों और नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में सहायक साबित हो सकता है, जिससे आपको मानसिक शांति और सफलता मिल सकती है।

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ

रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से सूर्य और शनि के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। यह स्तोत्र सूर्य देव की उपासना का एक शक्तिशाली उपाय है, जो आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ आत्मविश्वास को बढ़ाता है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यदि आपकी कुंडली में सूर्य और शनि का नकारात्मक प्रभाव अधिक है, तो आपको रविवार का व्रत रखने और सूर्य को जल चढ़ाने की सलाह दी जाती है। साथ ही, शनि के प्रभावों को शांत करने के लिए शनिवार का व्रत रखना भी लाभकारी हो सकता है। इन उपायों से जीवन में मानसिक शांति, समृद्धि और सफलता प्राप्त की जा सकती है।

शनिवार के दिन दान करें

अगर आपकी कुंडली में शनि और सूर्य का मिलाजुला प्रभाव समस्याओं का कारण बन रहा है, तो शनिवार के दिन काले वस्त्रों, काले अनाज, जूते-चप्पल या सरसों के तेल का दान करना आपके लिए विशेष लाभकारी हो सकता है। यह उपाय आपके जीवन में शनि और सूर्य के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। शनि ग्रह न्याय और कर्मों का ग्रह है, जबकि सूर्य आपकी आत्मा और शक्ति का प्रतीक है। इन दोनों ग्रहों का मिलाजुला प्रभाव आपके जीवन पर चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन इस उपाय से आप अपने जीवन में शांति और समृद्धि ला सकते हैं। दान से न केवल आपका भाग्य उज्जवल होता है, बल्कि यह समाज में भी पुण्य और सहयोग का वातावरण बनाता है।

सोमवार को रुद्राभिषेक करें

अगर आपकी कुंडली में शनि और सूर्य का मिलाजुला प्रभाव समस्याओं का कारण बन रहा है, तो सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना एक प्रभावी उपाय हो सकता है। रुद्राभिषेक से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो शनि और सूर्य दोनों के दुष्प्रभावों को शांत करने में मदद करता है। यदि आप घर पर यह आयोजन नहीं कर सकते, तो नजदीकी शिव मंदिर में पंडित से रुद्राभिषेक कराएं। इसके साथ ही शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाने से भी विशेष लाभ मिलता है, क्योंकि यह पूजा शांति, सुख और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करती है। यह उपाय आपकी कुंडली के दोषों को दूर करने में सहायक हो सकता है।

मैं आयुषी जैन हूं, एक अनुभवी कंटेंट राइटर, जिसने बीते 6 वर्षों में मीडिया इंडस्ट्री के हर पहलू को करीब से जाना और लिखा है। मैंने एम.ए. इन एडवर्टाइजिंग और पब्लिक रिलेशन्स में मास्टर्स किया है, और तभी से मेरी कलम ने वेब स्टोरीज़, ब्रांड...