Smartphone Tips: इसमें कोई दोराय नहीं कि आज स्मार्टफोन, लैपटाॅप जैसे गैजेट्स हर किसी की जिंदगी का अहम हिस्सा या कहें कि सबकी कमजोरी बन चुका है। स्मार्टफोन से कुछ पल की दूरी होने पर भी लोग बेचैन हो उठते हैं । कई लोग तो देर रात तक फोन पर सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं , गेम्स खेलते हैं, फिल्में या यू-ट्यूब पर वीडियोज देखते रहते हैं। इन गैजेट्स ने भले ही हमारे तमाम कामों को आसान बना दिया हो, लेकिन इनकी एडवांस तकनीक का दुष्प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ रहा है।
वैज्ञानिकों की माने तो स्मार्टफोन के ज्यादा और गलत इस्तेमाल से आंखें खराब होना, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, थकान जैसी समस्याएं होना तो आम है, प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है। ज्यादा इस्तेमाल से सेक्स हार्मोन (महिलाओं में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टोरोन और पुरुषों में टेस्टेस्टराॅन, ल्यूटिनाइजिंग) और डीएनए पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे प्रजनन क्षमता 30 से 40 फीसदी तक घट सकती है।
स्मार्टफोन रेडिएशन का इफेक्ट-

मोबाइल फोन से लो लेवल पर इलेक्ट्रो मैगनेटिक रेडिएशन निकलती है जिसे रेडियो फ्रीक्वेंसी एनर्जी या रेडियो वेव्स कहा जाता है। हालांकि मोबाइल की रेडिएशन हमारे शरीर को कितना प्रभावित करती है- यह इसकी फ्रीक्वेंसी पर निर्भर करती है। अमूमन 2जी, 3जी और 4जी की रेडिएशन फ्रीक्वेंसी 0.7 से 2.7 गीगा हर्ट्ज होती है। जबकि 5जी फोन की फ्रीक्वेंसी 80 गीगा हर्ट्ज है। यही नहीं वाइफाई और ब्लूटूथ से भी 2.4 गीगा हर्ट्ज की रेडिएशन निकलती हैं।
कुछ वैज्ञानिक मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन को नाॅन आयोनाइजिंग रेडिएशन मानते हैं। यानी लो फ्रीक्वेंसी और लो एनर्जी वाली रेडिएशन स्पर्म के डीएनए को डैमेज नहीं करती। लेकिन 2018 में वैज्ञानिकों द्वारा मानव और जानवरों पर की गई 27 रिसर्च के आधार पर साबित हो गया है कि मोबाइल फोन से निकलने वाली लो-लेवल की इलेक्ट्रो मैगनेटिक रेडिएशन फर्टिलिटी के पैरामीटर को प्रभावित करती है।
इन जगहों पर रखना है नुकसानदेह –
अगर ध्यान न दिया जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है।
जींस या पेंट की जेब में रखना- विशेषज्ञों के मुताबिक मोबाइल फोन बैग के बजाय पेंट या जींस की अगली पाॅकेट में रखने से रेडिएशन का खतरा दो से सात गुना बढ़ जाता है। क्योंकि फोन चाहे इस्तेमाल करें या न करें- यह थोड़ी मात्रा में रेडिएशन ट्रांसमिट करता रहता है। 2015 में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फर्टिलिटी एंड स्टर्लिटी की रिसर्च के अनुसार मोबाइल फोन जेब में रखने का असर शारीरिक संरचना के कारण महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज्यादा होता है। कुदरती तौर पर पुरूष टेस्टीज का टैम्परेचर बाॅडी टैम्परेचर से कम होता है जिनमें स्पर्म का निर्माण होता है। जेब में रखे मोबाइल से टेस्टीज का टैम्परेचर बढ़ जाता है जिससे स्पर्म-निर्माण प्रक्रिया पर असर पड़ता है और स्पर्म काउंट कम हो सकते हैं।

यही नहीं स्मार्टफोन जींस या पेंट की पिछली जेब में रखना भी कई समस्याएं पैदा कर सकता है। उठते-बैठते वक्त फोन के टूटने या पाॅकेट से गिरने का डर तो बना ही रहता है। फोन से निकली रेडिएशन से पेट और पैर में दर्द भी हो सकता है। इसलिए आपको इससे सावधान रहना चाहिए।
ब्रा में फोन रखना– वैज्ञानिकों ने अनुसंधानों के बाद इस बात की पुष्टि की है कि सेलफोन से निकलने वाली रेडिएशन से ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरे को बढ़ाती हैं। हालांकि यह सच है कि वर्तमान में स्मार्टफोन इतने छोटे नहीं हैं कि महिलाएं अपनी ब्रा में रख सकें। लेकिन अगर वो किसी मजबूरी में या भीड़भाड़ वाली जगह पर जाते वक्त फोन ब्रा में रखती हैं, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक है।

स्लिंग या मोबाइल फोन बैग में रखना– काम पर जाते हुए या पार्टी में जाते हुए सुविधा के लिए महिलाएं अक्सर स्मार्टफोन स्लिंग बैग में रख लेती हैं, जो उनके कूल्हों या जांघों पर लटका रहता है। अनुसंधानों से पता चला है कि फोन की रेडिएशन से उनके कूल्हों या जांघों के आसपास की हड्डियां कमजोर होने की संभावना रहती है। इसे देखते हुए जरूरी है कि महिलाओं को यथासंभव बड़े बैग इस्तेमाल करने चाहिए।
फोन करते हुए चेहरे के पास रखना– वैज्ञानिकों का मानना है कि लाख साफ-सफाई रखने के बावजूद हमारा सेलफोन स्क्रीन असंख्य अदृश्य बैक्टीरिया का घर होता है। फिर भी जाने-अनजाने फोन करते हुए हम अपने कान और चेहरे के पास चिपकाकर बात करते हैं। ऐसे में बैक्टीरिया हमारी त्वचा में संक्रमित होने की संभावना रहती है। जिससे कई तरह के त्वचा रोग के अलावा दूसरी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं।

सोते समय तकिये के नीचे रखना– देर रात तक स्मार्टफोेन देखना और सोते समय अपने तकिये के नीचे या आसपास रखना सेहत के लिए नुकसानदायक है। मोबाइल की ब्लू लाइट या आने वाली नोटिफिकेशन नींद की सर्केडियम ऋदम को खराब करती हैं। लंबे समय तक नींद या सर्केडियम ऋदम अच्छी न हो, तो एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन जैसे सेक्स हार्मोन्स बिगड़ जाते हैं। ओवरी में मौजूद अंडों की गुणवत्ता प्रभावित होती है और प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। फोन की इलेक्ट्रो मैगनेट वेव्स की वजह से महिलाओं को सिर दर्द, चक्कर आना जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।

रात भर चार्जिंग पर पर लगाए रखना– व्यस्तता या लापरवाही की वजह से मोबाइल फोन को चार्जिंग के लिए रात को लगाते हैं जो पूरी रात लगा रहता है। जिससे अकसर मोबाइल ओवरचार्ज भी हो जाता है। रात भर चार्जिंग पर लगे रहने से बैटरी तो खराब होती है, ओवरचार्ज होेने से मोबाइल फटने या दुर्घटना घटने का खतरा भी रहता है।

बच्चे के पास रखना- जो महिलाएं अकसर बच्चों को घुमाते हुए मोबाइल प्रैम में रख देती हैं। प्रेगनेंसी के दौरान और बाद में जो महिलाएं मोबाइल फोन का उपयोग ज्यादा करती हैं, उसका असर अजन्मे या छोटे बच्चों पर भी पड़ता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मोबाइल की रेडिएशन बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं। मोबाइल के एक्पोजर से बच्चों में व्यावहारिक समस्याएं, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर ; एडीएचडी द्ध या अतिसक्रियता विकार भी देखने को मिलते हंै।

कैसे करें बचाव?
अगर हमें खुद को और फर्टिलिटी को सुरक्षित रखना है, तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
- स्क्रीन टाइम या मोबाइल फोन को इस्तेमाल करने के टाइम को कम करें।
- हैंड-फ्री टेक्नोलाॅजी का इस्तेमाल करें। मोबाइल को दूर रखें, कान के अंदर ईयर फोन में ब्लयू टुथ लगाकर फोन का इस्तेमाल करें।
- लंबे वक्त तक बातचीत के लिए लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल रेडिएशन से बचने का आसान तरीका है।
- मोबाइल को पेंट की पाॅकेट या ब्रा में रखने के बजाय बैग में रखना बेहतर है। हैंड बैग या लटकाने वाला बैग हो तो बेहतर है।
- बच्चे को घुमाते हुए प्रैम में मोबाइल न रखें।
- मोबाइल के साथ चाबी जैसी मैटल की चीजें न रखें क्योंकि इससे मोबाइल की रेडिएशन बढ़ जाती है।
- सोते समय मोबाइल को सिरहाने या बगल में रखने से बचें।
- एक ही समय मोबाइल फोन, लैपटाॅप, टीवी जैसे इलेक्ट्राॅनिक डिवाइज एक साथ इस्तेमाल न करें। इससे रेडिएशन बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और आपकी सेहत पर असर पड़ता है।
- आरामपरस्त जीवनशैली केी जगह ज्यादा से ज्यादा एक्टिव रहें, एक्सरसाइज करें।
(डाॅ सुनील जिंदल, सीनियर कंसल्टेंट, एंड्रोलाॅजिस्ट एंड रिप्रोडक्टिव मेडिसिन, जिंदल अस्पताल एंड इंफर्टिलिटी सेंटर, मेरठ )
